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केंद्र सरकार ने शुरू कराया महात्मा गांधी पर ऑनलाइन कोर्स, कांग्रेस ने उठाए सवाल

केंद्र सरकार के कार्मिक एवं पेंशन विभाग द्वारा महात्मा गांधी पर शुरू किए गए ऑनलाइन कोर्स पर मध्यप्रदेश की सियासत गरमाई हुई है. एमपी कांग्रेस इस फैसले को लेकर केंद्र सरकारी की मंशा पर सवाल उठाए हैं.

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मध्यप्रदेश कांग्रेस ने मोदी सरकार की मंशा पर सवाल उठाए
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Published : Feb 7, 2020, 5:05 PM IST

भोपाल। केंद्र सरकार के कार्मिक एवं पेंशन विभाग ने केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए महात्मा गांधी पर ऑनलाइन कोर्स की शुरुआत की है. मोदी सरकार द्वारा शुरू किए गए इस कोर्स को लेकर सियासत शुरू हो गई है. कांग्रेस और समाजसेवी इस कोर्स को लेकर केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं.

मध्यप्रदेश कांग्रेस ने मोदी सरकार की मंशा पर सवाल उठाए

रेलिवेंस ऑफ गांधी इन दी कंटेंपरेरी वर्ल्ड नाम के इस कोर्स में केंद्र और राज्य सरकार के ए, बी और सी ग्रेड के कर्मचारी हिस्सा ले सकेंगे. कांग्रेस जहां इसे ढोंग बता रही है और कह रही है कि एक तरफ तो अपने नेताओं से गांधी को गाली दिलवाते हैं और दूसरी तरफ गांधी के नाम पर कोर्स चलाते हैं.

वहीं समाजसेवियों का कहना है कि आजादी के 70 साल बाद गांधी के मूल्यों को कर्मचारियों और अधिकारियों को अवगत कराने की जरूरत क्यों पड़ी है. ऐसा इसलिए हो रहा है कि सरकारी अधिकारी-कर्मचारी गांधी के मूल्यों के खिलाफ चल रहे हैं. कुल मिलाकर गांधी के नाम पर सियासत रुकने का नाम नहीं ले रही है और मौजूदा परिस्थितियों में आए दिन गांधी का नाम विवादों में घिरा रहता है.

'गांधी के नाम पर जनता को गुमराह करती है बीजेपी'
इस मामले में मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि यह एक तरह का ढोंग है. एक तरफ के भाजपा के लोग चाहे वह हेगड़े हो या दूसरे नेता हो वह गांधी को गाली दे रहे हैं, उनकी निंदा कर रहे हैं. आजादी के आंदोलन को कोस रहे हैं. दूसरी तरफ गांधी के हत्यारों का महिमामंडन कर रहे हैं, जिन लोगों ने अंग्रेजों की तारीफ की और उनसे तनख्वाह ली, उनकी तारीफ कर उन्हें वीर बताया जा रहा है.

ऐसे समय में जब राजसत्ता इस तरह के कामों में लिप्त है और उन्हें समर्थन देती है. तब इस तरह के कोर्स दुनिया और देश की जनता को भ्रम में रखने के लिए किया जा रहा है, इसकी क्या उपयोगिता है. अगर यह कोर्स आप वाकई में चलाना चाहते हैं, तो जनता के लिए चलाना चाहिए, जिसे आप गांधी के नाम पर गुमराह करते हैं.


'यह कोर्स जनता के होना चाहिए शुरू'
भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि यह कोर्स पाखंड है, ढोंग है. यह कोई स्वागत योग्य कदम नहीं है. यह कोर्स जनता के लिए शुरू होना चाहिए. वहीं दूसरी तरफ एक्टिविस्ट अजय दुबे कहते हैं कि भारत सरकार गांधीजी के बारे में अधिकारियों को उनके जीवन मूल्यों से ऑनलाइन कोर्स के जरिए अवगत करा रही है. 70 साल के बाद इस तरह का कोर्स चालू करना बताता है कि गांधीजी के जो सत्य, अहिंसा, ईमानदारी और सादगी के प्रयोग थे, वह अधिकारियों ने नहीं सीखे हैं.


