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आदिवासी तय करेंगे छिंदवाड़ा का राजनीतिक भविष्य, दोनों दलों के सामने बढ़ी चुनौतियां - Gondwana candidates have won last election

आरक्षण प्रक्रिया होने के बाद सभी दल जीत के लिए तैयारियों में जुट गए हैं. दोनों बड़े दलों के सामने आदिवासी वोटों को साधने की चुनौती है. जिसके लिए अपने-अपने तरीके से रिझाने में जुटे हुए हैं. लेकिन छिंदवाड़ा में दोनों बड़े दलों के रास्ते में भारतीय गोंडवाना पार्टी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी बड़ा रोड़ा हैं, जो चुनाव में नुकसानदायक साबित हो सकती हैं.

Tribals will decide Chhindwara political future
आदिवासी तय करेंगे छिंदवाड़ा का राजनीतिक भविष्य
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Published : May 26, 2022, 2:14 PM IST

छिंदवाड़ा। आरक्षण प्रक्रिया होने के बाद पंचायत चुनाव में दोनों दलों को तीसरी ताकत यानी कि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से निपटने की चुनौती होगी. क्योंकि इस बार गोंडवाना गणतंत्र पार्टी नगरीय निकाय और ग्राम पंचायत चुनाव में भी अपने कैंडिडेट उतार रही है.

ग्रामीण इलाकों में आदिवासी वोट बैंक का दबदबा: आरक्षण प्रक्रिया के साथ ही एक तरह से चुनावी बिगुल बज चुका है. पंचायत हो या नगरीय निकाय, सभी जगह कांग्रेस और भाजपा अपना परचम लहराने की तैयारी में है. 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माने जा रहे पंचायतों और नगरीय निकाय चुनाव में दोनों दल सभी वर्गों को साधने के लिए जोर लगा रहे हैं. सबसे ज्यादा ध्यान आदिवासियों पर है, जिले में आदिवासियों की संख्या करीब 37 फीसदी है. यह वोट बैंक जिस करवट बैठेगा, जीत का ताज उसी के सिर पर सजेगा यह तय माना जा रहा है. ऐसे में भाजपा और कांग्रेस दोनों आदिवासी वोट बैंक को साधने में जुटी हैं.

Challenge to deal with Gondwana Gantantra Party in Chhindwara
छिंदवाड़ा में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से निपटने की चुनौती

भारतीय गोंडवाना और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी मैदान में: छिंदवाड़ा में 37 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति की है. खास बात यह है कि स्थानीय निकाय चुनाव में गोंडवाना पार्टी भी अपनी ताकत का एहसास कराने की तैयारी में है. जिले में भारतीय गोंडवाना पार्टी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की उपस्थिति है. भारतीय गोंडवाना पार्टी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी भी पंचायतों और नगरीय निकायों में दमखम के साथ तैयारी में जुटी है. गोंडवाना के दोनों दल ना तो खुद आपस में हाथ मिलाते दिख रहे हैं और ना ही भाजपा या कांग्रेस से उनकी नजदीकियां नजर आ रही हैं. दोनों दल अपने दम पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.

पहले भी जीते हैं गोंडवाना के प्रत्याशी: गोंडवाना पार्टी ने पिछले पंचायत चुनाव में भी अपना दमखम दिखाया था. जिले की 26 में से 2 जिला पंचायत क्षेत्रों से अपने प्रत्याशी जीता कर लाए थे. वहीं हर्रई और अमरवाड़ा जनपद पंचायत में अध्यक्ष बैठाए थे. जबकि बिछुआ जनपद में उपाध्यक्ष का पद पाने में सफलता पाई. इस बार दायरा और बढ़ाने की तैयारी में गोंडवाना के लोग जुटे हुए हैं.

अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित निकायों की स्थिति: इस बार के पंचायत चुनाव के आरक्षण के लिए जिला पंचायत की कुल 26 में से 12 जिला पंचायत क्षेत्र अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हुई हैं. वहीं जनपद पंचायत में से कुल 11 में से छह जनपद पंचायत अध्यक्ष के पद अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हुए हैं. नगर निगम में पहली बार छिंदवाड़ा का महापौर अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हुआ है. जबकि 48 में से छह वार्ड अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हुए हैं.

छिंदवाड़ा। आरक्षण प्रक्रिया होने के बाद पंचायत चुनाव में दोनों दलों को तीसरी ताकत यानी कि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से निपटने की चुनौती होगी. क्योंकि इस बार गोंडवाना गणतंत्र पार्टी नगरीय निकाय और ग्राम पंचायत चुनाव में भी अपने कैंडिडेट उतार रही है.

ग्रामीण इलाकों में आदिवासी वोट बैंक का दबदबा: आरक्षण प्रक्रिया के साथ ही एक तरह से चुनावी बिगुल बज चुका है. पंचायत हो या नगरीय निकाय, सभी जगह कांग्रेस और भाजपा अपना परचम लहराने की तैयारी में है. 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माने जा रहे पंचायतों और नगरीय निकाय चुनाव में दोनों दल सभी वर्गों को साधने के लिए जोर लगा रहे हैं. सबसे ज्यादा ध्यान आदिवासियों पर है, जिले में आदिवासियों की संख्या करीब 37 फीसदी है. यह वोट बैंक जिस करवट बैठेगा, जीत का ताज उसी के सिर पर सजेगा यह तय माना जा रहा है. ऐसे में भाजपा और कांग्रेस दोनों आदिवासी वोट बैंक को साधने में जुटी हैं.

Challenge to deal with Gondwana Gantantra Party in Chhindwara
छिंदवाड़ा में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से निपटने की चुनौती

भारतीय गोंडवाना और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी मैदान में: छिंदवाड़ा में 37 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति की है. खास बात यह है कि स्थानीय निकाय चुनाव में गोंडवाना पार्टी भी अपनी ताकत का एहसास कराने की तैयारी में है. जिले में भारतीय गोंडवाना पार्टी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की उपस्थिति है. भारतीय गोंडवाना पार्टी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी भी पंचायतों और नगरीय निकायों में दमखम के साथ तैयारी में जुटी है. गोंडवाना के दोनों दल ना तो खुद आपस में हाथ मिलाते दिख रहे हैं और ना ही भाजपा या कांग्रेस से उनकी नजदीकियां नजर आ रही हैं. दोनों दल अपने दम पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.

पहले भी जीते हैं गोंडवाना के प्रत्याशी: गोंडवाना पार्टी ने पिछले पंचायत चुनाव में भी अपना दमखम दिखाया था. जिले की 26 में से 2 जिला पंचायत क्षेत्रों से अपने प्रत्याशी जीता कर लाए थे. वहीं हर्रई और अमरवाड़ा जनपद पंचायत में अध्यक्ष बैठाए थे. जबकि बिछुआ जनपद में उपाध्यक्ष का पद पाने में सफलता पाई. इस बार दायरा और बढ़ाने की तैयारी में गोंडवाना के लोग जुटे हुए हैं.

अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित निकायों की स्थिति: इस बार के पंचायत चुनाव के आरक्षण के लिए जिला पंचायत की कुल 26 में से 12 जिला पंचायत क्षेत्र अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हुई हैं. वहीं जनपद पंचायत में से कुल 11 में से छह जनपद पंचायत अध्यक्ष के पद अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हुए हैं. नगर निगम में पहली बार छिंदवाड़ा का महापौर अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हुआ है. जबकि 48 में से छह वार्ड अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हुए हैं.

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