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Ashoka Stambh Controversy: इंदौर के शिल्पकार की देन है अशोक स्तंभ का दुर्लभ चित्र, परिजनों ने असली अशोक स्तंभ में बने शेरों को शांतिप्रिय करार दिया

भारत के राष्‍ट्रीय प्रतीक को सारनाथ में मिली सम्राट अशोक की लाट से लिया गया है. नए संसद भवन की छत पर अशोक स्तंभ की स्थापना के बाद से विवाद शुरू हो गया है. अशोक स्तंभ देश का राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न है. वहीं इसको लेकर शिल्पकार के परिवार वालों का क्या कहना है पढ़िए यहां. (Ashoka Stambh Controversy)

Indore Dinanath Bhargava Ashoka Pillar Craftsman
इंदौर दीनानाथ भार्गव अशोक स्तंभ शिल्पकार
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Published : Jul 13, 2022, 6:40 PM IST

Updated : Jul 22, 2022, 11:44 AM IST

इंदौर। देश में अब अशोक स्तंभ को लेकर विवाद शुरू हो गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को नए संसद भवन की छत पर स्थापित किए गए राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न अशोक स्तंभ का अनावरण किया था. इसके बाद से ही विपक्ष ने केंद्र सरकार पर अशोक स्तंभ से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाना शुरू कर दिया है. इस बीच भारतीय संविधान में उल्लेखित मूल अशोक स्तंभ का चित्र बनाने वाले दीनानाथ भार्गव के परिवार ने भी संविधान के असली अशोक स्तंभ में बने शेरों को शांतिप्रिय करार दिया है. (Ashoka Stambh Controversy)

इंदौर के शिल्पकार की देन है अशोक स्तंभ का दुर्लभ चित्र

चारों शेरों की डिजाइन पर सवाल: अशोक स्तंभ के शेरों का चित्र बनाने वाले स्वर्गीय दीनानाथ भार्गव की धर्मपत्नी प्रभा दीनानाथ भार्गव का कहना है कि, संसद भवन के लिए जो अशोक स्तंभ तैयार कराया गया है, उसमें संभवतः शेर उग्र रूप में दर्शाए गए हैं इसीलिए विरोध या बवाल हो रहा है. असल में विपक्षी दल नए अशोक स्तंभ पर बने चारों शेरों की डिजाइन पर सवाल उठा रहे हैं. इसके मुताबिक इन शेरों का मुंह आक्रामक ढंग से खुला हुआ है, जबकि सारनाथ में बने मूल अशोक की लाट पर जो शेर बने हैं, उनका मुंह बंद है. (Indore Dinanath Bhargava Ashoka Pillar Craftsman)

अशोक स्तंभ पर मचा बवाल: संसद भवन में लगने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर तैयार किए गए अशोक स्तंभ के मूल स्वरूप से अलग होने और शांतिप्रिय के स्थान पर शेरों के उग्र दिखाई देने का आरोप विपक्षी दलों ने लगाया है. हालांकि इसे बनाने वाले शिल्पकार सुनील देवरे ने दावा किया है कि उनके द्वारा बनाई गई प्रतिकृति मूल अशोक स्तंभ पर ही आधारित है जो 99 प्रतिशत मूल कृति की तरह ही है. वहीं जब विपक्षी दलों के विरोध के चलते यह मामला गरमाया तो अशोक स्तंभ का संविधान के लिए चित्र बनाने वाले स्वर्गीय दीनानाथ भार्गव के परिजनों ने भी स्वर्गीय भार्गव के उल्लेखनीय योगदान को याद किया. (Ashoka Pillar Craftsman family)

शेरों का चित्र संविधान का प्रतीक: परिजनों ने स्वर्गीय भार्गव के द्वारा तैयार किया गया मूल चित्र प्रदर्शित करते हुए अशोक स्तंभ में शेरों के स्वभाव की वास्तविकता उजागर की है. शेरों का चित्र तैयार करने वाले स्वर्गीय दीनानाथ भार्गव की पत्नी प्रभावती भार्गव ने कहा, उनके पति ने जो चित्र बनाया है उसमें शेर अपनी मादा और बच्चे के साथ शांत स्वभाव में बैठे प्रतीत होते हैं, क्योंकि यह चित्र संविधान की प्रतीक में उपयोग होना था. इसी वजह से उस समय स्वर्गीय भार्गव ने शेरों की शांत प्रवृत्ति को उनके इस दुर्लभ चित्र में समाहित किया. ये आज भी उनके पास धरोहर के रूप में मौजूद है. इस चित्र की मूल कॉपी तो संविधान की प्रतीक में उपयोग कर ली गई, लेकिन संविधान की प्रतीक के पहले एक अन्य चित्र जो स्वर्गीय भार्गव ने तैयार किया था वह एक ब्रश गिर जाने के कारण हल्का सा बिगड़ गया था. लिहाजा उस समय अशोक स्तंभ की नई दूसरी प्रतिकृति बनानी पड़ी जो आज भी संविधान के पहले पेज पर मौजूद है.

