उज्जैन: मकर संक्रांति के अवसर पर मंगलवार को उज्जैन के महाकाल मंदिर में भगवान महाकाल को तिल के तेल से स्नान कराया गया. वही पुण्य सलिला शिप्रा नदी के घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी. पौष मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन सूर्योदय के साथ ही श्रद्धालुओं ने घाटों का रुख करना शुरू कर दिया.
कड़ी ठंड के बावजूद रामघाट और शिप्रा के अन्य घाटों पर भक्तों ने आस्था की डुबकी लगाई. स्नान के बाद भक्तों ने दान-पुण्य किया और महाकालेश्वर मंदिर में भगवान महाकाल का आशीर्वाद प्राप्त किया.
महाकाल को तिल के उबटन से कराया गया स्नान
देशभर से उज्जैन पहुंचे श्रद्धालुओं ने शिप्रा के पवित्र जल में स्नान कर पुण्य अर्जित किया. मकर संक्रांति के खास मौके पर भगवान महाकाल को तिल और गुड़ से बने विशेष पकवानों का भोग लगाया गया. परंपरा के अनुसार महाकाल को तिल के उबटन से स्नान कराकर उनके जलाधारी पर तिल अर्पित किया गया.
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पंडित राकेश जोशी ने बताया "मकर संक्रांति सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करने का पर्व है. इस दिन खिचड़ी, तिल, वस्त्र और पात्र का दान विशेष महत्व रखता है. तांबे के कलश में काला तिल भरकर उसके ऊपर सोने का दाना रखकर दान करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है. इसके साथ ही पितरों के निमित्त तर्पण करना, गायों को हरा चारा खिलाना और जरूरतमंदों को भोजन कराना मानसिक शांति और जीवन में शुभ फल प्रदान करता है."
महाकाल मंदिर की विशेष परंपराएं
महाकाल मंदिर में मकर संक्रांति के दिन भगवान महाकाल को तिल के तेल से स्नान कराया गया. उन्हें गुड़ और शकर से बने तिल के लड्डुओं का भोग लगाया गया. मंदिर की जलाधारी पर तिल अर्पित कर भक्तों ने अपनी श्रद्धा व्यक्त की.