'अधिकारियों पर होनी चाहिए कार्रवाई'
अजय दुबे ने कहा कि इससे लगता है कि अधिकारियों की ट्रेनिंग में कुछ कमी रह गई है. राजगढ़ में जिस तरह कलेक्टर ने लोगों और पुलिस वालों को मारा, निश्चित तौर पर यह गंभीर समस्या है. हम यह मानते हैं कि अधिकारियों को सिखाने के अलावा गांधी के सिद्धांतों का उल्लंघन करने पर कठोर कार्रवाई भी किया जाना चाहिए.

भोपाल। केंद्र सरकार के कार्मिक एवं पेंशन विभाग ने केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए महात्मा गांधी पर ऑनलाइन कोर्स की शुरुआत की है. मोदी सरकार द्वारा शुरू किए गए इस कोर्स को लेकर सियासत शुरू हो गई है. कांग्रेस और समाजसेवी इस कोर्स को लेकर केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं.

मध्यप्रदेश कांग्रेस ने मोदी सरकार की मंशा पर सवाल उठाए

रेलिवेंस ऑफ गांधी इन दी कंटेंपरेरी वर्ल्ड नाम के इस कोर्स में केंद्र और राज्य सरकार के ए, बी और सी ग्रेड के कर्मचारी हिस्सा ले सकेंगे. कांग्रेस जहां इसे ढोंग बता रही है और कह रही है कि एक तरफ तो अपने नेताओं से गांधी को गाली दिलवाते हैं और दूसरी तरफ गांधी के नाम पर कोर्स चलाते हैं.

वहीं समाजसेवियों का कहना है कि आजादी के 70 साल बाद गांधी के मूल्यों को कर्मचारियों और अधिकारियों को अवगत कराने की जरूरत क्यों पड़ी है. ऐसा इसलिए हो रहा है कि सरकारी अधिकारी-कर्मचारी गांधी के मूल्यों के खिलाफ चल रहे हैं. कुल मिलाकर गांधी के नाम पर सियासत रुकने का नाम नहीं ले रही है और मौजूदा परिस्थितियों में आए दिन गांधी का नाम विवादों में घिरा रहता है.

'गांधी के नाम पर जनता को गुमराह करती है बीजेपी'
इस मामले में मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि यह एक तरह का ढोंग है. एक तरफ के भाजपा के लोग चाहे वह हेगड़े हो या दूसरे नेता हो वह गांधी को गाली दे रहे हैं, उनकी निंदा कर रहे हैं. आजादी के आंदोलन को कोस रहे हैं. दूसरी तरफ गांधी के हत्यारों का महिमामंडन कर रहे हैं, जिन लोगों ने अंग्रेजों की तारीफ की और उनसे तनख्वाह ली, उनकी तारीफ कर उन्हें वीर बताया जा रहा है.

ऐसे समय में जब राजसत्ता इस तरह के कामों में लिप्त है और उन्हें समर्थन देती है. तब इस तरह के कोर्स दुनिया और देश की जनता को भ्रम में रखने के लिए किया जा रहा है, इसकी क्या उपयोगिता है. अगर यह कोर्स आप वाकई में चलाना चाहते हैं, तो जनता के लिए चलाना चाहिए, जिसे आप गांधी के नाम पर गुमराह करते हैं.


'यह कोर्स जनता के होना चाहिए शुरू'
भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि यह कोर्स पाखंड है, ढोंग है. यह कोई स्वागत योग्य कदम नहीं है. यह कोर्स जनता के लिए शुरू होना चाहिए. वहीं दूसरी तरफ एक्टिविस्ट अजय दुबे कहते हैं कि भारत सरकार गांधीजी के बारे में अधिकारियों को उनके जीवन मूल्यों से ऑनलाइन कोर्स के जरिए अवगत करा रही है. 70 साल के बाद इस तरह का कोर्स चालू करना बताता है कि गांधीजी के जो सत्य, अहिंसा, ईमानदारी और सादगी के प्रयोग थे, वह अधिकारियों ने नहीं सीखे हैं.


'अधिकारियों पर होनी चाहिए कार्रवाई'
अजय दुबे ने कहा कि इससे लगता है कि अधिकारियों की ट्रेनिंग में कुछ कमी रह गई है. राजगढ़ में जिस तरह कलेक्टर ने लोगों और पुलिस वालों को मारा, निश्चित तौर पर यह गंभीर समस्या है. हम यह मानते हैं कि अधिकारियों को सिखाने के अलावा गांधी के सिद्धांतों का उल्लंघन करने पर कठोर कार्रवाई भी किया जाना चाहिए.

