भोपाल। मध्य प्रदेश की 27 सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव की सियासी बिसात अब बिछने लगी है. बीजेपी ने ग्वालियर-चंबल में सदस्यता अभियान से अपने प्रचार का आगाज कर दिया, तो कांग्रेस ने भी हर सीट पर रणनीति बनानी शुरु कर दी है, लेकिन इन उपचुनावों में चुनावी मुद्दे कुछ अलग ही होंगे. कांग्रेस उपचुनाव में किसान कर्ज माफी और सिंधिया समर्थक नेताओं की धोखेबाजी को लेकर जनता के बीच जाएगी, तो बीजेपी विकास और सिंधिया के स्वाभिमान के मुद्दे पर चुनाव लड़ेगी.
सिंधिया की बगावत का प्रचार करेगी कांग्रेस
15 महीने की कमलनाथ सरकार गिराने में सबसे अहम भूमिका ज्योतिरादित्य सिंधिया की रही है. कमलनाथ सरकार गिरने के बाद जब बीजेपी की सरकार बनी तो सिंधिया को राज्यसभा भेजा गया और उनके समर्थकों को मंत्री पद दिया गया. लिहाजा कांग्रेस आरोप लगा रही है कि सिंधिया ने सिर्फ निजी स्वार्थों के चलते कांग्रेस से बगावत की है. इसको लेकर कांग्रेस ने प्रचार की शुरुआत भी कर दी है.
कर्जमाफी और सिंधिया का स्वाभिमान बीजेपी का मुद्दा
कांग्रेस से इतर बीजेपी अपनी अलग रणनीती पर काम कर रही है. बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल कहते हैं कि हम अपने विकास कार्यों के साथ जनता के बीच जाएंगे और कांग्रेस के भ्रष्टाचार और देश से की गई गद्दारी का मुद्दा जनता के बीच रखेंगे, क्योंकि कांग्रेस ने हर मुद्दे पर देश का साथ नहीं दिया. चाहे कर्जमाफी हो, बिजली बिल का मुद्दा हो, हर जगह कांग्रेस ने जनता के साथ धोखा किया है. यहां तक की जब चीन ने हमला किया तब भी कांग्रेस ने सरकार का साथ नहीं दिया.
राजनीतिक जानकार की राय
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक शिव अनुराग पटेरिया का कहना है कि कांग्रेस चुनाव प्रचार में सिंधिया के कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल होकर धोखेबाजी का प्रचार प्रसार करेगी, साथ ही चुनाव में किसानों की कर्जमाफी डेटा भी लेकर जाएगी. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी सिंधिया के स्वाभिमान को सामने रखकर जनता के बीच आएगी कि सिंधिया ने अपने स्वाभिमान की लड़ाई लड़ी और कांग्रेस की सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंका, जिसने किसान कर्ज माफी के नाम पर जनता के साथ छलावा किया था.
किसके मुद्दे पर मुहर लगाएगी जनता
राजनीतिक जानकारों की बात पर अमल किया जाए तो यह बात बहुत हद तक सही भी नजर आती है कि मध्य प्रदेश के उपचुनाव में मुद्दा तो ज्योतिरादित्य सिंधिया ही होंगे, क्योंकि सिंधिया समर्थक सबसे ज्यादा पूर्व विधायक चुनाव मैदान में हैं. जिन्हें जिताने की जिम्मेदारी सिंधिया के कंधों पर ही है. अब देखना ये है कि बीजेपी और कांग्रेस के चुनावी मुद्दों में से जनता किसके मुद्दे पर मुहर लगाती है.