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मध्य प्रदेश की पहली ग्रीन बिल्डिंग का 13 साल से इंतजार, लागत पहुंची 158 करोड़ रुपये, निर्माण पूरा करने की नई डेडलाइन जारी - (MP Green Building work pending)

भोपाल में मध्य प्रदेश की पहली ग्रीन बिल्डिंग साल 2008 से बन रही है. इसका निर्माण कार्य 13 वर्ष में भी नहीं पूरा हो सका, लेकिन अब ग्रीन बिल्डिंग का निर्माण पूरा करने की डेडलाइन दे दी गई है. (MP Green Building work pending)

MP Green Building work pending from last 13 years new deadline issued
मध्य प्रदेश की पहली ग्रीन बिल्डिंग का 13 साल से इंतजार
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Published : Feb 11, 2022, 11:46 AM IST

भोपाल। आमतौर पर बड़ी से बड़ी बिल्डिंग बनाने में 3 से 4 साल का वक्त लगता है, लेकिन एक बिल्डिंग ऐसी है, जिसका काम 13 साल से ज्यादा का वक्त बीतने के बाद भी पूरा नहीं हो पाया. यह बिल्डिंग वन विभाग का मुख्यालय है, जिसका निर्माण 2008 में शुरू किया गया, जो अब तक पूरा नहीं हो पाया. हालांकि, रिवाइज बजट जारी होने के बाद अब इस बिल्डिंग के जल्द पूर्ण होने की उम्मीद जागी है. इसके लिए नए सिरे से टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली गई है. वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक 15 नवंबर तक इस बिल्डिंग का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा.

MP Green Building work pending from last 13 years
निर्माणाधीन ग्रीन बिल्डिंग भोपाल

13 साल में बिल्डिंग की कॉस्ट हुई दोगुनी
बिल्डिंग के निर्माण कार्य में देरी के चलते इसकी निर्माण लागत दो गुनी हो चुकी है. पूर्व में जहां इस बिल्डिंग की निर्माण लागत 78 करोड़ रुपए तय की गई थी, वो अब बढ़कर 158 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है. हालांकि पूर्व में निर्माण लागत बढ़ने के लिए इसको दो चरणों में बांट दिया गया. इसके तहत पहले फेस के लिए 78 करोड़ रुपए मंजूर किए गए थे. बाद में दूसरे चरण के लिए 80 करोड़ रुपए का राज्य सरकार के पास रिवाइज स्टीमेट भेजा गया, लेकिन यह करीब दो साल तक पेंडिंग पड़ा रहा और अब तीन माह पहले सरकार ने इसे मंजूरी दे दी है.

अब 15 नवंबर तक की डेडलाइन
वन विभाग के अपर मुख्य वन संरक्षक सुनील अग्रवाल के मुताबिक बिल्डिंग के बजट का रिवीजन कैबिनेट के माध्यम से करा लिया गया है. बिल्डिंग के अधूरे कार्य को पूरा करने के लिए एमपी टूरिज्म ने टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली है और इसके बाद अब सफल निविदा कार को 15 नवंबर तक की डेडलाइन दी गई है. बिल्डिंग का काम समय सीमा में पूरा हो सके इसके लिए वन विभाग के प्रमुख सचिव खुद लगातार इसकी समीक्षा कर रहे हैं, उम्मीद है कि यह समय सीमा में पूरा हो जाएगा.

अपर मुख्य वन संरक्षक का क्या कहना है ग्रीन बिल्डिंग के निर्माण में देरी पर

साल 2008 में शुरु हुआ था काम
वन विभाग मुख्यालय के लिए भवन का भूमिपूजन 27 जुलाई 2008 में किया गया था. उस वक्त दावा किया गया था कि यह प्रदेश की पहली ग्रीन बिल्डिंग होगी. इस भवन का भूमि पूजन तत्कालीन वनमंत्री विजय शाह ने किया था, जो अभी भी प्रदेश के वन मंत्री हैं. यह बिल्डिंग राजधानी के लिंक रोड नंबर दो पर तीन लाख वर्गफीट पर बनाई जानी है. बिल्डिंग का हर कोना हमेशा प्राकृतिक रौशनी से रोशन रहे, इसके लिए इस बिल्डिंग को 8 के आकार में बनाया जा रहा है. इस बिल्डिंग में डबल ग्लास वर्क, सोलर पैनल सिस्टम, सेंसर बेस्ड एचबीएसी वातानुकूलित सिस्टम, सीवेज और गारबेज ट्रीटमेंट सिस्टम भी होगा. हालांकि, ग्रीन रेटिंग इंटीग्रेटेड हेबिटेट एसोसिएशन की 3.5 रेटिंग के लिए तय मापदंडों के आधार पर इस बिल्डिंग को बनाया जाना था.

