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हड़ताल से हाहाकार, मरीजों पर पड़ रही इलाज न मिलने की मार, ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट

पहले कोरोना का हाहाकार और अब हड़ताल की मार, ऐसे में अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों के हालात ऐसे हैं कि वे कुछ कह भी नहीं सकते और अपने दर्द को सह भी नहीं सकते. डॉक्टरों की हड़ताल का असर अब दिखाई देने लगा है. भोपाल का हमीदिया हॉस्पिटल हो या इंदौर का एमवाय यहां मरीजों की सुनने वाला कोई नहीं है.

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हड़ताल से हाहाकार
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Published : Jun 5, 2021, 8:20 PM IST

Updated : Jun 5, 2021, 9:55 PM IST

भोपाल/इंदौर। पहले कोरोना का हाहाकार और अब हड़ताल की मार, ऐसे में अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों के हालात ऐसे हैं कि वे कुछ कह भी नहीं सकते और अपने दर्द को सह भी नहीं सकते. डॉक्टरों की हड़ताल का असर अब दिखाई देने लगा है. भोपाल का हमीदिया हॉस्पिटल हो या इंदौर का एमवाय यहां मरीजों की सुनने वाला कोई नहीं है. इलाज न मिलना और इलाज में लापरवाही भी देखने में आ रही है. व्यवस्था बनाए रखने के लिए आयुष और होम्योपैथी के डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई गई है. लेकिन बड़ी संख्या में जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने के बाद अस्पतालों की हालत बदतर होती जा रही है.

हड़ताल से हाहाकार

हमीदिया में हालत खराब

हड़ताल से हाहाकार

जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल छठे दिन भी लगातार जारी है. ऐसे में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बदतर होने लगा है. हमीदिया में सेवाएं देने वाले करीब 400 से ज्यादा जूनियर डॉक्टर्स हड़ताल पर हैं. जिससे हॉस्पिटल की इमरजेंसी सेवाओं में परेशानी आने लगी है. अस्पताल में आने वाले मरीजों को इलाज नहीं मिल रहा है, गंभीर मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है. हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं.

हड़ताल से हाहाकार

केस-1 5 घंटे तक स्ट्रेचर पर पड़ा रहा मरीज

मंडीदीप के रहने वाले देवी सिंह मीणा की हालत गंभीर है, वे अपने परिजनों के साथ हमीदिया अस्पताल पहुंचे थे. उनके बेटे नंदकिशोर का कहना है कि 10 दिन पहले उन्हें भोपाल के एम्स में दिखाया था जहां जांच में उनके पेट में ब्लैक स्पॉट यानी टीवी होने का पता चला, पेट में पानी भी भर गया था जिसे डॉक्टरों ने निकाल दिया और उन्हें डिसचार्ज कर दिया गया. लेकिन मंडीदीप लौटने के बाद उनकी हालत फिर से खराब हो गई. इसके बाद जब वे भोपाल टीवी हॉस्पिटल में जांच कराने पहुंचे, लेकिन यहां डॉक्टर ने उनकी जांच करने मना कर दिया और उन्हें हमीदिया जाने को कह दिया. शनिवार को सुबह ये हमीदिया पहुंचे, डॉक्टर के कहने पर सोनीग्राफी भी करा ली है, लेकिन इन्हें अब तक भर्ती नहीं किया किया गया है. देवी सिंह को स्ट्रेचर पर लेटे हुए 5 घंटे से ज्यादा का वक्त हो चुका है, लेकिन खबर लिखे जाने तक उन्हें भर्ती नहीं किया जा सका है. न डॉक्टर मिल रहा है और न इलाज.

