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मप्र में कर्मचारियों की मौत सबसे सस्ती, नौकरी के दौरान मौत पर मिलती है मामूली राशि - Madhya Pradesh employees

मध्यप्रदेश के कर्मचारियों को कर्मचारी सह बचत योजना के तहत मिलने वाली राशि पिछले 25 सालों से नहीं बढ़ाई गई है. जिसकी मांग को लेकर कर्मचारियों में काफी आक्रोश है.

You get a nominal amount on death during your job
मप्र में कर्मचारियों की मौत सबसे सस्ती
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Published : Feb 11, 2020, 10:04 AM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश के कर्मचारियों को कर्मचारी सह बचत योजना के तहत मिलने वाली राशि पिछले 25 सालों से नहीं बढ़ी है. इसको लेकर कर्मचारियों में काफी आक्रोश है. कर्मचारियों ने मांग की है कि कमलनाथ सरकार अपना वादा निभाए और आगामी बजट में इस मद में राशि बढाए. जिससे कर्मचारी की सेवा के दौरान मौत होने पर परिवार का जीवनयापन आसानी से हो सके.

मप्र में कर्मचारियों की मौत सबसे सस्ती

कर्मचारियों के लिए कर्मचारी बीमा सह बचत योजना लागू है, जिसमें कर्मचारी से ली गई राशि का 35% हिस्सा प्रीमियम के रूप में और 65% हिस्सा बचत खाते में जमा किया जाता है. जिसे कर्मचारियों की सेवा के दौरान मृत्यु के बाद उसके परिजनों को एकमुश्त राशि दी जाती है. जो चतुर्थ श्रेणी के लिए सवा लाख रुपए और तृतीय वर्ग के कर्मचारियों के लिए ढाई लाख रुपए है, लेकिन 1995 के बाद से इस राशि को नहीं बढ़ाया गया है.

इसी मांग को लेकर कमलनाथ सरकार ने इस राशि को दोगुना करने का वादा किया था, लेकिन बजट घोषणा और कैबिनेट की मुहर लगने के बाद भी आज तक आदेश जारी नहीं हो सका है. सरकार का कहना है कि इस योजना की राशि दोगुनी करने के लिए केंद्र सरकार से अनुमति लेना जरूरी है. पर केंद्र सरकार प्रदेश में कांग्रेस सरकार होने के चलते इसकी अनुमति नहीं दी है, जिसका खामियाजा यहां के कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है.

भोपाल। मध्यप्रदेश के कर्मचारियों को कर्मचारी सह बचत योजना के तहत मिलने वाली राशि पिछले 25 सालों से नहीं बढ़ी है. इसको लेकर कर्मचारियों में काफी आक्रोश है. कर्मचारियों ने मांग की है कि कमलनाथ सरकार अपना वादा निभाए और आगामी बजट में इस मद में राशि बढाए. जिससे कर्मचारी की सेवा के दौरान मौत होने पर परिवार का जीवनयापन आसानी से हो सके.

मप्र में कर्मचारियों की मौत सबसे सस्ती

कर्मचारियों के लिए कर्मचारी बीमा सह बचत योजना लागू है, जिसमें कर्मचारी से ली गई राशि का 35% हिस्सा प्रीमियम के रूप में और 65% हिस्सा बचत खाते में जमा किया जाता है. जिसे कर्मचारियों की सेवा के दौरान मृत्यु के बाद उसके परिजनों को एकमुश्त राशि दी जाती है. जो चतुर्थ श्रेणी के लिए सवा लाख रुपए और तृतीय वर्ग के कर्मचारियों के लिए ढाई लाख रुपए है, लेकिन 1995 के बाद से इस राशि को नहीं बढ़ाया गया है.

इसी मांग को लेकर कमलनाथ सरकार ने इस राशि को दोगुना करने का वादा किया था, लेकिन बजट घोषणा और कैबिनेट की मुहर लगने के बाद भी आज तक आदेश जारी नहीं हो सका है. सरकार का कहना है कि इस योजना की राशि दोगुनी करने के लिए केंद्र सरकार से अनुमति लेना जरूरी है. पर केंद्र सरकार प्रदेश में कांग्रेस सरकार होने के चलते इसकी अनुमति नहीं दी है, जिसका खामियाजा यहां के कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है.

