भोपाल। नियमितीकरण की मांग को लेकर NHM के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी भोपाल में मुख्यमंत्री को फूल और माला देने सीएम निवास जाना चाहते थे. लेकिन प्रशासन ने उन्हें अंबेडकर पार्क के पास ही रोक दिया. इसके बाद कर्मचारियों की पुलिस से भी बहस हो गई. बाद में एक प्रतिनिधि मंडल को CM हाउस के अधिकारियों से मिलवा दिया गया. ऐसे में नाराज कर्मचारियों का कहना है कि सरकार ने जल्द ही निर्णय नहीं लिया तो प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं चरमरा जाएंगी.
CM से नहीं मिले पाए संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी: पिछले कई दिनों से हड़ताल पर बैठे संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों का आंदोलन अब अपने उच्च स्तर पर पहुंचता जा रहा है. नियमितीकरण की मांग को लेकर यह सभी भोपाल में एकत्रित हुए और मुख्यमंत्री निवास जाने की तैयारी में जुट गए. इन्होंने हाथों में फूल और मालाएं लेकर मुख्यमंत्री का स्वागत कर उनसे मिलने की योजना बनाई थी. लेकिन पुलिस प्रशासन ने इन्हें अंबेडकर पार्क में ही रोक दिया. इसके बाद इनकी पुलिस से भी बहस हो गई. महिला कर्मचारी अपने संघर्ष के नारे लगाती हुई गेट पर ही पुलिस वालों से बहस करने लगी. इसके बाद प्रदेश भर से आए संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी धरने पर बैठ गए और सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी करने लगे. NHM संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष विजय ठक्कर का कहना था कि "अपनी मांगों को लेकर यह हर तरह का प्रयास कर चुके हैं. बावजूद इसके उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. ऐसे में सरकार क्या चाहती है यह समझ में नहीं आ रहा. अगर इनकी मांगे नहीं मानी गई तो यह आंदोलन लगातार जारी रहेगा और स्वास्थ्य व्यवस्थाएं प्रदेश में चमरा जाएंगे."
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उग्र आंदोलन की चेतावनी: मंदसौर से आई प्रतिज्ञा कहती हैं कि "हम भी इनकी बहने हैं. ऐसे में बहनों का जो दर्द है उसे हमारे भाई को समझना चाहिए. हम उनके लिए यह माला लेकर आए हैं और उन्हें भेंट करना चाहते हैं." वहीं प्रदेशभर से आए कुछ एनएचएम संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों का कहना था कि उनके सामने परिवार को पालना ही मुश्किल हो रहा है. इतनी कम तनखा में इनका गुजारा नहीं होता. यह 10 से 15 सालों से संविदा पर ही काम कर रहे हैं. ऐसे में सरकार अगर इन्हें नियमित नहीं करती है तो यह कहां जाएंगी. इसके बाद पुलिस प्रशासन ने इनके एक प्रतिनिधिमंडल को मुख्यमंत्री निवास में अधिकारियों के पास भेजा, जहां इनकी सहमति नहीं बनी और इनका ज्ञापन ले लिया गया. ऐसे में इनका कहना है कि अगर इनकी मांगे नहीं मानी गई तो अब उग्र आंदोलन होगा.