केस-2 हड़ताल खत्म होने पर करेंगे फ्रैक्चर का इलाज

हड़ताल से हाहाकार

मुबीन खान के पिता मोहम्मद अनीस हमीदिया में भर्ती हैं, 10 दिन पहले वह घर के बाथरूम में गिर गए थे, पैर में फ्रैक्चर हुआ है. मूवीन बताते हैं वे भोपाल के बाग फरहत अफजा में रहते हैं उन्हें रोज यहां आना पड़ता है. पिछले 10 दिनों से उनसे यही कहा जा रहा है कि ऑपरेशन कर दिया जाएगा, लेकिन ऑपरेशन तो छोडि़ए पिताजी का इलाज भी शुरू नहीं किया जा सका है. पेन किलर इंजेक्शन और दवाइयां ही दी जा रही है जबकि फ्रैक्चर का अभी कोई इलाज नहीं हुआ है. हॉस्पिटल में मौजूद डॉक्टर कह रहे हैं कि जूनियर डॉक्टर की हड़ताल खत्म होते ही पैर का इलाज कर देंगे, जबकि अभी तक प्लास्टर भी नहीं चढ़ाया गया है. मुवीन अपने पिता का दर्द बताते हुए भावुक हो जाते हैं और कहते हैं कि हम नहीं हमारे जैसे न जाने कितने लोग अस्पतालों में भटक रहे होंगे. शनिवार को हमीदिया हॉस्पिटल की ओपीडी में 532 ओपीडी हुई, इनमें से 57 मरीज आईपीडी में भर्ती हुए. 2 कोरोना संक्रमित 2 मरीजों को भी भर्ती किया गया है. शनिवार को 2 मरीजों की मौत भी हुई. शनिवार को ही ब्लैक फंगस के 7 नए मरीज भर्ती हुए जबकि 21 मरीजों को डिस्चार्ज किया गया . ब्लैक फंगस के 2 मरीजों की मृत्यु हुई है जबकि 9 मरीजों की सर्जरी की गई और 6 मरीजों की दोबारा एंडोस्कोपी की गई है.

इंदौर एमवाय में नर्स संभाल रही हैं व्यवस्था

हड़ताल से हाहाकार

धार से अपने परिजन का इलाज कराने एमवाय पहुंचे यशवंत कुमार का कहना है कि उनके परिजन पिछले 20 दिनों से अस्पताल में हैं. उपचार चल ही रहा था कि अचानक डॉक्टरों की हड़ताल हो गई. तब से ईलाज में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उनके मरीज को इंजेक्शन लगाया गया था इसके बाद पिछले 2 दिनों से उन्हें तेज बुखार आ रहा है, वार्ड में ऐसे और भी कई मरीज हैं जिन्हें बार बार बुखार हो रहा है, लेकिन समय पर उनका उपचार नहीं हो पा रहा है यशवंत ने कई बार सीनियर डॉक्टरों से कई बार इस बात को कहा लेकिन वो व्यवस्था कराने की बात कहते हैं जबकि कोई व्यवस्था नहीं हो रही है. एमवाय में इंदौर के अलावा आसपास के 100 किलोमीटर के दायरे में आने वाले जिलों के लोग अपना इलाज कराने पहुंचते हैं. वर्तमान में यहां कोरोना ओर ब्लेक फंगस के मरीजों का भी इलाज किया जा रहा है, लेकिन डॉक्टरों की हड़ताल के बाद से यहां पहुंचने वाले मरीज खासे परेशान हो रहे हैं. जावरा से अपने मरीज का इलाज कराने पहुंचे परिजन का कहना है कि वर्तमान में केवल नर्सिंग स्टाफ ही यहां पर देखरेख कर रहा है. कोई भी जिम्मेदार डॉक्टर यहां नहीं पहुंच रहा है.

हड़ताल से हाहाकार


हड़ताल पर सरकार में दो फाड़ लेकिन समाधान नहीं

छह दिन से जारी डॉक्टरों की हड़ताल को लेकर अब सरकार के भीतर भी अलग अलग सुर सुनाई देने लगे हैं. प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा का बयान आया है कि हड़ताली डॉक्टरों की मांग जायज हो इसे लेकर सरकार को उनसे बातचीत करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि वे खुद भी छात्र संगठन से जुड़े रहे हैं और छात्रों की परेशानियों को अच्छे से समझते हैं. वहीं सरकार इस पूरे मामले पर अभी तक कोई फैसला नहीं ले पाई है. हालांकि चिकित्सा शिक्षामंत्री विश्वास सारंग भी कह चुके हैं कि छात्रों से बातचीत के लिए उनके दरवाजे हमेशा खुले हुए हैं, लेकिन वे पहले हाई कोर्ट का अल्टीमेटम मानते हुए काम पर लौटें. वहीं हड़ताली डॉक्टरों का क्या कहना है कि अभी तक सरकार की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. उनका कहना है कि सरकार अगर बातचीत को तैयार है तो हमारे प्रतिनिधि मंडल से बात करे. लेकिन मौजूदा हालात में जहां सरकार और डॉक्टर जहां अपनी-अपनी जिद पर अड़े हैं वहीं मरीज इस बात का इंतजार करते हुए दिखाई दे रहे हैं कि जैसे भी हो यह हड़ताल खत्म हो और उनके परिजनों को इलाज मिल सके.

