भोपाल। एक तरफ सरकार महिला सशक्तिकरण के लिए कई कदम उठाने के दावे करती है. वहीं विधानसभा पटल रखी गई CAG की रिपोर्ट इन दावों पर प्रश्नचिन्ह लगा देती है. जिसमें कहा गया है कि प्रदेश का महिला एवं बाल विकास मंत्रालय वेश्यावृत्ति उन्मूलन के लिए जारी की गई राशि में से 88.32 फीसदी राशि खर्च नहीं कर पाया. इतना नहीं आंगनबाड़ी के माध्यम से कुपोषण समेत तमाम समस्याओं को दूर करने का ख्वाब देख रही सरकार का ये मंत्रालय आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के लिए आवंटित राशि का 7.85 फीसदी हिस्सा उपयोग ही नहीं कर पाया.
विधानसभा पटल पर रखी गई CAG की रिपोर्ट से पता चला है कि पिछले 5 साल में वेश्यावृत्ति उन्मूलन के लिए लागू जवाली योजना के तहत सरकार ने जेंडर बजट के तहत 45.20 करोड रुपए आवंटित किए थे.लेकिन विभाग ने इसमें से सिर्फ 5.28 करोड रुपए ही खर्च किए है. वहीं इसी बजट के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका के मानदेय के लिए 5 साल में 1470.14 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे.
ये है जवाली योजना
ये योजना नीमच, मंदसौर और रतलाम जिलों में बांछड़ा, बेड़िया और सांसी समुदाय की महिलाओं को वेश्यावृत्ति से बाहर निकाल कर समाज की मुख्यधारा से जोड़ने और रोजगार देने के लिए शुरू की गई थी. वर्ष 2013-14 में इसके लिए 2.49 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे. लेकिन इसमें से करीब 30 फीसदी बजट का उपयोग ही नहीं किया गया. इसी तरह 2015-16 में 83 फीसदी, बजट वर्ष 2016-17 में 96 फीसदी बजट और 2017-18 में 63 फीसदी बजट का उपयोग नहीं किया जा सका. वहीं जब मामले में संबंधित विभाग की मंत्री इमरती देवी से बात की गई तो वे जबाव देने से बचती नजर आईं.