भोपाल। तदबीर के दस्ते जर्रे से, तकदीर दरकशां होती है.. कुदरत भी मदद फरमाती है, जब कोशिशें इंसा होती है. ये पंक्तियां साल 2003 में बजट के भीतर शामिल की गई थीं. ऐसा हर साल होता है और बीते 19 साल में तो यह परंपरा सी बन गई है. मध्यप्रदेश विधानसभा में किसी भी सरकार द्वारा पेश किया जाने वाला यह 64वां बजट है. अब तक कुल 19 वित्त मंत्रियों ने बजट पेश किए हैं. ईटीवी भारत ने सभी बजट का एनालिसिस कर इनका शायराना अंदाज ढूंढ निकाला है. इनमें से कुछ में विचार तो कुछ में विवाद भी सामने आए.
19 साल में कुल पांच वित्त मंत्रियों ने बजट प्रस्तुत किए: बीते 20 साल की बात करें तो दो बार कांग्रेस जबकि 16 बार भाजपा के वित्त मंत्री ने बजट पेश किए. एक बार यानी वर्ष 2020 में कोरोना के कारण बजट नहीं आ सका था. इन 19 साल में कुल पांच वित्त मंत्रियों ने बजट प्रस्तुत किए. जिनमें अजय नारायण मुशरान, राघव जी भाई, जयंत मलैया, तरुण भनोत और जगदीश देवड़ा शामिल हैं. इनमें से सर्वाधिक 10 साल यानी वर्ष 2003 से 2013 तक राघव जी भाई ने बजट पेश किया. दूसरे नंबर पर जयंत मलैया और तीसरे पर जगदीश देवड़ा रहे हैं. हालांकि, अजय नारायण मुशरान भी कांग्रेस सरकार के समय लगातार 10 बार बजट पेश कर चुके थे. लेकिन वे शेर, शायरी और कविताओं का कम ही इस्तेमाल करते थे. यह कहना है विधानसभा के पूर्व प्रमुख सचिव भगवानदेव इसराणी का. उन्होंने बताया कि कविताओं का इस्तेमाल सबसे अधिक राघव जी भाई ने किया. वे अपने बजट को बड़े ही काव्यात्मक तरीके से रखते थे. इसके बाद यह परंपरा सी बन गई.
अजय नारायण मुशरान – वर्ष 1994 से 2003 तक: मुशरान ने वर्ष 2003 के बजट में गालिब के शेर के अलावा स्वामी विवेकानंद के प्रसिद्ध कथन 'उठो, जागो और तब तक मत रुको, जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए' का इस्तेमाल किया. वे अपनी स्पीच के बीच में शेर-शायरी नहीं कहते थे, इन्होंने 1994 से 2003 तक लगातार बजट पेश किया. हालांकि, कम ही मौकों पर शेर, शायरी और कविताओं का इस्तेमाल किया.
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जयंत मलैया – वर्ष 2014 से 2018 तक: भाजपा सरकार में दूसरे नंबर पर सबसे अधिक बार बजट पेश करने का अवसर पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया को मिला. इन्होंने वर्ष 2014 से 2018 तक यानी कुल 5 साल बजट पेश किया. इन्होंने भी राघव जी भाई की तर्ज पर पहले बजट का समापन अटल जी की कविताओं की पंक्तियों से किया. इनके पहले बजट में उनकी पंक्तियां 'यह भी एक दुआ है खुदा से..किसी का दिल न दुखे, मेरी वजह से' खासी चर्चा में रहीं. बाद में कांग्रेस ने इस पर खूब चुटकियां लीं. दूसरे बजट से इन्होंने अपनी स्वलिखित पंक्तियों का ही इस्तेमाल किया. तीसरा बजट बिना किसी पंक्तियों के सीधे पेश किया जबकि वर्ष 2017 के बजट में इनकी कविता 'सुबह का हर उजाला हमारे साथ हो' खासी चर्चित रही. मलैया ने अपने आखिरी बजट में लिखा, 'ए जिंदगी मुश्किलों से सदा हल दे, फुर्सत के कुछ पल दे...दुआ है दिल से, सबको सुखद आज और बेहतर कल दे.'