भोपाल/इंदौर। पहले कोरोना का हाहाकार और अब हड़ताल की मार, ऐसे में अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों के हालात ऐसे हैं कि वे कुछ कह भी नहीं सकते और अपने दर्द को सह भी नहीं सकते. डॉक्टरों की हड़ताल का असर अब दिखाई देने लगा है. भोपाल का हमीदिया हॉस्पिटल हो या इंदौर का एमवाय यहां मरीजों की सुनने वाला कोई नहीं है. इलाज न मिलना और इलाज में लापरवाही भी देखने में आ रही है. व्यवस्था बनाए रखने के लिए आयुष और होम्योपैथी के डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई गई है. लेकिन बड़ी संख्या में जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने के बाद अस्पतालों की हालत बदतर होती जा रही है.

हड़ताल से हाहाकार

हमीदिया में हालत खराब

हड़ताल से हाहाकार

जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल छठे दिन भी लगातार जारी है. ऐसे में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बदतर होने लगा है. हमीदिया में सेवाएं देने वाले करीब 400 से ज्यादा जूनियर डॉक्टर्स हड़ताल पर हैं. जिससे हॉस्पिटल की इमरजेंसी सेवाओं में परेशानी आने लगी है. अस्पताल में आने वाले मरीजों को इलाज नहीं मिल रहा है, गंभीर मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है. हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं.

हड़ताल से हाहाकार

केस-1 5 घंटे तक स्ट्रेचर पर पड़ा रहा मरीज

मंडीदीप के रहने वाले देवी सिंह मीणा की हालत गंभीर है, वे अपने परिजनों के साथ हमीदिया अस्पताल पहुंचे थे. उनके बेटे नंदकिशोर का कहना है कि 10 दिन पहले उन्हें भोपाल के एम्स में दिखाया था जहां जांच में उनके पेट में ब्लैक स्पॉट यानी टीवी होने का पता चला, पेट में पानी भी भर गया था जिसे डॉक्टरों ने निकाल दिया और उन्हें डिसचार्ज कर दिया गया. लेकिन मंडीदीप लौटने के बाद उनकी हालत फिर से खराब हो गई. इसके बाद जब वे भोपाल टीवी हॉस्पिटल में जांच कराने पहुंचे, लेकिन यहां डॉक्टर ने उनकी जांच करने मना कर दिया और उन्हें हमीदिया जाने को कह दिया. शनिवार को सुबह ये हमीदिया पहुंचे, डॉक्टर के कहने पर सोनीग्राफी भी करा ली है, लेकिन इन्हें अब तक भर्ती नहीं किया किया गया है. देवी सिंह को स्ट्रेचर पर लेटे हुए 5 घंटे से ज्यादा का वक्त हो चुका है, लेकिन खबर लिखे जाने तक उन्हें भर्ती नहीं किया जा सका है. न डॉक्टर मिल रहा है और न इलाज.

