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नर्मदा घाटी के दो ठेकों में फंसा पेंच, हटाए जा सकते हैं पीएस वित्त मनोज गोविल - खरगोन में नर्मदा घाटी का प्रोजेक्ट

नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के चर्चित ठेकों को लेकर वित्त विभाग पर दवाब बढ़ गया है. सूत्रों की माने तो इन ठेकों की स्वीकृति नहीं हुई तो वित्त विभाग के प्रमुख सचिव मनोज गोविल का तबादला किया जा सकता है.

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Published : Jul 29, 2021, 8:53 PM IST

भोपाल। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के चर्चित ठेकों को लेकर वित्त विभाग पर दवाब बढ़ गया है. सूत्रों की माने तो इन ठेकों की स्वीकृति नहीं हुई तो वित्त विभाग के प्रमुख सचिव मनोज गोविल का तबादला तय है. सरकार ने जल्दबाजी में बिना वित्तीय स्वीकृति के बढ़ी दरों पर यह ठेके अप्रूव तो कर दिए, लेकिन खबर है कि अब उनके वर्क ऑर्डर जारी करने में वित्त विभाग ने अडंगा लगा दिया है, लिहाजा दो माह बाद वर्क ऑर्डर जारी नहीं हो सके हैं. अब गेंद वित्त विभाग के पाले में हैं.

दो ठेकों पर बढ़ता विवाद

नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के दो ठेकों के विवाद का मामला सुलझता नजर नहीं आ रहा है. सूत्रों की माने तो अब वित्त विभाग ने इन दोनों मामलों को एप्रूवल देने से मना कर दिया है. खबर है कि वित्त विभाग रेवेन्यू असिस्मेंट की बैठक में ये मामले ले जाने वाला है. सूत्रों का दावा है कि बिना वित्तीय स्वीकृति के चिंकी बैराज नरसिंहपुर और खरगोन के इन मामलों की निविदा जारी कर दी गई थी. वित्त विभाग ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है.

दरअसल कोई भी टेंडर तकनीकि, प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति के बाद ही जारी किया जा सकता है. इन मामलों में ऐसा नहीं हुआ. इसलिए सीएम की अध्यक्षता वाली हाईपावर कमेटी के एप्रूवल के बाद भी दोनों मामलों के कार्यादेष जारी नहीं हो सके हैं. सूत्रों का कहना है कि यदि वित्त विभाग ने दोनों मामलों में स्वीकृति नहीं दी, तो प्रमुख सचिव वित्त मनोज गोविल का हटना तय है.

वित्त विभाग ने जताई कड़ी आपत्ति

8 जून को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली हाईपाॅवर कमेटी ने इन दोनों मामलों को अपना एप्रूवल दे दिया था, लेकिन ईटीवी भारत ने इस मामले में गहरी पड़ताल कर खुलासा किया था कि बिना सक्षम अनुमतियों/स्वीकृतियों के हाई पाॅवर कमेटी ने दोनो निविदाएं एप्रूव कर दी हैं. तभी से यह मामला नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण और वित्त विभाग के बीच झूल रहा है. सूत्रों का दावा है कि वित्त विभाग को इस बात पर कड़ी आपत्ति है कि बिना वित्तीय स्वीकृति के आखिर नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण टेंडर राशि बढ़ाकर कैसे निविदा जारी कर दी.

जल्द होगी वित्त विभाग की बैठक

सूत्रों ने बताया कि प्रमुख सचिव वित्त जल्द ही इन दोनों मामलों को लेकर वित्तीय समिति की बैठक आयोजित कर रहे हैं. हो सकता है कि यह बैठक इसी हप्ते में हो जाए. इस बैठक के निर्णय पर ही निर्भर करेगा कि एनवीडीए द्वारा निविदा की बढ़ाई गई राशि स्वीकृत की जाती है या पूरी प्रक्रिया दोबारा से हो. ईमानदार छवि वाले प्रमुख सचिव वित्त मनोज गोविल को इस मामले में निर्णय लेना है. उल्लेखनीय है कि मार्च 2021 में जारी इन निविदाओं में 1578 करोड़ रुपए की राशि बढ़ा दी गई थी, जो मूल प्रस्ताव से 23 प्रतिशत अधिक थी.

