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राम मंदिर की तर्ज पर होगा भिंड के वनखंडेश्वर महादेव मंदिर का जीर्णोद्धार, जानें मंदिर के इतिहास से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

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Published : Apr 1, 2023, 2:02 PM IST

Updated : Apr 1, 2023, 2:24 PM IST

भोलेनाथ के ऐतिहासिक वनखंडेश्वर मंदिर के जीर्णोद्धार की आधारशिला रख चुकी है, मंदिर को नया स्वरूप देने का काम भी अब तेज़ी होगा. क़रीब 900 वर्ष पुराना और सम्राट पृथ्वीराज चौहान द्वारा भिंड में निर्मित यह मंदिर जल्द ही भव्य रूप में नज़र आएगा. कैसा होगा मंदिर का नया स्वरूप, क्या क्या होंगे नये निर्माण, मंदिर में किस तरह की कलाकारी और कारीगरी देखने को मिलेगी, जानिए ETV भारत की इस ख़ास रिपोर्ट के जरिए.

Bhind Vankhandeshwar Mahadev
भिंड वनखंडेश्वर महादेव मंदिर
वनखंडेश्वर महादेव मंदिर का होगा जीर्णोद्धार

भिंड। भारत में इन दिनों हिंदू मंदिरों के जीर्णोद्धार, निर्माण का स्वर्णिम काल चल रहा है. अयोध्या में बन रहा राम मंदिर अपनी भव्यता के लिए निर्माण पूर्ण होने से पहले ही चर्चा में है, वहीं भारत में अब मंदिरों का पुनर्विकास की नई गाथा लिख रहा है. ये सिलसिला लगातार आगे बढ़ रहा है उत्तर प्रदेश का काशी विश्वनाथ कॉरिडोर हो या मध्यप्रदेश के उज्जैन में महाकाल लोक संस्कृति, धर्म और भक्ति के अनूठे आयाम स्थापित कर रहे हैं. इसी कड़ी में मध्यप्रदेश के भिंड जिले में बना एतिहासिक वनखंडेश्वर महादेव मंदिर का भी जीर्णोद्धार होने जा रहा है. मध्यप्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस मंदिर के पुनर्विकास की मंजूरी दे चुके हैं, निर्माण कार्यों की प्रथम किस्त भी आ चुकी है और औपचारिक रूप से काम भी शुरू हो गया है.

वनखंडेश्वर महादेव मंदिर का जीर्णोद्धार
वनखंडेश्वर महादेव मंदिर का जीर्णोद्धार

क़रीब 4 करोड़ की लागत से होगा पुनर्विकास: भिंड की प्राचीन धरोहर वनखंडेश्वर महादेव मंदिर भारतीय पुरातत्व विभाग के अन्तर्गत आता है, इसलिए इसके निर्माण में उन सभी नियमों का ध्यान रखा जाएगा जिनसे इस मंदिर का एतिहासिक महत्व को नुक़सान ना हो. भिंड विधायक संजीव सिंह कुशवाह ने ईटीवी भारत को बताया कि "इस मंदिर को भव्यता और सुंदरता के साथ एक नया स्वरूप दिया जा रहा है, जिसमें क़रीब 3 से 4 करोड़ रुपय की लागत आएगी. इसलिए इस प्रोजेक्ट को चरणबद्ध तरीक़े से पूरा किया जाएगा, प्रथम चरण के लिए सरकार ने 40 लाख रुपय आवंटित भी कर दिये हैं. जब यह मंदिर का नये रूप में बनकर तैयार होगा तो इसका सौंदर्य अपने आप में भक्तों का मन मोह लेगा."

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राम मंदिर और दक्षिण के मंदिरों की दिखेगी झलक: भोलेनाथ के इस प्राचीन शिवालय का डिजाइन तैयार कार्य जा चुका है, जिसके अनुसार अलग-अलग चरणों में निर्माण और सौंदर्यीकरण के कार्य होंगे. प्रथम चरण में मंदिर का सामने का भाग यानि मुख्यद्वार स्टोन से बनाया जाएगा, जिसके लिए वियतनाम वाइट स्टोन का इस्तेमाल होगा. प्रवेश द्वार पर एक शिखर बनाया जाएगा, इसमें आगे की दीवार, कॉलम, शिखर, छज्जा, मूर्तियां, गुम्मद, छोटा शिखर स्टोन से बनाया जाएगा. वहीं अन्य चरणों में कार्य आगे बढ़ेगा. मंदिर में मुख्य शिखर के अलावा बीच में दो छोटे शिखर होंगे, मंदिर के मुख्य हिस्से में मंदिर की मेन दीवार, कालम, शिखर, मूर्ति स्टोन से बनाई जाएगी. तैयार होने पर इस मंदिर में राम मंदिर और दक्षिण के मंदिरों की झलक नजर आएगी. अब तक मिली जानकारी के अनुसार चरणबद्ध रूप में कार्य आगे बढ़ने के लिए समय पर राशि आवंटन होना आवश्यक है, ऐसे में इस ऐतिहासिक मंदिर के पुनर्विकास में 2 से 3 वर्ष तक का समय लगने का अनुमान है.

