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MP Budget 2023: शायराना बजट, जुदा अंदाज में खूब होता है शेर, शायरी और कविताओं का इस्तेमाल

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Published : Feb 28, 2023, 6:29 PM IST

Updated : Feb 28, 2023, 7:25 PM IST

पंद्रहवीं विधानसभा का चौथा बजट पेश होने में कुछ ही घंटे बचे हैं. बजट में लोगों को सरकार से रियायतों की उम्मीद तो होती ही है, साथ ही इंतजार रहता है कि इस बार वित्त मंत्री अपनी बात किस शेर, शायरी या कविता के जरिए समझाएंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि हर साल विधानसभा में पेश होने वाले बजट में शेर, शायरी और कविताएं जरूरी पढ़ी जाती हैं और इनके मायने भी होते हैं. हर बार यह सुर्खियां भी बनती हैं.

mp budget day poetry
मध्य प्रदेश में शायराना बजट

भोपाल। तदबीर के दस्ते जर्रे से, तकदीर दरकशां होती है.. कुदरत भी मदद फरमाती है, जब कोशिशें इंसा होती है. ये पंक्तियां साल 2003 में बजट के भीतर शामिल की गई थीं. ऐसा हर साल होता है और बीते 19 साल में तो यह परंपरा सी बन गई है. मध्यप्रदेश विधानसभा में किसी भी सरकार द्वारा पेश किया जाने वाला यह 64वां बजट है. अब तक कुल 19 वित्त मंत्रियों ने बजट पेश किए हैं. ईटीवी भारत ने सभी बजट का एनालिसिस कर इनका शायराना अंदाज ढूंढ निकाला है. इनमें से कुछ में विचार तो कुछ में विवाद भी सामने आए.

19 साल में कुल पांच वित्त मंत्रियों ने बजट प्रस्तुत किए: बीते 20 साल की बात करें तो दो बार कांग्रेस जबकि 16 बार भाजपा के वित्त मंत्री ने बजट पेश किए. एक बार यानी वर्ष 2020 में कोरोना के कारण बजट नहीं आ सका था. इन 19 साल में कुल पांच वित्त मंत्रियों ने बजट प्रस्तुत किए. जिनमें अजय नारायण मुशरान, राघव जी भाई, जयंत मलैया, तरुण भनोत और जगदीश देवड़ा शामिल हैं. इनमें से सर्वाधिक 10 साल यानी वर्ष 2003 से 2013 तक राघव जी भाई ने बजट पेश किया. दूसरे नंबर पर जयंत मलैया और तीसरे पर जगदीश देवड़ा रहे हैं. हालांकि, अजय नारायण मुशरान भी कांग्रेस सरकार के समय लगातार 10 बार बजट पेश कर चुके थे. लेकिन वे शेर, शायरी और कविताओं का कम ही इस्तेमाल करते थे. यह कहना है विधानसभा के पूर्व प्रमुख सचिव भगवानदेव इसराणी का. उन्होंने बताया कि कविताओं का इस्तेमाल सबसे अधिक राघव जी भाई ने किया. वे अपने बजट को बड़े ही काव्यात्मक तरीके से रखते थे. इसके बाद यह परंपरा सी बन गई.

MP Budget 2023
अजय नारायण के बजट भाषण का अंश

अजय नारायण मुशरान – वर्ष 1994 से 2003 तक: मुशरान ने वर्ष 2003 के बजट में गालिब के शेर के अलावा स्वामी विवेकानंद के प्रसिद्ध कथन 'उठो, जागो और तब तक मत रुको, जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए' का इस्तेमाल किया. वे अपनी स्पीच के बीच में शेर-शायरी नहीं कहते थे, इन्होंने 1994 से 2003 तक लगातार बजट पेश किया. हालांकि, कम ही मौकों पर शेर, शायरी और कविताओं का इस्तेमाल किया.