इन दो ठेकों को लेकर खड़ा हुआ विवाद

नर्मदा नदी पर बनने वाले बांधों के इन प्रोजेक्ट में से एक नरसिंहपुर जिले का चिंकी बैराज और दूसरा खरगोन का है. चिंकी प्रोजेक्ट की बिड 5434 करोड़ की और खरगोन प्रोजेक्ट की बिड 2959 करोड़ रुपए की विगत मार्च 2021 में जारी हुई थी. इस दोनों प्रोजेक्ट की बिड ओपनिंग 23 अप्रेल 2021 हुई थी, जबकि फाइनेंशियल बिड ओपनिंग 13 मई 2021 को हुई. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हाईपावर कमेटी ने 8 जून 2021 को इन दोनों प्रोजेक्ट की बिड को एप्रूवल दिया. प्रोजेक्ट एप्रूवल के बाद जब जब मामला हाई पाॅवर कमेटी के सामने रखा गया तो गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई थी और वे बैठक छोड़कर चले गए थे.

सरकार बदलते ही कुल 1578 करोड़ काॅस्ट बढ़ी

विश्वस्त सूत्रों और प्रमाणों के अनुसार नर्मदा विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) द्वारा पिछले साल ही 10 प्रोजेक्ट स्वीकृति के लिए तैयार किए गए थे. तत्कालीन कमलनाथ सरकार के समय इन दस परियोजनाओं पर करीब 22 हजार करोड़ रुपए खर्च होना थे. कमलनाथ सरकार इनकी बिड जारी कर पाती, इसके पहले ही कमलनाथ सरकार गिर गई.

खबर यह है कि हाईपावर कमेटी ने जिन दो प्रोजेक्ट को एप्रूव्ड किया है, उनमें चिंकी प्रोजेक्ट 4453 करोड़ और खरगोन का प्रोजेक्ट 2359 करोड़ रुपए का प्रस्तावित था. प्रोजेक्ट की यह अनुमानित राशि फरवरी 2020 में एनवीडीए ने तमाम तकनीकि रिसर्च के बाद तय की थी, लेकिन एक साल बाद मार्च 2021 में इन दोनो प्रोजेक्ट की लागत में लगभग 1578 करोड़ रुपए बढ़ोत्तरी कर दी गई. इनमें चिंकी प्रोजेक्ट में 978 करोड रुपए और खरगोन के प्रोजेक्ट की काॅस्ट 600 करोड़ रुपए बढ़ा दी गई है.

भोपाल। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के चर्चित ठेकों को लेकर वित्त विभाग पर दवाब बढ़ गया है. सूत्रों की माने तो इन ठेकों की स्वीकृति नहीं हुई तो वित्त विभाग के प्रमुख सचिव मनोज गोविल का तबादला तय है. सरकार ने जल्दबाजी में बिना वित्तीय स्वीकृति के बढ़ी दरों पर यह ठेके अप्रूव तो कर दिए, लेकिन खबर है कि अब उनके वर्क ऑर्डर जारी करने में वित्त विभाग ने अडंगा लगा दिया है, लिहाजा दो माह बाद वर्क ऑर्डर जारी नहीं हो सके हैं. अब गेंद वित्त विभाग के पाले में हैं.

दो ठेकों पर बढ़ता विवाद

नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के दो ठेकों के विवाद का मामला सुलझता नजर नहीं आ रहा है. सूत्रों की माने तो अब वित्त विभाग ने इन दोनों मामलों को एप्रूवल देने से मना कर दिया है. खबर है कि वित्त विभाग रेवेन्यू असिस्मेंट की बैठक में ये मामले ले जाने वाला है. सूत्रों का दावा है कि बिना वित्तीय स्वीकृति के चिंकी बैराज नरसिंहपुर और खरगोन के इन मामलों की निविदा जारी कर दी गई थी. वित्त विभाग ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है.

दरअसल कोई भी टेंडर तकनीकि, प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति के बाद ही जारी किया जा सकता है. इन मामलों में ऐसा नहीं हुआ. इसलिए सीएम की अध्यक्षता वाली हाईपावर कमेटी के एप्रूवल के बाद भी दोनों मामलों के कार्यादेष जारी नहीं हो सके हैं. सूत्रों का कहना है कि यदि वित्त विभाग ने दोनों मामलों में स्वीकृति नहीं दी, तो प्रमुख सचिव वित्त मनोज गोविल का हटना तय है.