वनखंडेश्वर महादेव मंदिर का होगा जीर्णोद्धार
वनखंडेश्वर महादेव मंदिर का होगा जीर्णोद्धार

मंदिर के इतिहास से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें: बता दें कि भिंड जिला मुख्यालय पर स्थित वनखंडेश्वर महादेव मंदिर भारतवर्ष का एक मात्र ऐसा मंदिर प्रतीत है, जहां एक नहीं बल्कि दो अखंड ज्योति लगभग 900 वर्ष से प्रज्वलित हैं. ये राजा पृथ्वीराज चौहान के द्वारा जलाई गयीं थी और आज भी अखंड हैं, इस प्राचीन मंदिर का निर्माण भी ख़ुद पृथ्वीराज चौहान द्वारा ही कराया गया था. वे महोबा के चंदेल राजा से युद्ध जाते समय भिंड में जो उस समय वनक्षेत्र था, गौरी सरोवर के निकट पड़ाव डाला था. यहीं उन्होंने दुश्मन पर निगरानी के लिए चौकी का निर्माण कराया जो आज भिंड क़िले के रूप में जानी जाती है, जिस स्थान पर वे रुके थे. रात में उन्हें स्वप्न में ज़मीन के अंदर शिवलिंग होने का क्या चला था, जागने पर उन्होंने शिवलिंग खुदाई करवा कर बाहर निकाला और उसकी स्थापना की. जब महोबा के राजाओं पर फ़तह हासिल कर लौटे, तभी उन्होंने इस स्थान पर पूजा अनुष्ठान के साथ मंदिर का निर्माण कराया. वनक्षेत्र होने से शिवलिंग का नाम वनखंडेश्वर महादेव पड़ा.

वनखंडेश्वर महादेव मंदिर का होगा जीर्णोद्धार

भिंड। भारत में इन दिनों हिंदू मंदिरों के जीर्णोद्धार, निर्माण का स्वर्णिम काल चल रहा है. अयोध्या में बन रहा राम मंदिर अपनी भव्यता के लिए निर्माण पूर्ण होने से पहले ही चर्चा में है, वहीं भारत में अब मंदिरों का पुनर्विकास की नई गाथा लिख रहा है. ये सिलसिला लगातार आगे बढ़ रहा है उत्तर प्रदेश का काशी विश्वनाथ कॉरिडोर हो या मध्यप्रदेश के उज्जैन में महाकाल लोक संस्कृति, धर्म और भक्ति के अनूठे आयाम स्थापित कर रहे हैं. इसी कड़ी में मध्यप्रदेश के भिंड जिले में बना एतिहासिक वनखंडेश्वर महादेव मंदिर का भी जीर्णोद्धार होने जा रहा है. मध्यप्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस मंदिर के पुनर्विकास की मंजूरी दे चुके हैं, निर्माण कार्यों की प्रथम किस्त भी आ चुकी है और औपचारिक रूप से काम भी शुरू हो गया है.

वनखंडेश्वर महादेव मंदिर का जीर्णोद्धार
वनखंडेश्वर महादेव मंदिर का जीर्णोद्धार

क़रीब 4 करोड़ की लागत से होगा पुनर्विकास: भिंड की प्राचीन धरोहर वनखंडेश्वर महादेव मंदिर भारतीय पुरातत्व विभाग के अन्तर्गत आता है, इसलिए इसके निर्माण में उन सभी नियमों का ध्यान रखा जाएगा जिनसे इस मंदिर का एतिहासिक महत्व को नुक़सान ना हो. भिंड विधायक संजीव सिंह कुशवाह ने ईटीवी भारत को बताया कि "इस मंदिर को भव्यता और सुंदरता के साथ एक नया स्वरूप दिया जा रहा है, जिसमें क़रीब 3 से 4 करोड़ रुपय की लागत आएगी. इसलिए इस प्रोजेक्ट को चरणबद्ध तरीक़े से पूरा किया जाएगा, प्रथम चरण के लिए सरकार ने 40 लाख रुपय आवंटित भी कर दिये हैं. जब यह मंदिर का नये रूप में बनकर तैयार होगा तो इसका सौंदर्य अपने आप में भक्तों का मन मोह लेगा."

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वनखंडेश्वर महादेव मंदिर का होगा जीर्णोद्धार
वनखंडेश्वर महादेव मंदिर का होगा जीर्णोद्धार

मंदिर के इतिहास से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें: बता दें कि भिंड जिला मुख्यालय पर स्थित वनखंडेश्वर महादेव मंदिर भारतवर्ष का एक मात्र ऐसा मंदिर प्रतीत है, जहां एक नहीं बल्कि दो अखंड ज्योति लगभग 900 वर्ष से प्रज्वलित हैं. ये राजा पृथ्वीराज चौहान के द्वारा जलाई गयीं थी और आज भी अखंड हैं, इस प्राचीन मंदिर का निर्माण भी ख़ुद पृथ्वीराज चौहान द्वारा ही कराया गया था. वे महोबा के चंदेल राजा से युद्ध जाते समय भिंड में जो उस समय वनक्षेत्र था, गौरी सरोवर के निकट पड़ाव डाला था. यहीं उन्होंने दुश्मन पर निगरानी के लिए चौकी का निर्माण कराया जो आज भिंड क़िले के रूप में जानी जाती है, जिस स्थान पर वे रुके थे. रात में उन्हें स्वप्न में ज़मीन के अंदर शिवलिंग होने का क्या चला था, जागने पर उन्होंने शिवलिंग खुदाई करवा कर बाहर निकाला और उसकी स्थापना की. जब महोबा के राजाओं पर फ़तह हासिल कर लौटे, तभी उन्होंने इस स्थान पर पूजा अनुष्ठान के साथ मंदिर का निर्माण कराया. वनक्षेत्र होने से शिवलिंग का नाम वनखंडेश्वर महादेव पड़ा.

Last Updated : Apr 1, 2023, 2:24 PM IST
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