भोपाल। भोपाल विकास प्राधिकरण अपने द्वारा शहर में बनाए जा रहे प्रोजेक्ट को समय पर पूरा नहीं कर पा रहा है. जिसके चलते अब खरीदार विभाग से सीधे आमने सामने की लड़ाई लड़ने की तैयारी कर रहे है. बीडीए द्वारा शहर के बीचों बीच महालक्ष्मी अपार्टमेंट नाम से योजना शुरू की गई थी. जिसमें करीब 750 से अधिक अपार्टमेंट तैयार करना की योजना है. जिसे 2017 तक पूरा किया जाना था, लेकिन अभी तक खरीदारों को अपार्टमेंट तैयार कर नहीं दिया जा सकता है. जिसका खरीदार अब विरोध करना शुरू कर रहे है और उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराने की बात कह रहे है.
महालक्ष्मी अपार्टमेंट का लॉटरी सिस्टम से आवंटन किया जाना था. जिसको लेकर सभी खरीदार भोपाल विकास प्राधिकरण के ऑफिस पहुंचे. लेकिन जहां आर्थिक अनियमितताओं के साथ अतिरिक्त ब्याज और जीएसटी लगने सहित निर्माण में गुणवत्ता हिन मटेरियल का उपयोग होने का विरोध खरीदार द्वारा किया जा रहा है. खरीदारों के विरोध के बाद लॉटरी सिस्टम को बीडीए के अधिकारियों द्वारा रुकवा दिया गया है.
उपभोक्ता फोरम में पहुंच रहे खरीदार
महालक्ष्मी अपार्टमेंट में खरीदार अब उपभोक्ता फोरम में जा रहे हैं. घर बुक कराने वाले नसरुद्दीन एडवोकेट सहित अन्य खरीदार का कहना है कि समय पर फ़्लैट की पजेशन बीडीए नहीं दे पाया है. 2017 तक फ्लैट हस्तांतरित किया जाना था. जिसको लेकर 3 किस्तों में पैसा पहले ही जमा करा लिया गया है. साथ ही इसका ब्याज भी भोपाल विकास प्राधिकरण द्वारा लिया जा रहा है. उपभोक्ताओं का कहना है कि 2017 में जीएसटी लागू होने से पहले घर को हस्तांतरित किया जाना था, लेकिन अब 2020 में जीएसटी भी इसमे जोड़ी जा रही है. ऐसे मे प्रत्येक फ्लैट पर 7 लाख रूपये तक अतिरिक्त पैसा देना पड़ रहा है. जिसका असर फ्लैट की कीमत पर पड़ है. वही निर्माण की क़्वालिटी पर भी लोगों ने आपत्ति दर्ज कराई है.
क्या है मामला?
भोपाल विकास प्राधिकरण द्वारा 2014 से शुरू हुए मल्टी निर्माण को 2017 तक खरीदारों को हस्तांतरित किया जाना था. जिसकी मूल कीमत 36 लाख रुपए रखी गई थी. जिसे 4 किस्तों में खरीदार को जमा करने थे. जिसके ब्याज के तौर पर 4 लाख रुपये बीडीए द्वारा लिए जा रहा था. जिसमें से 3 किस्ते जमा करा दी गई, लेकिन प्रोजेक्ट में देरी होने पर चौथी किस्त बीडीए द्वारा रोक दिया गया. कुल फ्लैट की कीमत 40 लाख तक पहुंच गई है. क्योंकि 2017 तक खरीदारों को दिया जाना था, लेकिन 2 साल लेट होने के चलते अभी तक हस्तांतरित नहीं किया जा सका है. ऐसे में निर्माण भवन पर सरकार द्वारा लगाए जाने वाला 18 प्रतिशत जीएसटी भी इन पर लागू होता है. खरीदार जीएसटी के 7 लाख भी जमा करना पड़ेगा. जिसका खरीदारों द्वारा विरोध किया जा रहा है. वहीं इस मामले मे बीडीए सीईओ का कहना है कि जल्दी इस मामले में समस्या का निराकरण करने की बात कही जा रही है.