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विधायक खरीदने में व्यस्त हैं मुख्यमंत्री, बिजली बिल बढ़ने की नहीं चिंताः दिग्विजय सिंह - Former CM Digvijay Singh

शिवराज सिंह की सरकार में बिजली बिल हजारों में आने लगा है, कोरोना काल में लोगों के पास रोजगार नहीं है, ऐसे में बिजली के बिल बढ़े हुए आ रहे हैं. मामा को इस बात की चिंता नहीं है, वो विधायकों को खरीदने में लगे हैं.

Former CM Digvijay Singh
दिग्विजय सिंह, पूर्व सीएम
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Published : Jul 28, 2020, 11:44 AM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने बढ़े हुए बिजली बिलों को लेकर राज्य सरकार पर तंज कसा है. दिग्विजय सिंह ने ट्विटर पर लिखा कि कांग्रेस के राज में कमलनाथ ने मध्यम वर्ग और गरीब परिवारों के लिए बिजली के बिलों को घटाकर 200-300 रुपए प्रति माह कर दिया था. लेकिन शिवराज सिंह की सरकार में बिजली बिल हजारों में आने लगा है, कोरोना काल में लोगों के पास रोजगार नहीं है, ऐसे में बिजली के बिल बढ़े हुए आ रहे हैं. मामा को इस बात की चिंता नहीं है, वो विधायकों को खरीदने में लगे हैं.

वहीं विधानसभा के बजट सत्र में विधायकों के करीब 1200 सवाल निरस्त कर दिए गए हैं. इसके पीछे तर्क दिया गया कि जब विधानसभा सत्र ही निरस्त हो गया है तो इन सवालों के जवाब देने का क्या औचित्य है. सचिवालय की ओर से सवाल निरस्त किए जाने पर दिग्विजय सिंह ने पूछा कि यदि सत्र आगे बढ़ाया गया है तो भी प्रश्नों को निरस्त करने का क्या औचित्य है? जब भी सत्र होता तब ये प्रश्न लिए जा सकते थे.

भोपाल। मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने बढ़े हुए बिजली बिलों को लेकर राज्य सरकार पर तंज कसा है. दिग्विजय सिंह ने ट्विटर पर लिखा कि कांग्रेस के राज में कमलनाथ ने मध्यम वर्ग और गरीब परिवारों के लिए बिजली के बिलों को घटाकर 200-300 रुपए प्रति माह कर दिया था. लेकिन शिवराज सिंह की सरकार में बिजली बिल हजारों में आने लगा है, कोरोना काल में लोगों के पास रोजगार नहीं है, ऐसे में बिजली के बिल बढ़े हुए आ रहे हैं. मामा को इस बात की चिंता नहीं है, वो विधायकों को खरीदने में लगे हैं.

वहीं विधानसभा के बजट सत्र में विधायकों के करीब 1200 सवाल निरस्त कर दिए गए हैं. इसके पीछे तर्क दिया गया कि जब विधानसभा सत्र ही निरस्त हो गया है तो इन सवालों के जवाब देने का क्या औचित्य है. सचिवालय की ओर से सवाल निरस्त किए जाने पर दिग्विजय सिंह ने पूछा कि यदि सत्र आगे बढ़ाया गया है तो भी प्रश्नों को निरस्त करने का क्या औचित्य है? जब भी सत्र होता तब ये प्रश्न लिए जा सकते थे.

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