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रेल पहियों के रखरखाव के लिए लेजर तकनीक का इस्तेमाल - RAIL WHEEL WEAR INSPECTION

व्हील प्रोफाइल प्रबंधन प्रणाली का उपयोग व्हील घिसाव निरीक्षण, ब्रेक डिस्क माप, व्हील बैक-टू-बैक और व्यास माप, रेल घिसाव निरीक्षण के उपयोगी है.

RAIL WHEEL WEAR INSPECTION
पूर्वोत्तर सीमा रेलवे ने लेजर आधारित व्हील प्रोफाइल प्रबंधन प्रणाली की शुरुआत की है. (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 11, 2025, 7:59 PM IST

नई दिल्ली: पूर्वोत्तर सीमा रेलवे ने लेजर आधारित व्हील प्रोफाइल प्रबंधन प्रणाली की शुरुआत की है. यह प्रणाली रेल के पहियों के रखरखाव और सुरक्षा में सहयोगी है. मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) कपिंजल किशोर शर्मा ने इस प्रणाली की विशेषता और इससे होने वाली सुविधा के बारे में बताया कि, "इस नई प्रणाली में दो प्रकार की माप तकनीकें शामिल हैं कैलिप्री सी42 और कैलिप्री प्राइम. ये दोनों प्रणालियां गैर-संपर्क व्हील प्रोफाइल माप सेंसर हैं, जो आधुनिक तकनीक का उपयोग करके पहियों की माप करती हैं."

सीपीआरओ ने कहा कि, ये उपकरण हल्के और पोर्टेबल होने के कारण, इन्हें आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है. इन्हें चलाना बेहद आसान है, जिससे तकनीशियनों को कम समय में अधिक काम करने में मदद मिलेगी. यह प्रणाली ऑपरेटर के प्रभाव से स्वतंत्र होती हैं और सटीक परिणाम प्रदान करती हैं, माप में कोई त्रुटि नहीं रहती. इन प्रणालियों का उपयोग व्हील घिसाव निरीक्षण, ब्रेक डिस्क माप, व्हील बैक-टू-बैक और व्यास माप और रेल घिसाव निरीक्षण जैसे कार्यों के लिए किया जा सकता है.

कैलिप्री सी42 और कैलिप्री प्राइम की विशेषता
कैलिप्री सी42: यह उपकरण व्हील प्रोफाइल, ब्रेक डिस्क की चौड़ाई, व्हील का व्यास, टायर की मोटाई और व्हील क्लीयरेंस को माप सकता है. यह विशेष रूप से व्हील प्रोफाइल माप पर केंद्रित है, इसमें व्हील के आयामों को मापने के लिए सेंसर और कैलिब्रेशन उपकरण शामिल हैं, जो सेंसर डिस्प्ले पर प्रदर्शित होते हैं. इन मापों की तुलना पूर्वनिर्धारित सीमा मान के साथ की जा सकती है, जिससे किसी भी अंतर का पता चल सके.

रेलवे के लिए महत्व
सीपीआरओ कपिंजल किशोर शर्मा ने बताया कि ट्रेन के पहिये एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं जो यात्रियों के आराम और सुरक्षा पर सीधा प्रभाव डालते हैं. पहियों का आकार, ब्रेक डिस्क, रेल और स्विचों की प्रोफाइल को नियमित रूप से मापना आवश्यक है. कुशल व्हील सेट प्रोफाइल माप से समय पर रखरखाव कार्य किया जा सकता है, जिससे ट्रेन संचालन में लगने वाला समय कम हो जाता है. यह प्रणाली पहियों की सटीक माप करके किसी भी संभावित खतरे को कम करती है और रेल यात्रियों के लिए एक सुरक्षित और सुगम यात्रा सुनिश्चित करती है.

यह भी पढ़ें- एक ही ट्रैक पर आमने-सामने आ गईं दो ट्रेनें, जानिए फिर क्या हुआ...

नई दिल्ली: पूर्वोत्तर सीमा रेलवे ने लेजर आधारित व्हील प्रोफाइल प्रबंधन प्रणाली की शुरुआत की है. यह प्रणाली रेल के पहियों के रखरखाव और सुरक्षा में सहयोगी है. मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) कपिंजल किशोर शर्मा ने इस प्रणाली की विशेषता और इससे होने वाली सुविधा के बारे में बताया कि, "इस नई प्रणाली में दो प्रकार की माप तकनीकें शामिल हैं कैलिप्री सी42 और कैलिप्री प्राइम. ये दोनों प्रणालियां गैर-संपर्क व्हील प्रोफाइल माप सेंसर हैं, जो आधुनिक तकनीक का उपयोग करके पहियों की माप करती हैं."

सीपीआरओ ने कहा कि, ये उपकरण हल्के और पोर्टेबल होने के कारण, इन्हें आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है. इन्हें चलाना बेहद आसान है, जिससे तकनीशियनों को कम समय में अधिक काम करने में मदद मिलेगी. यह प्रणाली ऑपरेटर के प्रभाव से स्वतंत्र होती हैं और सटीक परिणाम प्रदान करती हैं, माप में कोई त्रुटि नहीं रहती. इन प्रणालियों का उपयोग व्हील घिसाव निरीक्षण, ब्रेक डिस्क माप, व्हील बैक-टू-बैक और व्यास माप और रेल घिसाव निरीक्षण जैसे कार्यों के लिए किया जा सकता है.

कैलिप्री सी42 और कैलिप्री प्राइम की विशेषता
कैलिप्री सी42: यह उपकरण व्हील प्रोफाइल, ब्रेक डिस्क की चौड़ाई, व्हील का व्यास, टायर की मोटाई और व्हील क्लीयरेंस को माप सकता है. यह विशेष रूप से व्हील प्रोफाइल माप पर केंद्रित है, इसमें व्हील के आयामों को मापने के लिए सेंसर और कैलिब्रेशन उपकरण शामिल हैं, जो सेंसर डिस्प्ले पर प्रदर्शित होते हैं. इन मापों की तुलना पूर्वनिर्धारित सीमा मान के साथ की जा सकती है, जिससे किसी भी अंतर का पता चल सके.

रेलवे के लिए महत्व
सीपीआरओ कपिंजल किशोर शर्मा ने बताया कि ट्रेन के पहिये एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं जो यात्रियों के आराम और सुरक्षा पर सीधा प्रभाव डालते हैं. पहियों का आकार, ब्रेक डिस्क, रेल और स्विचों की प्रोफाइल को नियमित रूप से मापना आवश्यक है. कुशल व्हील सेट प्रोफाइल माप से समय पर रखरखाव कार्य किया जा सकता है, जिससे ट्रेन संचालन में लगने वाला समय कम हो जाता है. यह प्रणाली पहियों की सटीक माप करके किसी भी संभावित खतरे को कम करती है और रेल यात्रियों के लिए एक सुरक्षित और सुगम यात्रा सुनिश्चित करती है.

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