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एक ही ट्रैक पर आमने-सामने आ गईं दो ट्रेनें, जानिए फिर क्या हुआ... - TWO METRO TRAINS ON SAME TRACK

एक ही रेलवे ट्रैक पर दो मेट्रो ट्रेन आमने-सामने आ गईं. इसको लेकर अफसरों ने सीबीटीसी तकनीक से हादसा होने की संभावना से इनकार किया.

Video grab of metros coming close on the same track in Hyderabad
हैदराबाद में एक ही ट्रैक पर मेट्रो के करीब आने का वीडियो (Social media)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 11, 2025, 4:28 PM IST

हैदराबाद: हाल ही में सोशल मीडिया में आएग एक वीडियो में दो मेट्रो ट्रेनें एक ही ट्रैक पर करीब आती दिख रही हैं. इससे यात्रियों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है. हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि स्थिति खतरनाक नहीं है, क्योंकि प्रत्येक ट्रेन में एक ही ट्रैक पर ट्रेनों के टकराने से बचने के लिए संचार-आधारित ट्रेन नियंत्रण (CBTC) प्रणाली है.

सीबीटीसी तकनीक क्या है?
अधिकारियों के मुताबिक हैदराबाद मेट्रो भारत में सीबीटीसी तकनीक शुरू करने वाली पहली मेट्रो थी और इस पहल से शहर में मेट्रो के संचालन और प्रबंधन में प्रगति हुई. उन्होंने बताया कि यह प्रणाली तीनों परिचालन गलियारों में चलने वाली प्रत्येक मेट्रो ट्रेन की आवाजाही पर नजर रखती है. वहीं टेक्नोलॉजी का प्रबंधन उप्पल स्थित परिचालन नियंत्रण केंद्र (OCC) द्वारा किया जाता है. इस संबंध में एक अधिकारी ने कहा, "सीबीटीसी के तहत, प्रत्येक मेट्रो ट्रेन ऑपरेटर त्रुटि-मुक्त नियंत्रण और आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए वास्तविक समय में ओसीसी के साथ संवाद करता है."

उन्होंने कहा, "इससे रेलगाड़ियों को 30 मीटर तक की कम दूरी पर संचालित करने की अनुमति मिलती है, जबकि गार्डरेल तकनीक के माध्यम से सुरक्षा सुनिश्चित होती है." उन्होंने कहा कि रेलगाड़ियां आपस में टकरा नहीं पाएंगी क्योंकि गार्डरेल तकनीक उन्हें खुद ही रोक देगी.

लोगों को चिंता करने की जरूरत नहीं
मेट्रो रेल के एमडी एनवीएस रेड्डी ने कहा कि सीबीटीसी प्रणाली “अत्यधिक परिष्कृत और विश्वसनीय” है और लोगों को चिंता नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा, "सीबीटीसी तकनीक यूरोप से प्रेरित है और एलएंडटी मेट्रो रेल को इसकी सिफारिश करने के बाद हैदराबाद मेट्रो द्वारा इसे भारत लाया गया. बाद में, पूरे देश में इसी तकनीक को लागू किया गया."

उन्होंने कहा, "रेलवे में यदि कोई ट्रेन आगे होती है तो उसे एक किलोमीटर की दूरी पर रोका जाता है. मेट्रो में यह दूरी 30 मीटर तक हो सकती है. व्यस्त समय में ट्रेनें एक-दूसरे के करीब आ सकती हैं और चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है." रेलवे में, अगर कोई दूसरी ट्रेन ट्रैक पर है तो उसे लगभग एक किलोमीटर दूर रोक दिया जाता है.

हालांकि, मेट्रो ट्रेन सबवे में 30 मीटर के करीब आ सकती है. भीड़भाड़ वाले घंटों के दौरान, ट्रेनें करीब आ सकती हैं, और CBTC की मौजूदगी में चिंता करने की कोई बात नहीं है. रेड्डी ने मेट्रो ट्रेनों के प्रबंधन और निगरानी तथा यात्रियों के लिए सुचारू और सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने में ओसीसी की भूमिका की भी सराहना की.

ये भी पढ़ें- आ गई एक और नई ट्रेन, नाम है अमृत भारत ट्रेन, वंदे भारत को देगी टक्कर

हैदराबाद: हाल ही में सोशल मीडिया में आएग एक वीडियो में दो मेट्रो ट्रेनें एक ही ट्रैक पर करीब आती दिख रही हैं. इससे यात्रियों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है. हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि स्थिति खतरनाक नहीं है, क्योंकि प्रत्येक ट्रेन में एक ही ट्रैक पर ट्रेनों के टकराने से बचने के लिए संचार-आधारित ट्रेन नियंत्रण (CBTC) प्रणाली है.

सीबीटीसी तकनीक क्या है?
अधिकारियों के मुताबिक हैदराबाद मेट्रो भारत में सीबीटीसी तकनीक शुरू करने वाली पहली मेट्रो थी और इस पहल से शहर में मेट्रो के संचालन और प्रबंधन में प्रगति हुई. उन्होंने बताया कि यह प्रणाली तीनों परिचालन गलियारों में चलने वाली प्रत्येक मेट्रो ट्रेन की आवाजाही पर नजर रखती है. वहीं टेक्नोलॉजी का प्रबंधन उप्पल स्थित परिचालन नियंत्रण केंद्र (OCC) द्वारा किया जाता है. इस संबंध में एक अधिकारी ने कहा, "सीबीटीसी के तहत, प्रत्येक मेट्रो ट्रेन ऑपरेटर त्रुटि-मुक्त नियंत्रण और आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए वास्तविक समय में ओसीसी के साथ संवाद करता है."

उन्होंने कहा, "इससे रेलगाड़ियों को 30 मीटर तक की कम दूरी पर संचालित करने की अनुमति मिलती है, जबकि गार्डरेल तकनीक के माध्यम से सुरक्षा सुनिश्चित होती है." उन्होंने कहा कि रेलगाड़ियां आपस में टकरा नहीं पाएंगी क्योंकि गार्डरेल तकनीक उन्हें खुद ही रोक देगी.

लोगों को चिंता करने की जरूरत नहीं
मेट्रो रेल के एमडी एनवीएस रेड्डी ने कहा कि सीबीटीसी प्रणाली “अत्यधिक परिष्कृत और विश्वसनीय” है और लोगों को चिंता नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा, "सीबीटीसी तकनीक यूरोप से प्रेरित है और एलएंडटी मेट्रो रेल को इसकी सिफारिश करने के बाद हैदराबाद मेट्रो द्वारा इसे भारत लाया गया. बाद में, पूरे देश में इसी तकनीक को लागू किया गया."

उन्होंने कहा, "रेलवे में यदि कोई ट्रेन आगे होती है तो उसे एक किलोमीटर की दूरी पर रोका जाता है. मेट्रो में यह दूरी 30 मीटर तक हो सकती है. व्यस्त समय में ट्रेनें एक-दूसरे के करीब आ सकती हैं और चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है." रेलवे में, अगर कोई दूसरी ट्रेन ट्रैक पर है तो उसे लगभग एक किलोमीटर दूर रोक दिया जाता है.

हालांकि, मेट्रो ट्रेन सबवे में 30 मीटर के करीब आ सकती है. भीड़भाड़ वाले घंटों के दौरान, ट्रेनें करीब आ सकती हैं, और CBTC की मौजूदगी में चिंता करने की कोई बात नहीं है. रेड्डी ने मेट्रो ट्रेनों के प्रबंधन और निगरानी तथा यात्रियों के लिए सुचारू और सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने में ओसीसी की भूमिका की भी सराहना की.

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