भोपाल। मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों में टीचर्स की कमी किसी से छिपी नहीं है. प्रदेश के कई सरकारी स्कूल एक-एक टीचर्स के भरोसे चल रहे हैं. सूबे के सरकारी स्कूलों में बच्चों को निशुल्क पढ़ाने के लिए करीब 1 लाख 27 हजार लोगों ने वालंटियर्स के रूप में अपना पंजीयन कराया है. यह लोग बच्चों को स्कूल में जाकर अपना पसंदीदा सब्जेक्ट पढ़ाएंगे. स्कूल चलें हम अभियान सोमवार से शुरू होने जा रहा है. अभियान के एक दिन पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बच्चों और आम लोगों को संबोधित किया. सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि "स्कूल चलें अभियान से कलाकार, खिलाड़ी, उद्योगपति, सरकारी कर्मचारी-अधिकारी, जनप्रतिनिधि जुड़ें और अपना सामाजिक दायित्व निभाएं. इसके लिए सोमवार से तीन दिन का भविष्य से भेंट कार्यक्रम भी शुरू होने जा रहा है.
1 लाख 27 हजार वालंटियर्स जुडे़: 'स्कूल चलें हम' अभियान के तहत सरकारी स्कूलों से आम लोगों को वालंटियर के रूप में जोड़ने के लिए आग्रह किया जा रहा है. प्रदेश में कुल 93 हजार 192 सरकारी स्कूल और 63 हजार 357 पंजीकृत स्कूल हैं. इन स्कूलों से जुड़ने के लिए करीब 1 लाख 27 लोगों ने वालंटियर के रूप में अपना पंजीयन कराया है. इसके लिए लोगों को अपने मोबाइल को रजिस्टर्ड कराकर संबंधित जानकारी भरनी होती है.
केन्द्र की योजना से जुड़े 1618 लोग: सरकारी स्कूलों में टीचर्स की कमी को देखते हुए केन्द्र सरकार द्वारा स्कूलों से वालंटियर्स के रूप में लोगों को जोड़ने 'विद्यांजलि योजना' शुरू की है. इसमें कोई भी पढ़ा-लिखा व्यक्ति वालंटियर्स के तौर पर सरकारी स्कूल से जुड़कर बच्चों को पढ़ा सकता है. इसके लिए इस योजना से प्रदेश के 15,378 सरकारी स्कूलों को जोड़ा गया. हालांकि इन स्कूलों से अभी तक सिर्फ 1618 लोग ही जुड़े हैं. सबसे ज्यादा ग्वालियर से 119 लोग बच्चों को निशुल्क पढ़ाने के लिए आगे आए हैं. 1,337 लोग स्कूलों में सहयोग के लिए आगे आए हैं. वैसे स्कूल चलें अभियान के तहत बड़ी संख्या में लोग वालंटियर्स के रूप में अपना रजिस्ट्रेशन तो करा लेते हैं, लेकिन अधिकांश बाद में स्कूल पहुंचते ही नहीं. इस साल देखना होगा कि इसको लेकर लोग कितनी गंभीरता दिखाते हैं.
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सीएम बोले-मदद के लिए आगे आएं: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि "स्कूल जाकर बच्चों को एक पीरियड पढ़ाने और उन्हें अपने अनुभव से अवगत कराने की जरूरत है. स्कूल के पूर्व-विद्यार्थी यह सोचें कि आज जीवन में जहां भी पहुंचे हैं, उनका जीवन स्कूल ने संवारा है, इसलिए स्कूल के प्रति अपना दायित्व निभाना चाहिए. सभी माता-पिता बच्चों को स्कूल भेजें. कोई भी बच्चा स्कूल जाने से वंचित नहीं रहना चाहिए."