भोपाल। पुलिस विभाग के काम में अब राजनेताओं की सिफारिश नहीं चलेगी. कोई भी अधिकारी या कर्मचारी अपने ट्रांसफर, पोस्टिंग के लिए अगर राजनेताओं की सिफारिश लेकर पहुंचेगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. पुलिस मुख्यालय ने इसे लेकर प्रदेश के सभी आईजी, एसपी और विंग्स को पत्र लिखकर गाइडलाइन जारी कर दी है.
मध्यप्रदेश पुलिस विभाग के ट्रांसफर, पोस्टिंग और विभागीय जांच सहित अन्य कामकाज में अब राजनेताओं का दखल नहीं चलेगा. पुलिस मुख्यालय ने इस संबंध में सभी पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया है कि अगर कोई भी ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए राजनेताओं की सिफारिश लेकर आता है और राजनेताओं के प्रभाव के जरिए काम कराने की कोशिश करता है तो उसके खिलाफ नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी.
पत्र में लिखा गया है कि सभी कैटेगरी के अधिकारी-कर्मचारी अपने काम के लिए अनुचित रूप से राजनीतिक प्रभाव डलवाते हैं, ऐसा करना सेवा नियमों और सेवा शर्तों का उल्लंघन है. पुलिस मुख्यालय ने सिविल सेवा आचरण के नियमों का हवाला देते हुए कहा कि कोई भी सरकारी अधिकारी-कर्मचारी अपनी सरकारी सेवा के लिए किसी भी सीनियर अफसर पर राजनीतिक प्रभाव नहीं डलवा सकता है. अगर अधिकारी-कर्मचारी को किसी तरह की परेशानी है तो अपने वरिष्ठ अधिकारियों का आवेदन दे सकता है या फिर सर्विस रूल्स की प्रोसीजर के तहत अपनी बात रख सकता है, उसकी समस्या का निपटारा विभागीय स्तर पर किया जाएगा.
इधर आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे का कहना है कि भले ही पुलिस मुख्यालय ने राजनीतिक सिफारिशों को दूर रखने के लिए गाइडलाइन जारी की है, लेकिन हकीकत में ऐसा होता नहीं है. पुलिस अधिकारियों की पदस्थापना के लिए राजनीतिक सिफारिशें और गठजोड़ काम करता है. जिसमें राजनेता और व्यावसायिक लोग शामिल होते हैं और लंबे समय तक पुलिस अधिकारी एक ही जिले में पदस्थ रहते हैं. पुलिस सुधार के लिए सुप्रीम कोर्ट ने भी गाइडलाइन जारी की है, लेकिन सरकारें इसे गंभीरता से नहीं लेती हैं.