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CONGRESS MISSION 2023 : कर्मचारियों को साधने की कोशिश में कांग्रेस, पुरानी पेंशन योजना लागू करने का वादा - बीजेपी मांगों पर मौन, कांग्रेस पर हमलावर

आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दल कर्मचारियों को साधने में जुट गए हैं. पुरानी पेंशन व्यवस्था (Old pension scheme)फिर लागू करने का ऐलान कर कांग्रेस ने कर्मचारी वर्ग को साधने की बड़ी कोशिश की है. इसी तरह आउटसोर्स कर्मचारियों को भी राहत देने का कांग्रेस ने ऐलान किया है. उधर, कर्मचारी संगठनों ने भी अपनी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है. कर्मचारी संगठनों ने इसको लेकर चरणबद्ध आंदोलन चलाया है. पुरानी पेंशन बहाली को लेकर प्रदेश सरकार चुप्पी साधे हुए हैं. (Congress attempt to pacify the employees) (Congress promised to implement old pension) (CONGRESS MISSION 2023)

Congress promised to implement old pension
कर्मचारियों को साधने की कोशिश में कांग्रेस
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Published : May 4, 2022, 6:00 PM IST

भोपाल। मिशन 2023 की तैयारियों में जुटी कांग्रेस सभी वर्गों को साधने में जुटी है. इस दिशा में कांग्रेस ने पुरानी पेंशन बहाली का ऐलान कर प्रदेश के कर्मचारी वर्ग के जख्म पर मलहम लगाने का काम किया है. कमलनाथ ने हाल ही में ऐलान किया है कि सत्ता में आने के बाद पुरानी पेंशन व्यवस्था को फिर से बहाल किया जाएगा. देश के कांग्रेस शासित राज्यों में कांग्रेस सरकारें ऐसा कदम उठा भी चुकी हैं. कांग्रेस ने संविदा कर्मचारियों को नियमित करने और आउटसोर्स कर्मचारियों को संविदा पर रखे जाने का भी वादा किया है. इस तरह कांग्रेस ने प्रदेश के करीब 5 लाख से ज्यादा कर्मचारियों पर डोरे डालने का काम किया है.

कर्मचारी संगठन लगातार उठा रहे मांग : कर्मचारी संगठन पुरानी पेंशन स्कीम को अपने भविष्य का आधार बताकर लगातार इसे लागू करने सरकार पर दवाब बना रहे हैं. प्रदेश में अप्रेल 2005 में पुरानी पेंशन योजना को बंद कर दिया गया था. इसके बाद नई पेंशन योजना लाई गई थी, जिसमें कर्मचारी के मूल वेतन से 10 फीसदी की राशि काटी जाती है और उसमें सरकार 14 फीसदी अपना हिस्सा मिलाती है. पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी की सैलरी से कोई कटौती नहीं होती थी. पुरानी पेंशन में जीपीएफ की सुविधा होती थी. नई पेंशन में इसका कोई प्रावधान नहीं है. यही वजह है कि कर्मचारी संगठन इसको फिर से लागू कराने सरकार पर दवाब बना रहे हैं. कर्मचारी अधिकारी संयुक्त मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष जितेन्द्र सिंह के मुताबिक इसको लेकर सरकार को ज्ञापन दे चुके हैं. यदि सरकार का यही रवैया रहा तो प्रदेश में किसान आंदोलन जैसा बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा.

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बीजेपी मांगों पर मौन, कांग्रेस पर हमलावर : पुरानी पेंशन बहाली को लेकर पिछले विधानसभा सत्र के दौरान वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा इंकार कर चुके हैं, लेकिन मुख्यमंत्री की तरफ से फिलहाल इस पर कोई बयान अब तक नहीं आया है. उधर कांग्रेस द्वारा किए जा रहे वादों पर बीजेपी ने हमला बोला है. गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि कमलनाथ भले ही कोई भी ऐलान कर लें, लेकिन प्रदेश की जनता ने उन्हें घर बैठाकर पेंशन देना तय कर लिया है. (Congress attempt to pacify the employees) (Congress promised to implement old pension) (CONGRESS MISSION 2023)

भोपाल। मिशन 2023 की तैयारियों में जुटी कांग्रेस सभी वर्गों को साधने में जुटी है. इस दिशा में कांग्रेस ने पुरानी पेंशन बहाली का ऐलान कर प्रदेश के कर्मचारी वर्ग के जख्म पर मलहम लगाने का काम किया है. कमलनाथ ने हाल ही में ऐलान किया है कि सत्ता में आने के बाद पुरानी पेंशन व्यवस्था को फिर से बहाल किया जाएगा. देश के कांग्रेस शासित राज्यों में कांग्रेस सरकारें ऐसा कदम उठा भी चुकी हैं. कांग्रेस ने संविदा कर्मचारियों को नियमित करने और आउटसोर्स कर्मचारियों को संविदा पर रखे जाने का भी वादा किया है. इस तरह कांग्रेस ने प्रदेश के करीब 5 लाख से ज्यादा कर्मचारियों पर डोरे डालने का काम किया है.

कर्मचारी संगठन लगातार उठा रहे मांग : कर्मचारी संगठन पुरानी पेंशन स्कीम को अपने भविष्य का आधार बताकर लगातार इसे लागू करने सरकार पर दवाब बना रहे हैं. प्रदेश में अप्रेल 2005 में पुरानी पेंशन योजना को बंद कर दिया गया था. इसके बाद नई पेंशन योजना लाई गई थी, जिसमें कर्मचारी के मूल वेतन से 10 फीसदी की राशि काटी जाती है और उसमें सरकार 14 फीसदी अपना हिस्सा मिलाती है. पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी की सैलरी से कोई कटौती नहीं होती थी. पुरानी पेंशन में जीपीएफ की सुविधा होती थी. नई पेंशन में इसका कोई प्रावधान नहीं है. यही वजह है कि कर्मचारी संगठन इसको फिर से लागू कराने सरकार पर दवाब बना रहे हैं. कर्मचारी अधिकारी संयुक्त मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष जितेन्द्र सिंह के मुताबिक इसको लेकर सरकार को ज्ञापन दे चुके हैं. यदि सरकार का यही रवैया रहा तो प्रदेश में किसान आंदोलन जैसा बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा.

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