वित्त विभाग ने जताई कड़ी आपत्ति

8 जून को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली हाईपाॅवर कमेटी ने इन दोनों मामलों को अपना एप्रूवल दे दिया था, लेकिन ईटीवी भारत ने इस मामले में गहरी पड़ताल कर खुलासा किया था कि बिना सक्षम अनुमतियों/स्वीकृतियों के हाई पाॅवर कमेटी ने दोनो निविदाएं एप्रूव कर दी हैं. तभी से यह मामला नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण और वित्त विभाग के बीच झूल रहा है. सूत्रों का दावा है कि वित्त विभाग को इस बात पर कड़ी आपत्ति है कि बिना वित्तीय स्वीकृति के आखिर नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण टेंडर राशि बढ़ाकर कैसे निविदा जारी कर दी.

जल्द होगी वित्त विभाग की बैठक

सूत्रों ने बताया कि प्रमुख सचिव वित्त जल्द ही इन दोनों मामलों को लेकर वित्तीय समिति की बैठक आयोजित कर रहे हैं. हो सकता है कि यह बैठक इसी हप्ते में हो जाए. इस बैठक के निर्णय पर ही निर्भर करेगा कि एनवीडीए द्वारा निविदा की बढ़ाई गई राशि स्वीकृत की जाती है या पूरी प्रक्रिया दोबारा से हो. ईमानदार छवि वाले प्रमुख सचिव वित्त मनोज गोविल को इस मामले में निर्णय लेना है. उल्लेखनीय है कि मार्च 2021 में जारी इन निविदाओं में 1578 करोड़ रुपए की राशि बढ़ा दी गई थी, जो मूल प्रस्ताव से 23 प्रतिशत अधिक थी.

इन दो ठेकों को लेकर खड़ा हुआ विवाद

नर्मदा नदी पर बनने वाले बांधों के इन प्रोजेक्ट में से एक नरसिंहपुर जिले का चिंकी बैराज और दूसरा खरगोन का है. चिंकी प्रोजेक्ट की बिड 5434 करोड़ की और खरगोन प्रोजेक्ट की बिड 2959 करोड़ रुपए की विगत मार्च 2021 में जारी हुई थी. इस दोनों प्रोजेक्ट की बिड ओपनिंग 23 अप्रेल 2021 हुई थी, जबकि फाइनेंशियल बिड ओपनिंग 13 मई 2021 को हुई. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हाईपावर कमेटी ने 8 जून 2021 को इन दोनों प्रोजेक्ट की बिड को एप्रूवल दिया. प्रोजेक्ट एप्रूवल के बाद जब जब मामला हाई पाॅवर कमेटी के सामने रखा गया तो गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई थी और वे बैठक छोड़कर चले गए थे.

सरकार बदलते ही कुल 1578 करोड़ काॅस्ट बढ़ी

विश्वस्त सूत्रों और प्रमाणों के अनुसार नर्मदा विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) द्वारा पिछले साल ही 10 प्रोजेक्ट स्वीकृति के लिए तैयार किए गए थे. तत्कालीन कमलनाथ सरकार के समय इन दस परियोजनाओं पर करीब 22 हजार करोड़ रुपए खर्च होना थे. कमलनाथ सरकार इनकी बिड जारी कर पाती, इसके पहले ही कमलनाथ सरकार गिर गई.

खबर यह है कि हाईपावर कमेटी ने जिन दो प्रोजेक्ट को एप्रूव्ड किया है, उनमें चिंकी प्रोजेक्ट 4453 करोड़ और खरगोन का प्रोजेक्ट 2359 करोड़ रुपए का प्रस्तावित था. प्रोजेक्ट की यह अनुमानित राशि फरवरी 2020 में एनवीडीए ने तमाम तकनीकि रिसर्च के बाद तय की थी, लेकिन एक साल बाद मार्च 2021 में इन दोनो प्रोजेक्ट की लागत में लगभग 1578 करोड़ रुपए बढ़ोत्तरी कर दी गई. इनमें चिंकी प्रोजेक्ट में 978 करोड रुपए और खरगोन के प्रोजेक्ट की काॅस्ट 600 करोड़ रुपए बढ़ा दी गई है.

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