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आखिर क्यों इलाज के लिए अस्पताल नहीं पहुंच सका आदिवासी शख्स? मौत के बाद 3 दिनों तक घर में पड़ी रही लाश - बालाघाट में इलाज के अभाव में व्यक्ति की मौत

बालाघाट में एक 32 साल के युवक की मौत हो गई. मौत की वजह चौकाने वाली है. एक आदिवासी शख्स अस्पताल में इलाज के लिए निकला था मगर कभी हॉस्पिटल की चौखट तक नहीं पहुंच सका. तीन दिनों तक उसकी लाश एक घर में सड़ती रही. जानिए आखिर ऐसा क्या हुआ युवक के साथ कि वो स्वास्थ्य केंद्र के OPD से आगे नहीं जा सका और उससे पहले मौत हो गई. (Lack Of Treatment in Balaghat)

Lack Of Treatment in Balaghat
बालाघाट में इलाज के अभाव में युवक की मौत
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Published : Jun 6, 2022, 10:21 PM IST

बालाघाट। तहसील मुख्यालय परसवाडा के विश्राम गृह के पास एक झोपड़ी में 32 साल के युवक का शव मिला है. शव मिलने से गांव में हड़कंप मच गया. इसकी सूचना ग्रामीणों ने पुलिस को दी. इसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने युवक के शव की शिनाख्त की तो पता चला कि ये युवक भीकेवाड़ा का है. पुलिस ने मृतक के परिजनों को इसकी जानकारी दी, और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.

अस्पताल नहीं पहुंचने से युवक की मौत: पुलिस ने शव को परिजन को सौंप दिया है. सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र से मिली जानकारी के अनुसार युवक संजय 30 मई को तकरीबन 11 बजे इलाज कराने के लिए अस्पताल पहुंचा था. इसकी जानकारी ओपीड़ी में दर्ज है, जहां पर उसे खून की उल्टी भी हुई थी. उसकी हालत को देखकर तकरीबन 1 बजे चिकित्सकों ने उसे जिला अस्पताल रेफर किया. युवक अकेले होने की वजह से जिला अस्पताल नहीं पहुंच पाया.

मृतक परिवार से रहता था दूर: मृतक की पत्नी ने बताया की उनके बच्चे की तबीयत खराब होने की वजह से वे साथ में नहीं जा सकी थी. वहीं ग्रामीणों का कहना है कि वे बीते दो सालों से परिवार के साथ अपने ससुराल गांव अरंडिया में रहता था, और अपने परिवार से मिलने कभी कभी अपने गांव आया जाया करता था. मृतक के परिवार में पत्नी, दो बेटियां और एक छोटा बेटा है. (Death of man due to lack of treatment in Balaghat)

इलाज के अभाव में युवक की मौत: चिकित्सकों की माने तो यदि समय रहते युवक को उचित उपचार मिल जाता तो उसकी जान बच जाती. आदिवासी बहुल क्षेत्र होने की वजह से यहां अब तक अस्पताल में सभी तरह के टेस्ट भी नहीं हो पाते हैं. टेस्ट करवाने के लिए भी ग्रामीणों को गांव से बाहर जाना पड़ता है. आधुनिक उपकरण के लिए भी ग्रामीणों को बाहर जाना पड़ता है, इसकी वजह से समय के अभाव में इलाज नहीं मिलने से कई लोगों की मौत हो जाती है.

बालाघाट। तहसील मुख्यालय परसवाडा के विश्राम गृह के पास एक झोपड़ी में 32 साल के युवक का शव मिला है. शव मिलने से गांव में हड़कंप मच गया. इसकी सूचना ग्रामीणों ने पुलिस को दी. इसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने युवक के शव की शिनाख्त की तो पता चला कि ये युवक भीकेवाड़ा का है. पुलिस ने मृतक के परिजनों को इसकी जानकारी दी, और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.

अस्पताल नहीं पहुंचने से युवक की मौत: पुलिस ने शव को परिजन को सौंप दिया है. सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र से मिली जानकारी के अनुसार युवक संजय 30 मई को तकरीबन 11 बजे इलाज कराने के लिए अस्पताल पहुंचा था. इसकी जानकारी ओपीड़ी में दर्ज है, जहां पर उसे खून की उल्टी भी हुई थी. उसकी हालत को देखकर तकरीबन 1 बजे चिकित्सकों ने उसे जिला अस्पताल रेफर किया. युवक अकेले होने की वजह से जिला अस्पताल नहीं पहुंच पाया.

मृतक परिवार से रहता था दूर: मृतक की पत्नी ने बताया की उनके बच्चे की तबीयत खराब होने की वजह से वे साथ में नहीं जा सकी थी. वहीं ग्रामीणों का कहना है कि वे बीते दो सालों से परिवार के साथ अपने ससुराल गांव अरंडिया में रहता था, और अपने परिवार से मिलने कभी कभी अपने गांव आया जाया करता था. मृतक के परिवार में पत्नी, दो बेटियां और एक छोटा बेटा है. (Death of man due to lack of treatment in Balaghat)

इलाज के अभाव में युवक की मौत: चिकित्सकों की माने तो यदि समय रहते युवक को उचित उपचार मिल जाता तो उसकी जान बच जाती. आदिवासी बहुल क्षेत्र होने की वजह से यहां अब तक अस्पताल में सभी तरह के टेस्ट भी नहीं हो पाते हैं. टेस्ट करवाने के लिए भी ग्रामीणों को गांव से बाहर जाना पड़ता है. आधुनिक उपकरण के लिए भी ग्रामीणों को बाहर जाना पड़ता है, इसकी वजह से समय के अभाव में इलाज नहीं मिलने से कई लोगों की मौत हो जाती है.

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