मुंबई: महाराष्ट्र में औद्योगिक भूमि का उपयोग करने के लिए अब गैर-कृषि अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी. इसको लेकर राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने बुधवार को कहा कि इस परिवर्तन को लागू करने के लिए सरकार संबंधित कानून में संशोधन करने की योजना बना रही है.
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र भूमि राजस्व संहिता में संशोधन का निर्णय उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के नेतृत्व में देश में व्यापार आसान करने के लिए किया गया है. इससे पहले, मालिकों को अपनी भूमि के टुकड़ों के औद्योगिक उपयोग के लिए गैर-कृषि (एनए) स्थिति की आवश्यकता होती थी.
उद्योगों के लिए प्रक्रियाएं सरल होंगी
बावनकुले ने कहा हालांकि, सरकार ने देखा कि इस प्रक्रिया के लिए आवश्यक समय औपचारिक नॉन-एग्रीकल्चर कंवर्जन के लगभग समान था, जिसके कारण आवश्यकता को हटाने का निर्णय लिया गया. उन्होंने कहा, "इस आवश्यकता को खत्म करने से उद्योगों के लिए प्रक्रियाएं सरल हो जाएंगी. यह व्यवसायों के लिए भूमि अधिग्रहण और उपयोग को आसान बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. राज्य सरकार अनावश्यक नौकरशाही बाधाओं को कम करके निवेश को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है."
'कानूनी संशोधनों में कुछ समय लगेगा'
मंत्री ने आगे कहा कि चूंकि कानूनी संशोधनों में कुछ समय लगेगा इसलिए सरकार ने स्पष्ट किया है कि जब तक ये बदलाव प्रभावी नहीं हो जाते, औद्योगिक भूमि यूजर्स को नॉन एग्रीकल्चर पर्मिशन प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं होगी. इसके बजाय, उन्हें संबंधित नियोजन प्राधिकरण से विकास अनुमति प्राप्त करनी होगी या अपनी निर्माण योजनाओं को स्वीकृत करवाना होगा.
उन्होंने कहा, "एक बार ऐसा हो जाने के बाद उन्हें स्थानीय राजस्व अधिकारी (राज्य में तलाथी के रूप में जाना जाता है) के पास अनुमोदन पंजीकृत करना होगा, जो जल्द से जल्द रिकॉर्ड को अपडेट करने के लिए जिम्मेदार होगा."
बावनकुले ने यह भी घोषणा की कि वर्ग 2 भूमि (लीजहोल्ड) को वर्ग 1 (फ्रीहोल्ड) में बदलने की समय सीमा एक वर्ष के लिए बढ़ा दी गई है, जिससे भूमि मालिकों को आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए अतिरिक्त समय मिल गया है.
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