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चंबल में डकैत तो नहीं बचे फिर भी डकैती अधिनियम लागू, धाराएं लगना कब होगीं बंद? - MP DAKAITE AND KIDNAPPING ACT 1981

चंबल अंचल में डकैतों के खात्मे और उनकी दहशत कम करने के लिए मध्य प्रदेश डकैती और व्यपहरण प्रभावित क्षेत्र अधिनियम-1981 लागू किया गया था.

MP DAKAITE AND KIDNAPPING ACT 1981
मध्य प्रदेश डकैती और व्यपहरण प्रभावित क्षेत्र अधिनियम-1981 (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 11, 2025, 6:01 PM IST

Updated : Jan 11, 2025, 7:51 PM IST

ग्वालियर (पीयूष श्रीवास्तव): चंबल और चंबल के बीहड़ों की सूरत और सीरत अब बदल चुकी है, जो बीहड़ कभी डकैतों का सराय हुआ करते थे आज उसी ग्वालियर चंबल अंचल में फिल्में बन रही हैं, पर्यटन को बढ़ावा दिया जा रहा है. लेकिन आज भी यहां जो नहीं बदला वह है डकैती अधिनियम. चंबल में डकैतों के लिए बनाया गया मध्य प्रदेश डकैती और व्यपहरण प्रभावित क्षेत्र अधिनियम 1981 आज भी लागू है.

जिस चंबल में कभी बंदूक की गूंज से गांव के गांव थरथराते थे, डकैतों के खौफ में जीने को मजबूर हुआ करते थे, उस चंबल में बीते डेढ़ दशक से कोई डकैत नहीं बचा. इसके बावजूद पुलिस के रिकॉर्ड में अब भी डकैती की धारायें लग रही हैं. डकैतों के लिए बनाई गई धाराएं आज भी पुलिस द्वारा ग्वालियर चंबल अंचल में प्रचलन में हैं. ये धारायें कई बार लोगों का भविष्य भी खराब कर देती हैं.

चंबल में डकैत तो नहीं बचे फिर भी डकैती अधिनियम लागू (ETV Bharat)

क्या खत्म होगा डकैती अधिनियम!

ग्वालियर चंबल में अभी भी लोगों पर डकैती की धाराएं लगाई जा रही हैं. ऐसे में अब डकैती अधिनियम को समाप्त किए जाने पर विचार चल रहा है और इसके लिए पुलिस के आला अधिकारियों से भी ओपिनियन मांगे गए हैं. क्योंकि इस अधिनियम का उपयोग अब मोबाइल झपटने, अपहरण और बलवा जैसी घटनाओं में किया जा रहा है. कानून के जानकारों का भी मानना है कि डकैती अधिनियम को खत्म करना चाहिए.

क्या है डकैती अधिनियम?

मध्य प्रदेश में जहां कभी डकैतों का बोलबाला हुआ करता था, उन क्षेत्रों में 7 अक्टूबर 1981 को मध्य प्रदेश डकैती और व्यपहरण प्रभावित क्षेत्र अधिनियम लागू किया गया था. इस अधिनियम के लागू होने के बाद प्रदेश के दस्यु प्रभावित क्षेत्र रीवा और ग्वालियर चंबल अंचल के जिलों में कई डकैतों पर इस अधिनियम की धाराओं के तहत मामले दर्ज हुए. इसमें डकैती, लूट, अपहरण जैसी वारदातें शामिल थीं.

MADHYA PRADESH DAKAITE ADHINIYAM
मध्य प्रदेश डकैती और व्यपहरण प्रभावित क्षेत्र अधिनियम (ETV Bharat)

आज भी यह अधिनियम ग्वालियर चंबल के ग्वालियर, शिवपुरी, श्योपुर, दतिया, भिंड, मुरैना और रीवा जोन के रीवा और सतना जिलों में प्रभावी है. डकैती अधिनियम की खासियत ही यही थी कि इसकी धाराओं में त्वरित जमानत का प्रावधान ही नहीं है और इन केस में सुनवाई भी विशेष न्यायालय द्वारा की जाती है.

क्यों लागू किया गया था डकैती अधिनियम

  • डकैती और व्यपहरण प्रभावित क्षेत्र अधिनियम 1981 मध्य प्रदेश में 7 अक्टूबर 1981 में लागू हुआ.
  • ये एक्ट डकैती लूट अपहरण जैसी वारदातों के लिए जिम्मेदार डकैतों और समूह डकैती के लिए लाया गया.
  • डकैती अधिनियम दस्यु प्रभावित जिलों में उपयोग में लाया जाता है.
  • मध्यप्रदेश के ग्वालियर, शिवपुरी, श्योपुर, दतिया, भिंड, मुरैना, रीवा और सतना जिलों में प्रभावी.
  • डकैती एक्ट की धाराओं में आरोपी को अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं.
  • डकैती अधिनियम की धाराओं में दर्ज प्रकरण की सुनवाई विशेष अदालत द्वारा की जाती है.