Intro:भोपाल। केंद्र सरकार के कार्मिक एवं पेंशन विभाग ने केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए महात्मा गांधी पर ऑनलाइन कोर्स की शुरुआत की है। रेलिवेंस आफ गांधी इन दी कंटेंपरेरी वर्ल्ड नाम के इस कोर्स में केंद्र और राज्य सरकार के ए,बी और सी ग्रेड के कर्मचारी हिस्सा ले सकेंगे। मोदी सरकार द्वारा शुरू किए गए इस कोर्स को लेकर सियासत शुरू हो गई है। कांग्रेस और समाजसेवी इस कोर्स को लेकर केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं। कांग्रेस जहां इसे ढोंग बता रही है और कह रही है कि एक तरफ तो अपने नेताओं से गांधी को गाली दिलवाते हैं और दूसरी तरफ गांधी के नाम पर कोर्स चलाते हैं। वही समाजसेवियों का कहना है कि आजादी के 70 साल बाद गांधी के मूल्यों को कर्मचारियों और अधिकारियों को अवगत कराने की जरूरत क्यों पड़ी है। ऐसा इसलिए हो रहा है कि सरकारी अधिकारी कर्मचारी गांधी के मूल्यों के खिलाफ चल रहे हैं। कुल मिलाकर गांधी के नाम पर सियासत रुकने का नाम नहीं ले रही है और मौजूदा परिस्थितियों में आए दिन गांधी का नाम विवादों में घिरा रहता है।


Body:इस मामले में मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि यह एक तरह का ढोंग है। एक तरफ के भाजपा के लोग चाहे वह हेगड़े हो या दूसरे नेता हो वह गांधी को गाली दे रहे हैं, उनकी निंदा कर रहे हैं।आजादी के आंदोलन को कोस रहे हैं। दूसरी तरफ गांधी के हत्यारों का महिमामंडन कर रहे हैं। जिन लोगों ने अंग्रेजों की तारीफ की और उनसे तनख्वाह ली,उनकी तारीफ कर उन्हें वीर बताया जा रहा है। ऐसे समय में जब राजसत्ता इस तरह के कामों में लिप्त है और उन्हें समर्थन देती है। तब इस तरह के कोर्स दुनिया और देश की जनता को भ्रम में रखने के लिए किया जा रहा है, इसकी क्या उपयोगिता है।अगर यह कोर्स आप वाकई में चलाना चाहते हैं, तो जनता के लिए चलाना चाहिए।जिसे आप गांधी के नाम पर गुमराह करते हैं। ब्यूरोक्रेसी और इंजीनियर, डॉक्टर की जगह यह कोर्स जनता के लिए शुरू होना चाहिए। जनता समझे कि आज की तारीख में गांधी की तात्कालिकता क्या है। जिसको आप गुमराह करना चाहते हैं, उसको कहते हो कि कोर्स से हटवा दो, उनको गालियां दिलवा रहे हैं। जहां जरूरत नहीं है, उधर कोर्स करवाकर छवि चमकाना चाहते हो। यह कोर्स पाखंड है,ढोंग है। यह कोई स्वागत योग्य कदम नहीं है। यह कोर्स जनता के लिए शुरू होना चाहिए।


Conclusion:वहीं दूसरी तरफ एक्टिविस्ट अजय दुबे कहते हैं कि भारत सरकार गांधीजी के बारे में अधिकारियों को उनके जीवन मूल्यों से ऑनलाइन कोर्स के जरिए अवगत करा रही है। 70 साल के बाद इस तरह का कोर्स चालू करना बताता है कि गांधीजी के जो सत्य, अहिंसा, ईमानदारी और सादगी के प्रयोग थे। वह अधिकारियों ने नहीं सीखे हैं। इससे लगता है कि अधिकारियों की ट्रेनिंग में कुछ कमी रह गई है। राजगढ़ में जिस तरह कलेक्टर ने लोगों और पुलिस वालों को मारा,निश्चित तौर पर यह गंभीर समस्या है। हम यह मानते हैं कि अधिकारियों को सिखाने के अलावा गांधी के सिद्धांतों का उल्लंघन करने पर कठोर कार्रवाई भी किया जाना चाहिए।
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