अधिकारियों की गलतियां पड़ीं भारी
वन विभाग मुख्यालय भवन बनने में अधिकारियों की लापरवाही भारी पड़ी. आनन फानन में 27 जुलाई 2008 को बिल्डिंग का भूमिपूजन तो करा दिया गया, लेकिन इसके पहले विभाग ने जमीन का आधिपत्य ही नहीं लिया, जबकि यहां पहले एक झुग्गी बस्ती थी. बाद में इसको लेकर विरोध शुरू हो गया. यहां तक कि स्थानीय विधायक उमाशंकर गुप्ता ने भी इसे हटाने का विरोध किया. जैसे-तैसे जमीन का आधिपत्य मिला, लेकिन इस बीच अधिकारियों के तबादले हो गए. बाद में आए अफसरों ने इसमें बहुत ज्यादा रुचि नहीं दिखाई. 6 साल में इसके स्ट्रक्चर का काम पूरा हुआ, लेकिन लंबा समय गुजर जाने के चलते इसकी निर्माण लागत बढ़ गई, जिससे निर्माण एजेंसी ने काम करने से हाथ खड़े कर दिए. बाद में निर्माण एजेंसी आमरनतोश इंफ्राटेड प्राइवेट लिमिटेड ने काम ही छोड़ दिया.

Green Building
भोपाल: ग्रीन बिल्डिंग का 13 साल से इंतजार

किराए के भवन में चल रहे कार्यालय
वन विभाग और वन्यप्राणी मुख्यालय दो अलग-अलग किराए के भवनों में संचालित हो रहा है. वन मुख्यालय सतपुड़ा भवन और वन्यप्राणी मुख्यालय दो अलग-अलग भवनों में संचालित हो रहा है. इसका एक भवन सतपुड़ा भवन में और दूसरा भोपाल विकास प्राधिकरण की बिल्डिंग में चल रहा है. इसके अलावा वन विभाग के अन्य कार्यालय भी अलग-अलग स्थानों में चल रहे हैं.

कैसी होती हैं ग्रीन बिल्डिंग ?
ग्रीन बिल्डिंग का अर्थ एक ऐसे निर्मित ढांचे तथा संसाधनों से भरपूर एक ऐसे भवन से है जो पर्यावरण प्रेमी होता है. जिसके निर्माण, रखरखाव, नवीकरण तथा ध्वस्त होने का वातावरण पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता. ग्रीन बिल्डिंग्स ऐसी क्रियाओं, कौशलों तथा तकनीकों का शानदार प्रदर्शन है, जिनका वातावरण तथा मानवीय स्वास्थ्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता. ग्रीन बिल्डिंग्स नवीकरण योग्य संसाधनों को महत्त्व देती हैं. उदाहरण के लिये सोलर तथा फोटो वोल्टायक उपकरणों के माध्यम से सूर्य की रोशनी का प्रयोग करना. साथ ही हरित छतों में पौधों तथा वृक्षों को लगाना, वर्षा के पानी के बहाव को कम करना और रेन गार्डंस बनाना.

(MP Green Building in Bhopal) (MP Green Building work pending)

भोपाल। आमतौर पर बड़ी से बड़ी बिल्डिंग बनाने में 3 से 4 साल का वक्त लगता है, लेकिन एक बिल्डिंग ऐसी है, जिसका काम 13 साल से ज्यादा का वक्त बीतने के बाद भी पूरा नहीं हो पाया. यह बिल्डिंग वन विभाग का मुख्यालय है, जिसका निर्माण 2008 में शुरू किया गया, जो अब तक पूरा नहीं हो पाया. हालांकि, रिवाइज बजट जारी होने के बाद अब इस बिल्डिंग के जल्द पूर्ण होने की उम्मीद जागी है. इसके लिए नए सिरे से टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली गई है. वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक 15 नवंबर तक इस बिल्डिंग का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा.

MP Green Building work pending from last 13 years
निर्माणाधीन ग्रीन बिल्डिंग भोपाल

13 साल में बिल्डिंग की कॉस्ट हुई दोगुनी
बिल्डिंग के निर्माण कार्य में देरी के चलते इसकी निर्माण लागत दो गुनी हो चुकी है. पूर्व में जहां इस बिल्डिंग की निर्माण लागत 78 करोड़ रुपए तय की गई थी, वो अब बढ़कर 158 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है. हालांकि पूर्व में निर्माण लागत बढ़ने के लिए इसको दो चरणों में बांट दिया गया. इसके तहत पहले फेस के लिए 78 करोड़ रुपए मंजूर किए गए थे. बाद में दूसरे चरण के लिए 80 करोड़ रुपए का राज्य सरकार के पास रिवाइज स्टीमेट भेजा गया, लेकिन यह करीब दो साल तक पेंडिंग पड़ा रहा और अब तीन माह पहले सरकार ने इसे मंजूरी दे दी है.