कैसे भविष्य खराब कर रहा डकैती अधिनियम?

मूल रूप से डकैती अधिनियम डकैतों के लिए बनाया गया था, जो डकैती और अपहरण जैसी वारदातों को अंजाम दिया करते थे. लेकिन पिछले कुछ सालों में ऐसे मामले भी दर्ज हुए हैं जिनमें डकैती की धाराएं सवाल खड़े करती हैं.

robbery cases in 2024
2024 में डकैती के मामले (ETV Bharat)

उदाहरण के लिए पहला मामला- डबरा पुलिस थाने में केदार रावत के खिलाफ लूट और डकैती का मामला दर्ज है. फ़रियादी के अनुसार केदार ने अपने भाइयों के साथ मिलकर न्यायालय परिसर में फरियादी और पेशे से वकील चंद्रभान मीणा के साथ मारपीट कर उनकी सोने की चेन लूटी थी. जबकि आरोपी केदार के मुताबिक उसका वकील चंद्रभान से जमीनी विवाद था.

उदाहरण के लिए दूसरा मामला- 11 दिसंबर 2023 की रात का है जो काफी चर्चित रहा. ट्रेन के जरिये दिल्ली से ग्वालियर आ रहे पीके यूनिवर्सिटी के कुलपति को मुरैना में दिल का दौरा पड़ा. ग्वालियर में जब एम्बुलेंस नहीं मिली तो लॉ स्टूडेंट सुकृत और हिमांशु ने स्टेशन पर खड़ी एक न्यायाधीश की कार बिना अनुमति लिए छीन ली और कुलपति को अस्पताल पहुंचाया. इस केस में बाद में दोनों छात्रों पर लूट और डकैती का मामला दर्ज हुआ जो विचाराधीन है.

gwalior chambal dacoits
ग्वालियर-चंबल के डकैत (ETV Bharat)

2024 में कहां-कितने डकैती के मामले

बात अगर आंकड़ों की करें तो जनवरी से अक्टूबर 2024 तक इन जिलों में डकैती के मामले दर्ज किए हैं.

  • ग्वालियर- 35 केस
  • शिवपुरी - 19 केस
  • भिंड - 15 केस
  • मुरैना- 12 केस
  • दतिया - 11 केस
  • श्योपुर- 04 केस
  • रीवा - 04 केस
  • सतना- 06 केस

कानूनी जानकारों का मानना खत्म होना चाहिए एक्ट

इस तरह के मामलों को लेकर अब कानून के जानकारों का पक्ष है कि लूट, मारपीट, चोरी जैसी घटनाओं में भी शिकायतकर्ता और पुलिस डकैती की धाराएं लगा रहे हैं जो ठीक नहीं है. हाईकोर्ट के वकील एडवोकेट अवधेश सिंह का कहना है कि "पुलिस द्वारा डकैती की धारा 11/13 का उपयोग चंबल संभाग और रीवा संभाग में किया जाता है लेकिन चंबल संभाग में अब इसका दुरुपयोग देखने में आ रहा है."

"आज के समय में छोटे अपराधों में भी युवाओं पर डकैती अधिनियम की धारा 11/13 लगा दी जाती है जिसकी वजह से बच्चों का भविष्य खराब होता है. इसलिए सरकार को भी इस ओर कदम उठाने चाहिए. सत्ता और विपक्ष दोनों दलो के विधायकों को विधानसभा में यह विषय उठाना चाहिए कि जब चंबल में अब डकैत नहीं बचे तो इस धारा को समाप्त करने के लिए प्रयास करना चाहिए."

Madhya Pradesh robbery act
मध्य प्रदेश में डकैत अधिनियम (ETV Bharat)

डकैती अधिनियम पर बीजेपी नेता की राय

बीजेपी सांसद भारत सिंह कुशवाहा कहते हैं कि "कई बार एफआईआर तो दर्ज हो जाती है, लेकिन उसकी जांच भी होती है. क्योंकि किसी घटना की रिपोर्ट लेना गलत नहीं है. जांच में सब सामने आ जाता है अगर किसी का गलत नाम लिखता है तो पुलिस उसे बाहर निकालने का भी काम करती है."