mp budget day poetry
राघव जी की कविता
राघव जी भाई – वर्ष 2004 से 2013 तक: बजट में कविताओं का चलन राघव जी भाई ने ही शुरू किया. इनके बजट में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविताओं के साथ, रामकृष्ण परमहंस, पंडित दीनदयाल उपाध्याय और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के वचन भी शामिल होते थे. ये अपने बजट भाषण की शुरुआत और समापन दोनों ही अटल जी की कविताओं से करते थे. इनके बजट में शामिल अटल जी की पंक्तियां 'जब तक ध्येय न पूरा होगा, तक तक पग की गति न रुकेगी..आज कहे चाहे कुछ दुनिया, कल को बिना झुके न रहेगी' खासी चर्चा में रही थीं. वर्ष 2006 के बजट की शुरुआत में इनके द्वारा 'छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता' और समापन में 'टूटे हुए तारों से, फूटे वासंती स्वर' का इस्तेमाल खूब सुर्खियों में रहा. वर्ष 2010 में इनके द्वारा कहा गया शेर 'हरेक राह में चिराग जलाना है मेरा काम, तेवर हवाओं के मैं देखा नहीं करता' खासा चर्चा में रहा.
MP Budget 2023 News
जयंत मलैया का कवितामय बजट

मध्यप्रदेश बजट से जुड़ीं अन्य खबरें भी जरूर पढ़ें

जयंत मलैया – वर्ष 2014 से 2018 तक: भाजपा सरकार में दूसरे नंबर पर सबसे अधिक बार बजट पेश करने का अवसर पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया को मिला. इन्होंने वर्ष 2014 से 2018 तक यानी कुल 5 साल बजट पेश किया. इन्होंने भी राघव जी भाई की तर्ज पर पहले बजट का समापन अटल जी की कविताओं की पंक्तियों से किया. इनके पहले बजट में उनकी पंक्तियां 'यह भी एक दुआ है खुदा से..किसी का दिल न दुखे, मेरी वजह से' खासी चर्चा में रहीं. बाद में कांग्रेस ने इस पर खूब चुटकियां लीं. दूसरे बजट से इन्होंने अपनी स्वलिखित पंक्तियों का ही इस्तेमाल किया. तीसरा बजट बिना किसी पंक्तियों के सीधे पेश किया जबकि वर्ष 2017 के बजट में इनकी कविता 'सुबह का हर उजाला हमारे साथ हो' खासी चर्चित रही. मलैया ने अपने आखिरी बजट में लिखा, 'ए जिंदगी मुश्किलों से सदा हल दे, फुर्सत के कुछ पल दे...दुआ है दिल से, सबको सुखद आज और बेहतर कल दे.'

MP Budget 2023 Detals
तरुण भनोट शायरी और संस्कृत के कोट्स
तरुण भनोत – वर्ष 2019: 15 साल बाद सत्ता में लौटी कांग्रेस ने तरुण भनोत को वित्त मंत्री बनाया था. इन्होंने पहले और एकमात्र बजट में कौटिल्य की पंक्तियां 'प्रजासुखे सुखं राज्ञ: प्रजानां तु हिते हितम..नात्मप्रियं हितं राज्ञ: प्रजानां तु प्रियं हितम' से शुरुआत की. बजट का समापन इन्होंने 'दुआ कौन सी थी, हमें याद नहीं..दो हथेलियां जुड़ी थीं, एक तेरी थी, एक मेरी थी' पंक्तियों से किया. उन्होंने इस बजट भाषण में कुल 8 बार कविता पाठ किया.
MP Budget 2023 Vidhansabha
जगदीश देवड़ा का निराला अंदाज
जगदीश देवड़ा – वर्ष 2021 से 2023 तक: देवड़ा ने अब तक दो बार बजट पेश किया है. 2021 के बजट में जल क्रांति के लिए इन्होंने कहा, 'मंजिलें भी जिद्दी हैं, रास्ते भी जिद्दी हैं..हम सफल होंगे क्योंकि हमारे हौसले भी जिद्दी हैं.' वहीं, समापन में लिखा, 'नित्य हूं, निरंतर हूं..निराकार में साकार हूं.' वर्ष 2022 के बजट भाषण की शुरूआत में देवड़ा ने लिखा, 'राह संघर्ष की जो चलता है, वो ही संसार काे बदलता है..जिसने रातों से जंग जीती है, सूर्य बनकर वही निकलता है.' जबकि समापन में लिखा, 'दीप बन जलते रहें, पुष्प बन खिलते रहें..लोक मंगल के लिए चलते रहें चलते रहें.'