अब 15 नवंबर तक की डेडलाइन
वन विभाग के अपर मुख्य वन संरक्षक सुनील अग्रवाल के मुताबिक बिल्डिंग के बजट का रिवीजन कैबिनेट के माध्यम से करा लिया गया है. बिल्डिंग के अधूरे कार्य को पूरा करने के लिए एमपी टूरिज्म ने टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली है और इसके बाद अब सफल निविदा कार को 15 नवंबर तक की डेडलाइन दी गई है. बिल्डिंग का काम समय सीमा में पूरा हो सके इसके लिए वन विभाग के प्रमुख सचिव खुद लगातार इसकी समीक्षा कर रहे हैं, उम्मीद है कि यह समय सीमा में पूरा हो जाएगा.

अपर मुख्य वन संरक्षक का क्या कहना है ग्रीन बिल्डिंग के निर्माण में देरी पर

साल 2008 में शुरु हुआ था काम
वन विभाग मुख्यालय के लिए भवन का भूमिपूजन 27 जुलाई 2008 में किया गया था. उस वक्त दावा किया गया था कि यह प्रदेश की पहली ग्रीन बिल्डिंग होगी. इस भवन का भूमि पूजन तत्कालीन वनमंत्री विजय शाह ने किया था, जो अभी भी प्रदेश के वन मंत्री हैं. यह बिल्डिंग राजधानी के लिंक रोड नंबर दो पर तीन लाख वर्गफीट पर बनाई जानी है. बिल्डिंग का हर कोना हमेशा प्राकृतिक रौशनी से रोशन रहे, इसके लिए इस बिल्डिंग को 8 के आकार में बनाया जा रहा है. इस बिल्डिंग में डबल ग्लास वर्क, सोलर पैनल सिस्टम, सेंसर बेस्ड एचबीएसी वातानुकूलित सिस्टम, सीवेज और गारबेज ट्रीटमेंट सिस्टम भी होगा. हालांकि, ग्रीन रेटिंग इंटीग्रेटेड हेबिटेट एसोसिएशन की 3.5 रेटिंग के लिए तय मापदंडों के आधार पर इस बिल्डिंग को बनाया जाना था.

अधिकारियों की गलतियां पड़ीं भारी
वन विभाग मुख्यालय भवन बनने में अधिकारियों की लापरवाही भारी पड़ी. आनन फानन में 27 जुलाई 2008 को बिल्डिंग का भूमिपूजन तो करा दिया गया, लेकिन इसके पहले विभाग ने जमीन का आधिपत्य ही नहीं लिया, जबकि यहां पहले एक झुग्गी बस्ती थी. बाद में इसको लेकर विरोध शुरू हो गया. यहां तक कि स्थानीय विधायक उमाशंकर गुप्ता ने भी इसे हटाने का विरोध किया. जैसे-तैसे जमीन का आधिपत्य मिला, लेकिन इस बीच अधिकारियों के तबादले हो गए. बाद में आए अफसरों ने इसमें बहुत ज्यादा रुचि नहीं दिखाई. 6 साल में इसके स्ट्रक्चर का काम पूरा हुआ, लेकिन लंबा समय गुजर जाने के चलते इसकी निर्माण लागत बढ़ गई, जिससे निर्माण एजेंसी ने काम करने से हाथ खड़े कर दिए. बाद में निर्माण एजेंसी आमरनतोश इंफ्राटेड प्राइवेट लिमिटेड ने काम ही छोड़ दिया.

Green Building
भोपाल: ग्रीन बिल्डिंग का 13 साल से इंतजार

किराए के भवन में चल रहे कार्यालय
वन विभाग और वन्यप्राणी मुख्यालय दो अलग-अलग किराए के भवनों में संचालित हो रहा है. वन मुख्यालय सतपुड़ा भवन और वन्यप्राणी मुख्यालय दो अलग-अलग भवनों में संचालित हो रहा है. इसका एक भवन सतपुड़ा भवन में और दूसरा भोपाल विकास प्राधिकरण की बिल्डिंग में चल रहा है. इसके अलावा वन विभाग के अन्य कार्यालय भी अलग-अलग स्थानों में चल रहे हैं.

कैसी होती हैं ग्रीन बिल्डिंग ?
ग्रीन बिल्डिंग का अर्थ एक ऐसे निर्मित ढांचे तथा संसाधनों से भरपूर एक ऐसे भवन से है जो पर्यावरण प्रेमी होता है. जिसके निर्माण, रखरखाव, नवीकरण तथा ध्वस्त होने का वातावरण पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता. ग्रीन बिल्डिंग्स ऐसी क्रियाओं, कौशलों तथा तकनीकों का शानदार प्रदर्शन है, जिनका वातावरण तथा मानवीय स्वास्थ्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता. ग्रीन बिल्डिंग्स नवीकरण योग्य संसाधनों को महत्त्व देती हैं. उदाहरण के लिये सोलर तथा फोटो वोल्टायक उपकरणों के माध्यम से सूर्य की रोशनी का प्रयोग करना. साथ ही हरित छतों में पौधों तथा वृक्षों को लगाना, वर्षा के पानी के बहाव को कम करना और रेन गार्डंस बनाना.

(MP Green Building in Bhopal) (MP Green Building work pending)

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