डकैती अधिनियम पर कांग्रेस नेता की राय

कांग्रेस नेता आर पी सिंह का कहते हैं कि "ग्वालियर चंबल अंचल में दस्यु समस्या बहुत पहले खत्म हो चुकी है और सरकार भी इसका दावा करती है. लेकिन इस क्षेत्र में डकैती की धाराओं का दुरुपयोग पुलिस और शासन के लोग आज भी कर रहे हैं. कई ऐसे केस है जिनमें किसी वजह से मासूम बच्चों पर डकैती की धाराएं लगा दी गई और आज तक उन्हें जमानत नहीं मिल रही है. जिस वजह से उनका करियर तक समाप्त हो जाता है."

आरपी सिंह का कहना है भारत सरकार दावा करती है कि "आईपीसी और सीआरपीसी हटा दी, लेकिन डकैती एक्ट को हटाना चाहिए. उन्होंने गृह मंत्रालय से भी मांग रखी है कि, ऐसा अधिनियम जो प्रचलन में नहीं है जिसकी अब सार्थकता नहीं है उसे समाप्त कर देना चाहिए जिससे कि उसका दुरुपयोग ना हो सके."

'आला अफसरों से मांगे गए हैं ओपिनियन'

डकैती अधिनियम को समाप्त करने की इस मांग पर पुलिस मुख्यालय भी विचार कर रहा है. क्योंकि प्रदेश पुलिस महकमे के कई बड़े अफसरों से इस बारे में विचार विमर्श किया गया है. ग्वालियर संभाग के आईजी अरविंद कुमार सक्सेना भी मानते हैं कि "ग्वालियर चंबल अंचल में संगठित या गैंग डकैती की समस्या काफी पहले समाप्त हो चुकी है. आज भी कुछ मामलों में डकैती एवं व्यपहरण प्रभावित क्षेत्र अधिनियम 1981 की धारा 11/13 का उपयोग किया जाता है. खासकर यह धारा विशेषकर पूर्व में लूट और डकैती जैसी घटनाओं में संलिप्त रहे अपराधियों के लिए उपयोग होता है."

आईजी अरविंद कुमार सक्सेना का कहना है कि "मध्य प्रदेश डकैती एवं व्यपहरण प्रभावित क्षेत्र अधिनियम 1981 को समाप्त करने को लेकर मुख्यालय स्तर के अधिकारियों से विचार लिए गए हैं. पुलिस मुख्यालय और शासन द्वारा संयुक्त रूप से इस पर निर्णय लिया जाना है जो भी निर्णय होगा उसे लागू किया जाएगा और अगर ऐसे डकैती अधिनियम को समाप्त किया जाता है तो इसका उपयोग ही नहीं होगा."

ग्वालियर (पीयूष श्रीवास्तव): चंबल और चंबल के बीहड़ों की सूरत और सीरत अब बदल चुकी है, जो बीहड़ कभी डकैतों का सराय हुआ करते थे आज उसी ग्वालियर चंबल अंचल में फिल्में बन रही हैं, पर्यटन को बढ़ावा दिया जा रहा है. लेकिन आज भी यहां जो नहीं बदला वह है डकैती अधिनियम. चंबल में डकैतों के लिए बनाया गया मध्य प्रदेश डकैती और व्यपहरण प्रभावित क्षेत्र अधिनियम 1981 आज भी लागू है.

जिस चंबल में कभी बंदूक की गूंज से गांव के गांव थरथराते थे, डकैतों के खौफ में जीने को मजबूर हुआ करते थे, उस चंबल में बीते डेढ़ दशक से कोई डकैत नहीं बचा. इसके बावजूद पुलिस के रिकॉर्ड में अब भी डकैती की धारायें लग रही हैं. डकैतों के लिए बनाई गई धाराएं आज भी पुलिस द्वारा ग्वालियर चंबल अंचल में प्रचलन में हैं. ये धारायें कई बार लोगों का भविष्य भी खराब कर देती हैं.

चंबल में डकैत तो नहीं बचे फिर भी डकैती अधिनियम लागू (ETV Bharat)

क्या खत्म होगा डकैती अधिनियम!

ग्वालियर चंबल में अभी भी लोगों पर डकैती की धाराएं लगाई जा रही हैं. ऐसे में अब डकैती अधिनियम को समाप्त किए जाने पर विचार चल रहा है और इसके लिए पुलिस के आला अधिकारियों से भी ओपिनियन मांगे गए हैं. क्योंकि इस अधिनियम का उपयोग अब मोबाइल झपटने, अपहरण और बलवा जैसी घटनाओं में किया जा रहा है. कानून के जानकारों का भी मानना है कि डकैती अधिनियम को खत्म करना चाहिए.

