भोपाल। मध्य प्रदेश में दक्षिण अफ्रीका से चीता लाने का रास्ता साफ हो गया है. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority) ने दक्षिण अफ्रीका (South Africa) से मध्य प्रदेश चीता लाए जाने की प्रोजेक्ट पर अपनी सहमति दे दी है. वन विभाग को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण का सहमति पत्र मिल गया है. कूनो में चीतों के लिए विशेष बाड़े का निर्माण कार्य अगस्त माह तक पूरा करने की समय सीमा दी गई है. नवंबर माह के अंत तक दक्षिण अफ्रीका से चीता लाए जाएंगे. इसके साथ ही देश में करीब 73 साल बाद दिखाई देंगे. माना जाता है कि 1947 में सरगुजा महाराज रामानुशरण सिंह के साथ ली गई तस्वीर आखरी थी. वर्ष 1952 से चीता को देश में विलुप्त जीव घोषित कर दिया गया था.
प्रोजेक्ट चीता के लिए एनटीसीए ने जारी की टाइमलाइन
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने दक्षिण अफ्रीका से चीता लाए जाने के लिए टाइमलाइन जारी की है. पहले चरण में नवंबर माह के अंत तक 14 चीते लाए जाएंगे. इन्हें कूनो पालपुर नेशनल पार्क में रखा जाएगा. इसके लिए तैयारियां करने भारत सरकार 14 करोड़ रुपए देगा.
- कूनो में चीतों के लिए विशेष बाड़े का निर्माण अगस्त तक पूरा करना होगा.
- एनटीसीए जून माह के आखिर तक जरूरी इंतजामों के लिए राशि जारी करेगा.
- एनटीसीए जून और जुलाई माह में निरीक्षण करेगी और और ट्रेनिंग देगी.
- 14 चीता लाने के लिए जुलाई माह तक आयात शुल्क जमा कर परमिट लिया जाएगा.
- जुलाई माह तक टेलिमेट्री उपकरण खरीदे जाएंगे.
- सितंबर और अक्टूबर माह में दक्षिण अफ्रीका जाकर चीता लाने की प्रक्रिया शुरू होगी. इस दौरान लाए जाने वाले चीतों का टीकाकरण किया जाएगा.
- जुलाई में चीता लाने के लिए पिंजरे खरीदे जाएंगे और नवंबर माह में चीतों का अंतरराष्ट्रीय परिवहन होगा.
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सुप्रीम कोर्ट से मिल चुकी है मंजूरी
मध्य प्रदेश में चीता लाए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट से पहले ही परमिशन मिल चुकी है. दरअसल गुजरात के गिर अभ्यारण से एशियाटिक लायन ना मिलने की स्थिति में भारत सरकार ने वर्ष 2010 में कूनो में चीता बसाने की योजना बनाई थी. हालांकि इसके खिलाफ एक याचिका दायर होने के कारण कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी. सुनवाई पूरी होने के बाद जनवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे मंजूरी देते हुए साधिकार समिति की निगरानी का जिम्मा सौंप दिया था. भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के विशेषज्ञ कूनो को चीता के लिए पहले ही बेहतर स्थान मान चुके हैं. दक्षिण अफ्रीका के विशेषज्ञ भी कूनो में 2 दिन रुक कर पूरी व्यवस्था देख चुके हैं. उन्होंने भी चीतों के लिए इस स्थान को बेहतर माना है.