भोपाल। पिछले 15 साल से केन बेतवा परियोजना को लेकर मध्य प्रदेश सरकार उत्तर प्रदेश सरकार के बीच सामंजस्य नहीं बन पा रहा है. शायद यही वजह है कि सालों से अटके इस प्रोजेक्ट को लेकर समय-समय पर केंद्र सरकार, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच समन्वय का काम करती है. केन बेतवा प्रोजेक्ट को लेकर जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मंत्रालय में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ अन्य पदाधिकारियों से चर्चा की.
आज चर्चा हुई और हमने उसका हल निकाला है
केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि पिछले 15 सालों से वार्ता चल रही थी लेकिन अब हम समझौते के आखरी स्तर पर हैं. कई तरह की अड़चनें इस प्रोजेक्ट को लेकर थी. जिस पर धीरे-धीरे समन्वय बनता जा रहा है और जल्द ही इस पर निर्णय हो जाएगा. केन-बेतवा परियोजना को लेकर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत का कहना है कि यह परियोजना मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के लिए महत्वपूर्ण परियोजना है. खासतौर से बुंदेलखंड से जुड़े जिलों को लेकर पिछले 15 साल से इस पर बातचीत चल रही थी. अब हम लगभग समझौते की स्थिति पर पहुंच गए हैं.
शेखावत का कहना है कि हम साल 2024 तक हर घर को पीने का पानी उपलब्ध कराएंगे और 19 करोड़ ग्रामीण आवास तक हम गुणवत्तापूर्ण पानी पहुंचाने का काम करेंगे.
कमलनाथ सरकार का लो परफॉर्मेंस था- गजेंद्र सिंह
केन बेतवा प्रोजेक्ट की धीमी गति को लेकर केंद्रीय मंत्री ने कमलनाथ सरकार को दोषी ठहराया है. गजेंद्र सिंह का आरोप है कि पिछले डेढ़ साल में इस परियोजना को लेकर जो कदम उठाने चाहिए थे. कमलनाथ सरकार ने नहीं उठाए, लेकिन मध्यप्रदेश में अब शिवराज सरकार ने पिछले 6 महीने में इस परियोजना पर तेजी से काम किया है. ग्रामीण क्षेत्र में पानी पहुंचाने को लेकर मध्यप्रदेश ने पहले 6 राज्यों की सूची में अपना स्थान बनाया है. हमारा उद्देश है 25 सितंबर 2023 तक प्रदेश के हर घर में पीने का गुणवत्तापूर्ण पानी मिलेगा.
मध्यप्रदेश के 6 जिलों को मिलेगा पानी
केन बेतवा परियोजना से मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड से जुड़े करीब 6 जिलों को इसका फायदा होगा. जिसमें छतरपुर,सागर, टीकमगढ़, दमोह, पन्ना, निवाड़ी और 9 ब्लॉक पथरिया, छतरपुर, नौगांव, राजनगर, अजय गढ़, पलेरा, बल्देवगढ़ और निवाड़ी को इसका फायदा होगा. मध्यप्रदेश में योजना की लागत 315.62 करोड़ रुपए हैं.
क्या है मामला?
दरअसल इस प्रोजेक्ट को लेकर सबसे बड़ी अड़चन पानी के बंटवारे को लेकर है. जहां एक तरफ मध्य प्रदेश सरकार 2005 में हुए अनुबंध के हिसाब से 700 एमसीएम पानी देना चाहता है. जबकि उत्तर प्रदेश सरकार 930m मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की मांग कर रही है. यही वजह है कि पिछले लंबे समय से इस प्रोजेक्ट को लेकर दोनों सरकारों के बीच तनातनी बनी हुई है. इसके पहले भी इस प्रोजेक्ट को लेकर तत्कालीन मंत्री उमा भारती ने दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्री से बातचीत की थी. लेकिन कोई हल नहीं निकला अब देखना यही होगा कि केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत क्या दोनों सरकारों के बीच समन्वय बनाकर इस परियोजना को शुरू कर पाते हैं या नहीं.