Intro:भोपाल। मप्र में काम करने वाले कर्मचारियों की अगर व्यथा सुने, तो उनका कहना है कि प्रदेश में कर्मचारियों की मौत सबसे सस्ती है। दरअसल मप्र में कर्मचारियों के लिए कर्मचारी बीमा सह बचत योजना लागू है। जिसके अनुसार कर्मचारी की सेवाकाल में मौत होने पर एक निश्चित राशि कर्मचारी के परिवार को दी जाती है। लेकिन ताज्जुब की बात यह है कि पिछले 25 सालों से प्रदेश के कर्मचारियों को वही राशि मिल रही है,जो 1995 में हासिल होती थी।शिवराज सरकार ने अपने आखिरी बजट में कर्मचारियों को लुभाने के लिए इस राशि को दोगुना करने का वादा किया। लेकिन प्रदेश में सरकार बदल जाने पर केंद्र सरकार ने मप्र के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। प्रदेश के कर्मचारियों को कमलनाथ की सरकार से उम्मीद है कि वह किसी ना किसी तरह कर्मचारियों की मौत पर एक सम्मानजनक राशि उनके परिवार को दिलाएं।


Body:अगर पूरे देश के लिहाज से देखा जाए तो मप्र में कर्मचारियों की मौत सबसे सस्ती है। ऐसी बात इसलिए कही जा सकती है कि मप्र में कर्मचारियों के लिए बीमा साहिब बचत योजना लागू है। इस योजना में कर्मचारी से जो राशि ली जाती है। उसका 35% हिस्सा प्रीमियम के रूप में लिया जाता है और 65% हिस्सा बचत खाते में जमा किया जाता है। कर्मचारियों की मृत्यु के उपरांत उसके परिवार को एक राशि दी जाती है। जो चतुर्थ श्रेणी के लिए सवा लाख रुपए और तृतीय वर्ग के कर्मचारियों के लिए ढाई लाख रुपए है।यह राशि लगभग 1995 से कर्मचारियों के लिए दी जा रही है। लेकिन इस बीच महंगाई कई गुना बढ़ चुकी है और जीवन यापन कठिन हो गया है। इसलिए मृतक कर्मचारी के परिवार के लिए यह राशि पर्याप्त नहीं होती है।

शिवराज सरकार ने अपने अंतिम बजट में स्पष्ट रूप से घोषणा की थी कि जो राशि कर्मचारियों को मृत्यु उपरांत दी जाती है,उसे बढ़ाकर दोगुना किया जाएगा। कर्मचारियों की हिस्सेदारी भी दोगुनी की जाएगी। लेकिन आश्चर्य की बात है कि बजट घोषणा और कैबिनेट की मुहर लगने के बाद आज तक आदेश जारी नहीं हो सका है. इसमें जो सबसे बड़ा पेच फंसा हुआ है,वह यह है कि राज्य सरकार को इस योजना की राशि दोगुनी करने के लिए केंद्र सरकार की अनुमति लेना है। लेकिन केंद्र सरकार द्वारा अनुमति इसलिए नहीं दी जा रही है. क्योंकि मप्र में कांग्रेस की सरकार है। इसका सारा खामियाजा मप्र के कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है।


Conclusion:इस मामले में मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांतीय महामंत्री लक्ष्मीनारायण शर्मा कहते हैं कि कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में इस राशि को बढ़ाने की बात कही थी। तो निश्चित रूप से हम सरकार से अपेक्षा करते हैं कि जो पिछले बजट में समूह बीमा बचत योजना की राशि बढ़ाई गई थी।उसके ऊपर आगामी बजट में घोषणा कर क्रियान्वयन किया जाएगा। ताकि मप्र में कर्मचारियों की मौत पर ऐसी राशि मिल सके। जिससे उसका परिवार संकट से उबर सके।

वहीं इस मामले में राज्य कर्मचारी कल्याण आयोग के सदस्य वीरेंद्र खोंगल का कहना है कि मृत्यु के बाद की बीमा की राशि में वृद्धि होना चाहिए।केंद्र सरकार और बीजेपी की सरकार हमेशा कर्मचारी विरोधी रही है। जहां एक तरफ तो बीजेपी की सरकार ने आज तक राशि में वृद्धि नहीं की। तो कमलनाथ सरकार ने एक स्वास्थ्य बीमा बहुत अच्छी तरह के से लागू किया है। जिसमें हमारे नियमित कार्यभारित संविदा कर्मचारियों और पेंशनर्स को शामिल किया गया है। इसमें कर्मचारियों को 5 लाख तक की राशि सामान्य बीमारियों के लिए और गंभीर बीमारियों के लिए 10 लाख तक की राशि दी जाएगी। इस पर हमारी कर्मचारी संगठनों की सामान्य प्रशासन विभाग के साथ बैठक में सहमति भी हो गई है।
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