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किसकी सरकार : हीरा लाल अलावा का बीजेपी नेताओं पर निशाना, कहा- इनकी मानसिकता आदिवासी विरोधी

मध्यप्रदेश में उपचुनाव होने वाले हैं 28 विधानसभा सीटों पर 3 नवंबर को वोटिंग होनी है. प्रदेश में 8 से 10 सीटें ऐसी हैं जहां पर आदिवासी वोटर निर्णायक हैं.

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बीजेपी की आदिवासी विरोधी मानसिकता
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Published : Oct 16, 2020, 12:34 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर 3 नवंबर को वोटिंग होनी है. प्रदेश में 8 से 10 सीटें ऐसी हैं जहां पर आदिवासी वोटर निर्णायक हैं. इसी कारण सबकी नजरें आदिवासी संगठन जयस पर टिकी हुई हैं क्योंकि जयस का प्रभाव आदिवासी इलाकों में काफी बढ़ता जा रहा है.

बीजेपी की आदिवासी विरोधी मानसिकता

राष्ट्रीय संरक्षक और कांग्रेस के विधायक हीरालाल अलावा ने आरोप लगाया है कि आदिवासी संगठन को बीजेपी के मंत्री आतंकी संगठन कह रहे हैं, और इसी के कारण आने वाले उपचुनाव में बीजेपी को वोट देने का सवाल ही नहीं उठता है. बीजेपी नेताओं की आदिवासी विरोधी मानसिकता है.

जयस जैसा आदिवासी संगठन जो आदिवासियों के लिए काम करता है उनको रोजगार दिलाने का काम कर रहा है, फ्री में कोचिंग मुहैया करवाता है. उस जैसे संगठन को बीजेपी के नेता आतंकवादी कहते हैं, तो इससे साफ होता है कि बीजेपी की मानसिकता में खोट है.

बदनावर, मांधाता, नेपानगर, बमोरी, मुंगावली, अशोकनगर के अलावा 28 सीटों में से 10 सीटें ऐसी हैं जिनमें 50 हजार से ज्यादा आदिवासी वोटर्स हैं. जो आने वाले चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाएंगे. 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 47 में से 30 आदिवासी सीटों पर कब्जा जमाया था और इसी के चलते कांग्रेस 15 साल बाद सत्ता में काबिज हुई थी और एक बार फिर आदिवासियों के जरिए कांग्रेस सत्ता हासिल करना चाहती है.

भोपाल। मध्यप्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर 3 नवंबर को वोटिंग होनी है. प्रदेश में 8 से 10 सीटें ऐसी हैं जहां पर आदिवासी वोटर निर्णायक हैं. इसी कारण सबकी नजरें आदिवासी संगठन जयस पर टिकी हुई हैं क्योंकि जयस का प्रभाव आदिवासी इलाकों में काफी बढ़ता जा रहा है.

बीजेपी की आदिवासी विरोधी मानसिकता

राष्ट्रीय संरक्षक और कांग्रेस के विधायक हीरालाल अलावा ने आरोप लगाया है कि आदिवासी संगठन को बीजेपी के मंत्री आतंकी संगठन कह रहे हैं, और इसी के कारण आने वाले उपचुनाव में बीजेपी को वोट देने का सवाल ही नहीं उठता है. बीजेपी नेताओं की आदिवासी विरोधी मानसिकता है.

जयस जैसा आदिवासी संगठन जो आदिवासियों के लिए काम करता है उनको रोजगार दिलाने का काम कर रहा है, फ्री में कोचिंग मुहैया करवाता है. उस जैसे संगठन को बीजेपी के नेता आतंकवादी कहते हैं, तो इससे साफ होता है कि बीजेपी की मानसिकता में खोट है.

बदनावर, मांधाता, नेपानगर, बमोरी, मुंगावली, अशोकनगर के अलावा 28 सीटों में से 10 सीटें ऐसी हैं जिनमें 50 हजार से ज्यादा आदिवासी वोटर्स हैं. जो आने वाले चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाएंगे. 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 47 में से 30 आदिवासी सीटों पर कब्जा जमाया था और इसी के चलते कांग्रेस 15 साल बाद सत्ता में काबिज हुई थी और एक बार फिर आदिवासियों के जरिए कांग्रेस सत्ता हासिल करना चाहती है.

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