भोपाल। तदबीर के दस्ते जर्रे से, तकदीर दरकशां होती है.. कुदरत भी मदद फरमाती है, जब कोशिशें इंसा होती है. ये पंक्तियां साल 2003 में बजट के भीतर शामिल की गई थीं. ऐसा हर साल होता है और बीते 19 साल में तो यह परंपरा सी बन गई है. मध्यप्रदेश विधानसभा में किसी भी सरकार द्वारा पेश किया जाने वाला यह 64वां बजट है. अब तक कुल 19 वित्त मंत्रियों ने बजट पेश किए हैं. ईटीवी भारत ने सभी बजट का एनालिसिस कर इनका शायराना अंदाज ढूंढ निकाला है. इनमें से कुछ में विचार तो कुछ में विवाद भी सामने आए.

19 साल में कुल पांच वित्त मंत्रियों ने बजट प्रस्तुत किए: बीते 20 साल की बात करें तो दो बार कांग्रेस जबकि 16 बार भाजपा के वित्त मंत्री ने बजट पेश किए. एक बार यानी वर्ष 2020 में कोरोना के कारण बजट नहीं आ सका था. इन 19 साल में कुल पांच वित्त मंत्रियों ने बजट प्रस्तुत किए. जिनमें अजय नारायण मुशरान, राघव जी भाई, जयंत मलैया, तरुण भनोत और जगदीश देवड़ा शामिल हैं. इनमें से सर्वाधिक 10 साल यानी वर्ष 2003 से 2013 तक राघव जी भाई ने बजट पेश किया. दूसरे नंबर पर जयंत मलैया और तीसरे पर जगदीश देवड़ा रहे हैं. हालांकि, अजय नारायण मुशरान भी कांग्रेस सरकार के समय लगातार 10 बार बजट पेश कर चुके थे. लेकिन वे शेर, शायरी और कविताओं का कम ही इस्तेमाल करते थे. यह कहना है विधानसभा के पूर्व प्रमुख सचिव भगवानदेव इसराणी का. उन्होंने बताया कि कविताओं का इस्तेमाल सबसे अधिक राघव जी भाई ने किया. वे अपने बजट को बड़े ही काव्यात्मक तरीके से रखते थे. इसके बाद यह परंपरा सी बन गई.

MP Budget 2023
अजय नारायण के बजट भाषण का अंश

अजय नारायण मुशरान – वर्ष 1994 से 2003 तक: मुशरान ने वर्ष 2003 के बजट में गालिब के शेर के अलावा स्वामी विवेकानंद के प्रसिद्ध कथन 'उठो, जागो और तब तक मत रुको, जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए' का इस्तेमाल किया. वे अपनी स्पीच के बीच में शेर-शायरी नहीं कहते थे, इन्होंने 1994 से 2003 तक लगातार बजट पेश किया. हालांकि, कम ही मौकों पर शेर, शायरी और कविताओं का इस्तेमाल किया.

mp budget day poetry
राघव जी की कविता
राघव जी भाई – वर्ष 2004 से 2013 तक: बजट में कविताओं का चलन राघव जी भाई ने ही शुरू किया. इनके बजट में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविताओं के साथ, रामकृष्ण परमहंस, पंडित दीनदयाल उपाध्याय और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के वचन भी शामिल होते थे. ये अपने बजट भाषण की शुरुआत और समापन दोनों ही अटल जी की कविताओं से करते थे. इनके बजट में शामिल अटल जी की पंक्तियां 'जब तक ध्येय न पूरा होगा, तक तक पग की गति न रुकेगी..आज कहे चाहे कुछ दुनिया, कल को बिना झुके न रहेगी' खासी चर्चा में रही थीं. वर्ष 2006 के बजट की शुरुआत में इनके द्वारा 'छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता' और समापन में 'टूटे हुए तारों से, फूटे वासंती स्वर' का इस्तेमाल खूब सुर्खियों में रहा. वर्ष 2010 में इनके द्वारा कहा गया शेर 'हरेक राह में चिराग जलाना है मेरा काम, तेवर हवाओं के मैं देखा नहीं करता' खासा चर्चा में रहा.
MP Budget 2023 News
जयंत मलैया का कवितामय बजट