क्या है डकैती अधिनियम?

मध्य प्रदेश में जहां कभी डकैतों का बोलबाला हुआ करता था, उन क्षेत्रों में 7 अक्टूबर 1981 को मध्य प्रदेश डकैती और व्यपहरण प्रभावित क्षेत्र अधिनियम लागू किया गया था. इस अधिनियम के लागू होने के बाद प्रदेश के दस्यु प्रभावित क्षेत्र रीवा और ग्वालियर चंबल अंचल के जिलों में कई डकैतों पर इस अधिनियम की धाराओं के तहत मामले दर्ज हुए. इसमें डकैती, लूट, अपहरण जैसी वारदातें शामिल थीं.

MADHYA PRADESH DAKAITE ADHINIYAM
मध्य प्रदेश डकैती और व्यपहरण प्रभावित क्षेत्र अधिनियम (ETV Bharat)

आज भी यह अधिनियम ग्वालियर चंबल के ग्वालियर, शिवपुरी, श्योपुर, दतिया, भिंड, मुरैना और रीवा जोन के रीवा और सतना जिलों में प्रभावी है. डकैती अधिनियम की खासियत ही यही थी कि इसकी धाराओं में त्वरित जमानत का प्रावधान ही नहीं है और इन केस में सुनवाई भी विशेष न्यायालय द्वारा की जाती है.

क्यों लागू किया गया था डकैती अधिनियम

  • डकैती और व्यपहरण प्रभावित क्षेत्र अधिनियम 1981 मध्य प्रदेश में 7 अक्टूबर 1981 में लागू हुआ.
  • ये एक्ट डकैती लूट अपहरण जैसी वारदातों के लिए जिम्मेदार डकैतों और समूह डकैती के लिए लाया गया.
  • डकैती अधिनियम दस्यु प्रभावित जिलों में उपयोग में लाया जाता है.
  • मध्यप्रदेश के ग्वालियर, शिवपुरी, श्योपुर, दतिया, भिंड, मुरैना, रीवा और सतना जिलों में प्रभावी.
  • डकैती एक्ट की धाराओं में आरोपी को अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं.
  • डकैती अधिनियम की धाराओं में दर्ज प्रकरण की सुनवाई विशेष अदालत द्वारा की जाती है.

कैसे भविष्य खराब कर रहा डकैती अधिनियम?

मूल रूप से डकैती अधिनियम डकैतों के लिए बनाया गया था, जो डकैती और अपहरण जैसी वारदातों को अंजाम दिया करते थे. लेकिन पिछले कुछ सालों में ऐसे मामले भी दर्ज हुए हैं जिनमें डकैती की धाराएं सवाल खड़े करती हैं.

robbery cases in 2024
2024 में डकैती के मामले (ETV Bharat)

उदाहरण के लिए पहला मामला- डबरा पुलिस थाने में केदार रावत के खिलाफ लूट और डकैती का मामला दर्ज है. फ़रियादी के अनुसार केदार ने अपने भाइयों के साथ मिलकर न्यायालय परिसर में फरियादी और पेशे से वकील चंद्रभान मीणा के साथ मारपीट कर उनकी सोने की चेन लूटी थी. जबकि आरोपी केदार के मुताबिक उसका वकील चंद्रभान से जमीनी विवाद था.

उदाहरण के लिए दूसरा मामला- 11 दिसंबर 2023 की रात का है जो काफी चर्चित रहा. ट्रेन के जरिये दिल्ली से ग्वालियर आ रहे पीके यूनिवर्सिटी के कुलपति को मुरैना में दिल का दौरा पड़ा. ग्वालियर में जब एम्बुलेंस नहीं मिली तो लॉ स्टूडेंट सुकृत और हिमांशु ने स्टेशन पर खड़ी एक न्यायाधीश की कार बिना अनुमति लिए छीन ली और कुलपति को अस्पताल पहुंचाया. इस केस में बाद में दोनों छात्रों पर लूट और डकैती का मामला दर्ज हुआ जो विचाराधीन है.

gwalior chambal dacoits
ग्वालियर-चंबल के डकैत (ETV Bharat)

2024 में कहां-कितने डकैती के मामले

बात अगर आंकड़ों की करें तो जनवरी से अक्टूबर 2024 तक इन जिलों में डकैती के मामले दर्ज किए हैं.