केस-2 हड़ताल खत्म होने पर करेंगे फ्रैक्चर का इलाज

हड़ताल से हाहाकार

मुबीन खान के पिता मोहम्मद अनीस हमीदिया में भर्ती हैं, 10 दिन पहले वह घर के बाथरूम में गिर गए थे, पैर में फ्रैक्चर हुआ है. मूवीन बताते हैं वे भोपाल के बाग फरहत अफजा में रहते हैं उन्हें रोज यहां आना पड़ता है. पिछले 10 दिनों से उनसे यही कहा जा रहा है कि ऑपरेशन कर दिया जाएगा, लेकिन ऑपरेशन तो छोडि़ए पिताजी का इलाज भी शुरू नहीं किया जा सका है. पेन किलर इंजेक्शन और दवाइयां ही दी जा रही है जबकि फ्रैक्चर का अभी कोई इलाज नहीं हुआ है. हॉस्पिटल में मौजूद डॉक्टर कह रहे हैं कि जूनियर डॉक्टर की हड़ताल खत्म होते ही पैर का इलाज कर देंगे, जबकि अभी तक प्लास्टर भी नहीं चढ़ाया गया है. मुवीन अपने पिता का दर्द बताते हुए भावुक हो जाते हैं और कहते हैं कि हम नहीं हमारे जैसे न जाने कितने लोग अस्पतालों में भटक रहे होंगे. शनिवार को हमीदिया हॉस्पिटल की ओपीडी में 532 ओपीडी हुई, इनमें से 57 मरीज आईपीडी में भर्ती हुए. 2 कोरोना संक्रमित 2 मरीजों को भी भर्ती किया गया है. शनिवार को 2 मरीजों की मौत भी हुई. शनिवार को ही ब्लैक फंगस के 7 नए मरीज भर्ती हुए जबकि 21 मरीजों को डिस्चार्ज किया गया . ब्लैक फंगस के 2 मरीजों की मृत्यु हुई है जबकि 9 मरीजों की सर्जरी की गई और 6 मरीजों की दोबारा एंडोस्कोपी की गई है.

इंदौर एमवाय में नर्स संभाल रही हैं व्यवस्था

हड़ताल से हाहाकार

धार से अपने परिजन का इलाज कराने एमवाय पहुंचे यशवंत कुमार का कहना है कि उनके परिजन पिछले 20 दिनों से अस्पताल में हैं. उपचार चल ही रहा था कि अचानक डॉक्टरों की हड़ताल हो गई. तब से ईलाज में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उनके मरीज को इंजेक्शन लगाया गया था इसके बाद पिछले 2 दिनों से उन्हें तेज बुखार आ रहा है, वार्ड में ऐसे और भी कई मरीज हैं जिन्हें बार बार बुखार हो रहा है, लेकिन समय पर उनका उपचार नहीं हो पा रहा है यशवंत ने कई बार सीनियर डॉक्टरों से कई बार इस बात को कहा लेकिन वो व्यवस्था कराने की बात कहते हैं जबकि कोई व्यवस्था नहीं हो रही है. एमवाय में इंदौर के अलावा आसपास के 100 किलोमीटर के दायरे में आने वाले जिलों के लोग अपना इलाज कराने पहुंचते हैं. वर्तमान में यहां कोरोना ओर ब्लेक फंगस के मरीजों का भी इलाज किया जा रहा है, लेकिन डॉक्टरों की हड़ताल के बाद से यहां पहुंचने वाले मरीज खासे परेशान हो रहे हैं. जावरा से अपने मरीज का इलाज कराने पहुंचे परिजन का कहना है कि वर्तमान में केवल नर्सिंग स्टाफ ही यहां पर देखरेख कर रहा है. कोई भी जिम्मेदार डॉक्टर यहां नहीं पहुंच रहा है.

हड़ताल से हाहाकार


हड़ताल पर सरकार में दो फाड़ लेकिन समाधान नहीं

छह दिन से जारी डॉक्टरों की हड़ताल को लेकर अब सरकार के भीतर भी अलग अलग सुर सुनाई देने लगे हैं. प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा का बयान आया है कि हड़ताली डॉक्टरों की मांग जायज हो इसे लेकर सरकार को उनसे बातचीत करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि वे खुद भी छात्र संगठन से जुड़े रहे हैं और छात्रों की परेशानियों को अच्छे से समझते हैं. वहीं सरकार इस पूरे मामले पर अभी तक कोई फैसला नहीं ले पाई है. हालांकि चिकित्सा शिक्षामंत्री विश्वास सारंग भी कह चुके हैं कि छात्रों से बातचीत के लिए उनके दरवाजे हमेशा खुले हुए हैं, लेकिन वे पहले हाई कोर्ट का अल्टीमेटम मानते हुए काम पर लौटें. वहीं हड़ताली डॉक्टरों का क्या कहना है कि अभी तक सरकार की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. उनका कहना है कि सरकार अगर बातचीत को तैयार है तो हमारे प्रतिनिधि मंडल से बात करे. लेकिन मौजूदा हालात में जहां सरकार और डॉक्टर जहां अपनी-अपनी जिद पर अड़े हैं वहीं मरीज इस बात का इंतजार करते हुए दिखाई दे रहे हैं कि जैसे भी हो यह हड़ताल खत्म हो और उनके परिजनों को इलाज मिल सके.

Last Updated : Jun 5, 2021, 9:55 PM IST
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