मध्यप्रदेश बजट से जुड़ीं अन्य खबरें भी जरूर पढ़ें

जयंत मलैया – वर्ष 2014 से 2018 तक: भाजपा सरकार में दूसरे नंबर पर सबसे अधिक बार बजट पेश करने का अवसर पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया को मिला. इन्होंने वर्ष 2014 से 2018 तक यानी कुल 5 साल बजट पेश किया. इन्होंने भी राघव जी भाई की तर्ज पर पहले बजट का समापन अटल जी की कविताओं की पंक्तियों से किया. इनके पहले बजट में उनकी पंक्तियां 'यह भी एक दुआ है खुदा से..किसी का दिल न दुखे, मेरी वजह से' खासी चर्चा में रहीं. बाद में कांग्रेस ने इस पर खूब चुटकियां लीं. दूसरे बजट से इन्होंने अपनी स्वलिखित पंक्तियों का ही इस्तेमाल किया. तीसरा बजट बिना किसी पंक्तियों के सीधे पेश किया जबकि वर्ष 2017 के बजट में इनकी कविता 'सुबह का हर उजाला हमारे साथ हो' खासी चर्चित रही. मलैया ने अपने आखिरी बजट में लिखा, 'ए जिंदगी मुश्किलों से सदा हल दे, फुर्सत के कुछ पल दे...दुआ है दिल से, सबको सुखद आज और बेहतर कल दे.'

MP Budget 2023 Detals
तरुण भनोट शायरी और संस्कृत के कोट्स
तरुण भनोत – वर्ष 2019: 15 साल बाद सत्ता में लौटी कांग्रेस ने तरुण भनोत को वित्त मंत्री बनाया था. इन्होंने पहले और एकमात्र बजट में कौटिल्य की पंक्तियां 'प्रजासुखे सुखं राज्ञ: प्रजानां तु हिते हितम..नात्मप्रियं हितं राज्ञ: प्रजानां तु प्रियं हितम' से शुरुआत की. बजट का समापन इन्होंने 'दुआ कौन सी थी, हमें याद नहीं..दो हथेलियां जुड़ी थीं, एक तेरी थी, एक मेरी थी' पंक्तियों से किया. उन्होंने इस बजट भाषण में कुल 8 बार कविता पाठ किया.
MP Budget 2023 Vidhansabha
जगदीश देवड़ा का निराला अंदाज
जगदीश देवड़ा – वर्ष 2021 से 2023 तक: देवड़ा ने अब तक दो बार बजट पेश किया है. 2021 के बजट में जल क्रांति के लिए इन्होंने कहा, 'मंजिलें भी जिद्दी हैं, रास्ते भी जिद्दी हैं..हम सफल होंगे क्योंकि हमारे हौसले भी जिद्दी हैं.' वहीं, समापन में लिखा, 'नित्य हूं, निरंतर हूं..निराकार में साकार हूं.' वर्ष 2022 के बजट भाषण की शुरूआत में देवड़ा ने लिखा, 'राह संघर्ष की जो चलता है, वो ही संसार काे बदलता है..जिसने रातों से जंग जीती है, सूर्य बनकर वही निकलता है.' जबकि समापन में लिखा, 'दीप बन जलते रहें, पुष्प बन खिलते रहें..लोक मंगल के लिए चलते रहें चलते रहें.'
Last Updated : Feb 28, 2023, 7:25 PM IST
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