इंदौर। मोदी मंत्रिमंडल के 2.0 में होने वाले विस्तार में मध्य प्रदेश बीजेपी के बड़े नेता और पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय एक बार फिर कैबिनेट में शामिल होने से चूक गए. इस विस्तार में मध्य प्रदेश से दो लोगों को शामिल किया जाना था. प्रदेश से ज्योतिरादित्य सिंधिया और कैलाश विजयवर्गीय के मंत्री बनाए की ज्यादा संभावना नजर आ रही थी. इनमें से सिंधिया को तो पीएमओ से फोन आया, लेकिन तमाम उम्मीदों और कोशिशों के बावजूद कैलाश विजयवर्गीय को कैबिनेट मंत्री बनाए जाने की संभावनाएं खत्म हो गईं.
केंद्र कैबिनेट मंत्री बनाए जाने को लेकर आश्वस्त थे कैलाश
बंगाल चुनाव के बाद मध्यप्रदेश लौटे कैलाश पिछले दिनों में कुछ बदले बदले नजर आ रहे थे. उन्हें उम्मीद थी कि केंद्र में उन्हें जल्द ही कोई नई भूमिका कैबिनेट मंत्री के रूप में दी जाएगी. केंद्रीय मंत्रिमंडल के संभावित विस्तार को लेकर वे अपनी चिर-परिचित बयानबाजी से बचते नजर आ रहे थे. इस दौरान प्रदेश में भी चेहरा बदलने को लेकर तमाम अफवाहें सामने आईं, लेकिन आक्रामक बयानबाजी करने वाले कैलाश नेतृत्व के प्रति विश्वास जताते नजर आए. इसके पीछे की बड़ी वजह थी उन्हें मोदी कैबिनेट में शामिल किए जाने की उम्मीद.
इंदौर में थे सिंधिया तभी आया PMO से फोन
मंगलवार 6 जुलाई को ज्योतिरादित्य सिंधिया जब इंदौर और उज्जैन के दौरे पर थे तभी उन्हें मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार में शामिल होने को लेकर पीएमओ से बुलावा आया था. जिसके बाद सिंधिया ने अपने सभी कार्यक्रम निरस्त करते हुए उज्जैन में महाकाल की पूजा अर्चना करने के बाद उन्होंने दिल्ली की राह पकड़ ली. जिसके बाद कैलाश विजयवर्गीय को भी केंद्र से बुलावा आने की उम्मीद थी, लेकिन मंत्रीमंडल में शामिल किए जाने को लेकर उन्हें पीएमओ से कोई फोन नहीं आया. इसे लेकर विजयवर्गीय निराश नजर आए. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि मंत्री बनाया जाना या नहीं बनाया जाना यह पार्टी का फैसला है. किसे शामिल करना है किसे नहीं करना यह पार्टी तय करती है. प्रेस से चर्चा के दौरान उन्होंने स्पष्ट किया कि जहां तक उनका सवाल है तो यह पार्टी को तय करना है.
खंडवा से नहीं लड़ेंगे चुनाव
केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार हो चुका है. इसके साथ ही कैलाश विजयवर्गीय के कैबिनेट मंत्री बनने की सारी संभावनाएं भी खत्म हो चुकी है. चर्चा यह भी है कि कैलाश विजयवर्गीय को खंडवा की खाली हो चुकी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ाया जा सकता है. खंडवा लोकसभा सीट सांसद रहे नंदकुमार सिंह के निधन के बाद खाली हुई है. इस सवाल पर उनका कहना था कि वे इंदौर हैं और खंडवा नहीं जाएंगे. विजयवर्गीय ने खंडवा से चुनाव लड़ने से भी इंकार कर दिया है.हालांकि कि इससे पहले ऐसा माना जा रहा था कि कैलाश खंडवा से चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं, लेकिन बदली हुई परिस्थितियों में उन्होंने खंडवा से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है.