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भारत से 64.82 ट्रिलियन डॉलर लूटकर ले गए अंग्रेज, मौजूदा GDP से 16 गुना अधिक है यह दौलत - OXFAM REPORT

ऑक्सफैम ने अपनी रिपोर्ट का नाम 'टेकर्स, नॉट मेकर्स' दिया है. अंग्रेजों ने अपनी संरक्षणवादी नीतियों से भारत के औद्योगिक उत्पादन को नष्ट कर दिया.

UK extracted over 64 trillion dollar from colonial India between 1765 and 1900 Oxfam report
अंग्रेजों ने भारत से 64.82 ट्रिलियन डॉलर लूटे, मौजूदा GDP से 16 गुना अधिक है यह दौलत (AFP)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 20, 2025, 4:31 PM IST

नई दिल्ली: ब्रिटिश शासनकाल में 1765 से 1900 के बीच भारत से 64.82 ट्रिलियन डॉलर की दौलत निकाली गई और ब्रिटेन के सबसे अमीर 10 प्रतिशत लोगों ने इसमें से 33.8 ट्रिलियन डॉलर हासिल किए. अंग्रेजों द्वारा भारत से लूटी गई यह धनराशि मौजूदा भारतीय अर्थव्यवस्था से 16 गुना से भी अधिक है. वर्तमान में भारत की अनुमानित जीडीपी 3.89 ट्रिलियन डॉलर है.

मानवाधिकार एनजीओ ऑक्सफैम की नवीनतम रिपोर्ट में यह दावा किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है, "यह राशि लंदन के क्षेत्रफल से लगभग चार गुना अधिक क्षेत्र को ब्रिटिश पाउंड के 50 नोटों से ढंकने के लिए पर्याप्त होगी."

ऑक्सफैम की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पिछले वर्ष अरबपतियों की संपत्ति में 2 ट्रिलियन डॉलर या लगभग 5.7 बिलियन डॉलर प्रतिदिन की वृद्धि हुई, जो 2023 की तुलना में तीन गुना अधिक है.

ऑक्सफैम ने अपनी रिपोर्ट 'टेकर्स, नॉट मेकर्स' में कहा कि ब्रिटेन में सबसे अमीर लोगों की बड़ी संख्या के पीछे सरकार द्वारा नस्लवादी व्यवस्था को खत्म करते समय सबसे अमीर दास मालिकों (richest enslavers) को दिया गया मुआवजा है.

ऑक्सफैम ने कहा कि ब्रिटेन में नया मध्यम वर्ग 100 वर्षों से अधिक समय से औपनिवेशिक भारत से निकाले गए धन का दूसरा सबसे बड़ा लाभार्थी है. एनजीओ ने कहा, "सबसे अमीर 10 प्रतिशत लोगों को इस राशि का 52 प्रतिशत प्राप्त हुआ, उसके बाद नए मध्यम वर्ग को आय का 32 प्रतिशत प्राप्त हुआ."

अंग्रेजों ने भारत में औद्योगिकों को नष्ट किया

ऑक्सफैम ने एशियाई वस्त्रों के खिलाफ कठोर संरक्षणवादी नीतियों को लागू करके भारत के औद्योगिक उत्पादन को नष्ट करने के लिए उपनिवेशवाद को भी दोषी ठहराया. रिपोर्ट में कहा गया है, "इसके अलावा, 1750 में भारतीय उपमहाद्वीप वैश्विक औद्योगिक उत्पादन का लगभग 25 प्रतिशत था. हालांकि, 1900 तक यह आंकड़ा घटकर मात्र 2 प्रतिशत रह गया."

ऑक्सफैम ने यह भी आरोप लगाया कि डच और ब्रिटिश 'ड्रग तस्कर' थे, जिन्होंने गुलाम देशों पर अपने शासन को मजबूत करने के लिए अफीम व्यापार का इस्तेमाल किया. रिपोर्ट में अंग्रेजों पर पूर्वी भारत के गरीब इलाकों में 'औद्योगिक पैमाने' पर अफीम की खेती करने और इसे चीन को निर्यात करने का आरोप लगाया, जिससे अफीम युद्ध शुरू हुआ.

यह भी पढ़ें- अरबपति मुकेश अंबानी का चलेगा 'सिक्का', रिलायंस ने लॉन्च किया जियोकॉइन

नई दिल्ली: ब्रिटिश शासनकाल में 1765 से 1900 के बीच भारत से 64.82 ट्रिलियन डॉलर की दौलत निकाली गई और ब्रिटेन के सबसे अमीर 10 प्रतिशत लोगों ने इसमें से 33.8 ट्रिलियन डॉलर हासिल किए. अंग्रेजों द्वारा भारत से लूटी गई यह धनराशि मौजूदा भारतीय अर्थव्यवस्था से 16 गुना से भी अधिक है. वर्तमान में भारत की अनुमानित जीडीपी 3.89 ट्रिलियन डॉलर है.

मानवाधिकार एनजीओ ऑक्सफैम की नवीनतम रिपोर्ट में यह दावा किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है, "यह राशि लंदन के क्षेत्रफल से लगभग चार गुना अधिक क्षेत्र को ब्रिटिश पाउंड के 50 नोटों से ढंकने के लिए पर्याप्त होगी."

ऑक्सफैम की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पिछले वर्ष अरबपतियों की संपत्ति में 2 ट्रिलियन डॉलर या लगभग 5.7 बिलियन डॉलर प्रतिदिन की वृद्धि हुई, जो 2023 की तुलना में तीन गुना अधिक है.

ऑक्सफैम ने अपनी रिपोर्ट 'टेकर्स, नॉट मेकर्स' में कहा कि ब्रिटेन में सबसे अमीर लोगों की बड़ी संख्या के पीछे सरकार द्वारा नस्लवादी व्यवस्था को खत्म करते समय सबसे अमीर दास मालिकों (richest enslavers) को दिया गया मुआवजा है.

ऑक्सफैम ने कहा कि ब्रिटेन में नया मध्यम वर्ग 100 वर्षों से अधिक समय से औपनिवेशिक भारत से निकाले गए धन का दूसरा सबसे बड़ा लाभार्थी है. एनजीओ ने कहा, "सबसे अमीर 10 प्रतिशत लोगों को इस राशि का 52 प्रतिशत प्राप्त हुआ, उसके बाद नए मध्यम वर्ग को आय का 32 प्रतिशत प्राप्त हुआ."

अंग्रेजों ने भारत में औद्योगिकों को नष्ट किया

ऑक्सफैम ने एशियाई वस्त्रों के खिलाफ कठोर संरक्षणवादी नीतियों को लागू करके भारत के औद्योगिक उत्पादन को नष्ट करने के लिए उपनिवेशवाद को भी दोषी ठहराया. रिपोर्ट में कहा गया है, "इसके अलावा, 1750 में भारतीय उपमहाद्वीप वैश्विक औद्योगिक उत्पादन का लगभग 25 प्रतिशत था. हालांकि, 1900 तक यह आंकड़ा घटकर मात्र 2 प्रतिशत रह गया."

ऑक्सफैम ने यह भी आरोप लगाया कि डच और ब्रिटिश 'ड्रग तस्कर' थे, जिन्होंने गुलाम देशों पर अपने शासन को मजबूत करने के लिए अफीम व्यापार का इस्तेमाल किया. रिपोर्ट में अंग्रेजों पर पूर्वी भारत के गरीब इलाकों में 'औद्योगिक पैमाने' पर अफीम की खेती करने और इसे चीन को निर्यात करने का आरोप लगाया, जिससे अफीम युद्ध शुरू हुआ.

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