  • ग्वालियर- 35 केस
  • शिवपुरी - 19 केस
  • भिंड - 15 केस
  • मुरैना- 12 केस
  • दतिया - 11 केस
  • श्योपुर- 04 केस
  • रीवा - 04 केस
  • सतना- 06 केस

कानूनी जानकारों का मानना खत्म होना चाहिए एक्ट

इस तरह के मामलों को लेकर अब कानून के जानकारों का पक्ष है कि लूट, मारपीट, चोरी जैसी घटनाओं में भी शिकायतकर्ता और पुलिस डकैती की धाराएं लगा रहे हैं जो ठीक नहीं है. हाईकोर्ट के वकील एडवोकेट अवधेश सिंह का कहना है कि "पुलिस द्वारा डकैती की धारा 11/13 का उपयोग चंबल संभाग और रीवा संभाग में किया जाता है लेकिन चंबल संभाग में अब इसका दुरुपयोग देखने में आ रहा है."

"आज के समय में छोटे अपराधों में भी युवाओं पर डकैती अधिनियम की धारा 11/13 लगा दी जाती है जिसकी वजह से बच्चों का भविष्य खराब होता है. इसलिए सरकार को भी इस ओर कदम उठाने चाहिए. सत्ता और विपक्ष दोनों दलो के विधायकों को विधानसभा में यह विषय उठाना चाहिए कि जब चंबल में अब डकैत नहीं बचे तो इस धारा को समाप्त करने के लिए प्रयास करना चाहिए."

Madhya Pradesh robbery act
मध्य प्रदेश में डकैत अधिनियम (ETV Bharat)

डकैती अधिनियम पर बीजेपी नेता की राय

बीजेपी सांसद भारत सिंह कुशवाहा कहते हैं कि "कई बार एफआईआर तो दर्ज हो जाती है, लेकिन उसकी जांच भी होती है. क्योंकि किसी घटना की रिपोर्ट लेना गलत नहीं है. जांच में सब सामने आ जाता है अगर किसी का गलत नाम लिखता है तो पुलिस उसे बाहर निकालने का भी काम करती है."

डकैती अधिनियम पर कांग्रेस नेता की राय

कांग्रेस नेता आर पी सिंह का कहते हैं कि "ग्वालियर चंबल अंचल में दस्यु समस्या बहुत पहले खत्म हो चुकी है और सरकार भी इसका दावा करती है. लेकिन इस क्षेत्र में डकैती की धाराओं का दुरुपयोग पुलिस और शासन के लोग आज भी कर रहे हैं. कई ऐसे केस है जिनमें किसी वजह से मासूम बच्चों पर डकैती की धाराएं लगा दी गई और आज तक उन्हें जमानत नहीं मिल रही है. जिस वजह से उनका करियर तक समाप्त हो जाता है."

आरपी सिंह का कहना है भारत सरकार दावा करती है कि "आईपीसी और सीआरपीसी हटा दी, लेकिन डकैती एक्ट को हटाना चाहिए. उन्होंने गृह मंत्रालय से भी मांग रखी है कि, ऐसा अधिनियम जो प्रचलन में नहीं है जिसकी अब सार्थकता नहीं है उसे समाप्त कर देना चाहिए जिससे कि उसका दुरुपयोग ना हो सके."

'आला अफसरों से मांगे गए हैं ओपिनियन'

डकैती अधिनियम को समाप्त करने की इस मांग पर पुलिस मुख्यालय भी विचार कर रहा है. क्योंकि प्रदेश पुलिस महकमे के कई बड़े अफसरों से इस बारे में विचार विमर्श किया गया है. ग्वालियर संभाग के आईजी अरविंद कुमार सक्सेना भी मानते हैं कि "ग्वालियर चंबल अंचल में संगठित या गैंग डकैती की समस्या काफी पहले समाप्त हो चुकी है. आज भी कुछ मामलों में डकैती एवं व्यपहरण प्रभावित क्षेत्र अधिनियम 1981 की धारा 11/13 का उपयोग किया जाता है. खासकर यह धारा विशेषकर पूर्व में लूट और डकैती जैसी घटनाओं में संलिप्त रहे अपराधियों के लिए उपयोग होता है."

आईजी अरविंद कुमार सक्सेना का कहना है कि "मध्य प्रदेश डकैती एवं व्यपहरण प्रभावित क्षेत्र अधिनियम 1981 को समाप्त करने को लेकर मुख्यालय स्तर के अधिकारियों से विचार लिए गए हैं. पुलिस मुख्यालय और शासन द्वारा संयुक्त रूप से इस पर निर्णय लिया जाना है जो भी निर्णय होगा उसे लागू किया जाएगा और अगर ऐसे डकैती अधिनियम को समाप्त किया जाता है तो इसका उपयोग ही नहीं होगा."

Last Updated : Jan 11, 2025, 7:51 PM IST
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