भोपाल। पहले केमिकल कलर ही बाजार में मिलते थे, लेकिन अब हर्बल कलर और गुलाल भी मौजूद हैं. लेकिन आम लोगों के दिमाग में सवाल यह रहता है कि आखिर इसकी पहचान कैसे करें, तो इसका जवाब मिला भोपाल के लिंक रोड एक स्थित संजीवनी केंद्र में. जहां शासन की ही एजेंसी विंध्य हर्बल द्वारा बनाए गए गुलाल को लोग खासा पसंद कर रहे हैं. लेकिन अभी यह आम जनता से दूर है, क्योंकि यह बाजार नहीं, बल्कि एक छोटा केंद्र है. जहां अधिकतर आयुर्वेद से जुड़ी चीजें ही मिलती हैं. लेकिन इस केंद्र पर रखे हर्बल गुलाल खूब बिक रहे हैं.
त्वचा के लिए सुरक्षित हैं यह कलर्स: बीते दो दिन में 5 हजार से अधिक पैकेट बिक चुके हैं. एक पैकेट 50 ग्राम का है और कीमत 25 रुपए है. खुले बाजार से थोड़ा महंगा है, लेकिन त्वचा के लिए एकदम सुरक्षित है. इसका निर्माण भोपाल के बरखेड़ा पठानी स्थित विंध्य वैली में किया जा रहा है और इन कलर्स को टेसू के फूलों से बनाया गया है. दरअसल वन विभाग की समितियों की महिलाओं द्वारा टेसू के फूल जंगलों से एकत्रित किए जाते हैं और फिर उन्हें मप्र राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ द्वारा वन क्षेत्रों में तेंदू पत्ता, महुआ, हर्रा, नीम बीज और अन्य चीजें एकत्रित कराई जाती हैं. इसी के तहत विंध्य वैली का संचालन होता है, जहां वन सामग्री से प्रोडक्ट तैयार किए जाते हैं. इसीलिए यह हानिकारक नहीं है.
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स्किन का ऐसे रखें ध्यान: डर्मेटोलॉजी के स्पेशलिस्ट डॉ. योगेश डी वलेचा बताते हैं कि ''बाजार में होली के त्योहार पर केमिकल और हर्बल युक्त रंग और गुलाल उपलब्ध हैं. केमिकल युक्त रंगों में अधिकतर शरीर के लिए नुकसान दायक तत्व मिले होते हैं. इसलिए इनका इस्तेमाल जितना हो सके कम करना चाहिए''. उन्होंने बताया कि ''हरे रंग में कॉपर सल्फेट होता है, जिससे आंखों में धुंधलापन और अंधापन हो सकता है. काले रंग में लैंड नामक केमिकल होता है, जिससे गुर्दों को नुकसान हो सकता है. वहीं रेड कलर में मरक्यूरिक ऑक्साइड का इस्तेमाल होता है, जिससे त्वचा में कैंसर की शिकायत पैदा होती है''. उन्होंने बताया कि ''होली खेलने से पहले सभी को अपने हाथों, बालों, पैरों पर सरसों या नारियल का तेल या लोशन को लगा लेना चाहिए, इससे व्यक्ति के शरीर पर कैमिकल रंगों का असर नहीं होता और होली के बाद शरीर पर लगे रंग निकलने में आसानी रहती है''.