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अशोक स्तंभ का महत्व: देश के राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह अशोक स्तंभ के जरिए सम्राट अशोक ने भगवान बुद्ध की शांति के संदेश को दुनिया में फैलाया था. सारनाथ और सांची के अशोक स्तंभों के ऊपरी हिस्से में चार एशियाई मूल के शेर दिखाई देते हैं. यह शेर साहस, शक्ति, आत्मविश्वास और गौरव को दर्शाते हैं. इसके नीचे एक घोड़ा और एक बैल है. बीच में धर्म चक्र के पूर्वी भाग में एक हाथी और पश्चिमी भाग में एक बैल है, जबकि दक्षिणी भाग में घोड़े और उत्तरी भाग में शेर हैं. यह मध्य में बने पहिए से अलग होते हैं. राष्ट्रीय चिन्ह सम्राट अशोक ने तैयार कराया था जिसे स्वतंत्र भारत के प्रतीक चिन्ह के रूप में अपनाया गया. फिलहाल वाराणसी के सारनाथ संग्रहालय में रखी गई अशोक की लाट को 26 अगस्त 1950 को अपनाया गया था. यह प्रत्येक भारतीय मुद्रा से लेकर पासपोर्ट और समस्त शासकीय लेटर हेड तक में दिखाई देता है. अशोक स्तंभ के नीचे अशोक चक्र को भारतीय ध्वज के मध्य भाग में स्थापित किया गया. यह प्रतीक चिन्ह देश में सम्राट अशोक के युद्ध कौशल और शांति की नीति को प्रदर्शित करता है. सम्राट अशोक मौर्य वंश के सबसे शक्तिशाली सम्राट माने जाते हैं. 304 ईसा पूर्व में उनका जन्म हुआ था. 232 ईसा पूर्व तक उनका साम्राज्य उत्तर में हिंदू को तक्षशिला से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी, स्वर्ण गिरी पहाड़ी, और मैसूर तक फैला हुआ था.

इंदौर। देश में अब अशोक स्तंभ को लेकर विवाद शुरू हो गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को नए संसद भवन की छत पर स्थापित किए गए राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न अशोक स्तंभ का अनावरण किया था. इसके बाद से ही विपक्ष ने केंद्र सरकार पर अशोक स्तंभ से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाना शुरू कर दिया है. इस बीच भारतीय संविधान में उल्लेखित मूल अशोक स्तंभ का चित्र बनाने वाले दीनानाथ भार्गव के परिवार ने भी संविधान के असली अशोक स्तंभ में बने शेरों को शांतिप्रिय करार दिया है. (Ashoka Stambh Controversy)

इंदौर के शिल्पकार की देन है अशोक स्तंभ का दुर्लभ चित्र

चारों शेरों की डिजाइन पर सवाल: अशोक स्तंभ के शेरों का चित्र बनाने वाले स्वर्गीय दीनानाथ भार्गव की धर्मपत्नी प्रभा दीनानाथ भार्गव का कहना है कि, संसद भवन के लिए जो अशोक स्तंभ तैयार कराया गया है, उसमें संभवतः शेर उग्र रूप में दर्शाए गए हैं इसीलिए विरोध या बवाल हो रहा है. असल में विपक्षी दल नए अशोक स्तंभ पर बने चारों शेरों की डिजाइन पर सवाल उठा रहे हैं. इसके मुताबिक इन शेरों का मुंह आक्रामक ढंग से खुला हुआ है, जबकि सारनाथ में बने मूल अशोक की लाट पर जो शेर बने हैं, उनका मुंह बंद है. (Indore Dinanath Bhargava Ashoka Pillar Craftsman)

अशोक स्तंभ पर मचा बवाल: संसद भवन में लगने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर तैयार किए गए अशोक स्तंभ के मूल स्वरूप से अलग होने और शांतिप्रिय के स्थान पर शेरों के उग्र दिखाई देने का आरोप विपक्षी दलों ने लगाया है. हालांकि इसे बनाने वाले शिल्पकार सुनील देवरे ने दावा किया है कि उनके द्वारा बनाई गई प्रतिकृति मूल अशोक स्तंभ पर ही आधारित है जो 99 प्रतिशत मूल कृति की तरह ही है. वहीं जब विपक्षी दलों के विरोध के चलते यह मामला गरमाया तो अशोक स्तंभ का संविधान के लिए चित्र बनाने वाले स्वर्गीय दीनानाथ भार्गव के परिजनों ने भी स्वर्गीय भार्गव के उल्लेखनीय योगदान को याद किया. (Ashoka Pillar Craftsman family)

शेरों का चित्र संविधान का प्रतीक: परिजनों ने स्वर्गीय भार्गव के द्वारा तैयार किया गया मूल चित्र प्रदर्शित करते हुए अशोक स्तंभ में शेरों के स्वभाव की वास्तविकता उजागर की है. शेरों का चित्र तैयार करने वाले स्वर्गीय दीनानाथ भार्गव की पत्नी प्रभावती भार्गव ने कहा, उनके पति ने जो चित्र बनाया है उसमें शेर अपनी मादा और बच्चे के साथ शांत स्वभाव में बैठे प्रतीत होते हैं, क्योंकि यह चित्र संविधान की प्रतीक में उपयोग होना था. इसी वजह से उस समय स्वर्गीय भार्गव ने शेरों की शांत प्रवृत्ति को उनके इस दुर्लभ चित्र में समाहित किया. ये आज भी उनके पास धरोहर के रूप में मौजूद है. इस चित्र की मूल कॉपी तो संविधान की प्रतीक में उपयोग कर ली गई, लेकिन संविधान की प्रतीक के पहले एक अन्य चित्र जो स्वर्गीय भार्गव ने तैयार किया था वह एक ब्रश गिर जाने के कारण हल्का सा बिगड़ गया था. लिहाजा उस समय अशोक स्तंभ की नई दूसरी प्रतिकृति बनानी पड़ी जो आज भी संविधान के पहले पेज पर मौजूद है.

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Last Updated : Jul 22, 2022, 11:44 AM IST
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