भोपाल। कोरोना के कहर ने मध्यप्रदेश के रिएल एस्टेट सेक्टर को भी जमीन पर ला दिया है. पिछली कमलनाथ सरकार ने इस सेक्टर को बूस्ट देने के लिए कलेक्टर गाइडलाइन में 20 फीसदी की कमी सहित कई कदम उठाए थे. इससे बिल्डर्स को रिएल एस्टेट सेक्टर में उछाल की उम्मीद दिखाई देनी शुरू हुई थी, लेकिन कोरोना संक्रमण के बाद हुए लाॅकडाउन से प्रदेश के रिएल एस्टेट सेक्टर को बड़ा नुकसान हुआ है.
मध्यप्रदेश में भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) के हिसाब से देखा जाए तो प्रदेश में करीब 3150 बडे़ प्रोजेक्ट संचालित हैं. इसके अलावा प्रदेश में करीब 5500 छोटे प्रोजेक्ट चल रहे हैं. लाॅकडाउन ने इन सभी पर ब्रेक लगा दिया है. इसी तरह राजधानी भोपाल में ही करीब 25 हजार यूनिट रेडी पजेशन में हैं, जिन्हें पहले ही ग्राहकों को इंतजार है और इतनी ही यूनिट निर्माणाधीन हैं.
मजदूरों की जिंदगी पर भी होगा असर
क्रेडाई में पदाधिकारी और शहर के बड़े बिल्डर अजय मोहगांवकर ने बताया कि रिएल एस्टेट सेक्टर से सीधे-सीधे करीब 75 हजार मजदूर जुड़े हुए हैं, जो इसमें आने वाली मंदी से प्रभावित होंगे. इसके अलावा अलग-अलग 275 इंडस्ट्री भी रिएल एस्टेट सेक्टर से जुड़ी होती है. जाहिर है रिएल एस्टेट सेक्टर में मंदी का बड़ा असर होगा. उन्होंने बताया की काफी कुछ इस बात पर भी निर्भर करेगा कि कोरोना का असर कितने दिन रहता है और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर इसकी कितनी चोट पड़ती है.
राॅ मटेरियल महंगा होने से होगा असर
वहीं राजधानी के बिल्डर अर्पित जैन कहते हैं कि कोरोना की वजह से सभी राज्य प्रभावित हुए हैं, जिसकी वजह से राॅ मटेरियल महंगा होगा. संभावना है कि इनकी दरों में करीब 15 से 20 फीसदी की बढ़ोत्तरी होगी, जिससे प्रोजेक्ट के भी दाम बढ़ेंगे. उन्होंने कहा की कोरोना की वजह से जो काम एक माह बाद खत्म होना था, वह अब चार से पांच माह लेट हो गया है. इसकी वजह से ही प्रोजेक्ट की काॅस्ट में फर्क आएगा.
जून के बाद ही काम की उम्मीद
कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (क्रेडाई) की भोपाल इकाई के प्रवक्ता और अचल संपत्ति कारोबारी मनोज सिंह मीक बताते हैं की निर्माण क्षेत्र में मजदूरी करने वाले अधिकांश लोग दूसरे जिलों और राज्यों के ही होते हैं. कोरोना संक्रमण और उसके बाद हुए लाॅकडाउन के बाद यह मजदूर अपने घरों को लौट चुके हैं और यदि जल्द महामारी पर काबू पा भी लिया, तब भी इनके कुछ माह लौटने की संभावना कम है. जून से बारिश सीजन शुरू हो जाएगा और इसके बाद ही रिएल एस्टेट के काम में तेजी दिखनी शुरू होगी.
हालातों से सरकार भी चिंतित
कोरोना की वजह से जिस तरह की आर्थिक स्थिति बनी है, उससे प्रदेश सरकार भी चिंतित है. प्रदेश के आर्थिक हालात को संभालने के लिए सरकार ने कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव अनुराग जैन की अध्यक्षता पर पांच विशेषज्ञों की एक कमेटी गठित की गई है, जो विशेषज्ञों से सलाह-मशविरा कर इस माह के अंतर तक अपनी सिफारशें सरकार को देगी, ताकि सरकार जल्द से जल्द कदम उठा सके.
सेंसेक्स से है उम्मीद
केरोना से रिएल एस्टेट सेक्टर को नुकसान की संभावना तो है, लेकिन एक उम्मीद भी है. रिएल एस्टेट सेक्टर से जुड़े मनोज सिंह मीक कहते हैं कि पूर्व के ट्रेंड को देखें तो सेंसेक्स में गिरावट का असर रिएल एस्टेट सेक्टर पर पाॅजीटिव रहा है. ऐसी स्थिति में लोग रिएल एस्टेट सेक्टर में निवेश करते हैं. अभी भी सेंसेक्स गिरा है, उम्मीद है पहले जैसा ट्रेंड दिखाई दे. यदि ऐसा हुआ तो इस सेक्टर को ज्यादा नुकसान नहीं होगा.
पूर्व में यह उठाए गए थे कदम
प्रदेश में हाउसिंग सेक्टर में बूस्ट लाने के लिए पिछली कमलनाथ सरकार निर्णय लिया था कि बिल्डर प्रदेश में 2 हेक्टेयर क्षेत्र से कम भूमि पर भी काॅलोनी बना सकेंगे. इससे शहरी क्षेत्र में छोटे प्रोजेक्ट का रास्ता खुल गया है. वहीं नई रियल एस्टेट नीति को मंजूरी दी गई थी. इसके बाद कोलोनाइजर को 27 अलग-अलग अनुमतियों से राहत दी गई. अवैध काॅलोनियों के नियमितीकरण को लेकर एक्ट में संशोधन, आश्रम शुल्क देने पर अर्फोडेबल हाउसिंग के बंधन में छूट का कदम भी उठाया गया. वहीं कलेक्टर गाइडलाइन में 20 फीसदी की कमी कर बिल्डरों को सरकार ने बड़ी राहत दी थी.