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मूलभूत सुविधाओं के लिए भटक रहे ग्रामीण, नहीं मिल रहा योजनाओं का लाभ

पन्ना के रमपुरा गांव में आज भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. लोगों का कहना है कि उन्हें किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. वहीं उन्हें ये तक नहीं पता है कि लोकसभा का चुनाव कब होना है और किस पार्टी से कौन-कौन प्रत्याशी हैं.

बुनियादी सुविधाओं का अभाव
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Published : Apr 26, 2019, 3:14 PM IST

पन्ना। टाइगर रिजर्व के कोर एरिया अंतर्गत आने वाले गांव रमपुरा में लोग आज भी बिजली, राशन और पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. ग्रामीण सरकार से मिलने वाली किसी भी लाभकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं.

बुनियादी सुविधाओं का अभाव


रमपुरा ग्राम पंचायत इटवाकला में आती है, जो गांव से 15 किलोमीटर दूर है. रमपुरा गांव में लगभग 80 आदिवासी परिवार रहते हैं, जिन्हें पन्ना टाइगर रिजर्व के गेट से निकलकर इटवाकला जाना पड़ता है. यहां न ही कोई वाहन की सुविधा है ना ही बिजली की. ग्रामीणों के राशन कार्ड तो बना दिए गए हैं, लेकिन उन्हें कई-कई महीनों तक राशन ही नहीं मिलता. ग्रामवासी 15 किलोमीटर पैदल चलकर राशन लेने जाते हैं और खाली हाथ वापस आ जाते हैं.


ग्रामीणों की मानें तो न उन्हें वृद्धा पेंशन मिलती है, ना ही किसी अन्य योजना का लाभ. लोगों ने बताया कि रोजगार के साधन नहीं होने के कारण वह लकड़ी बीनते हैं, लेकिन उसमें भी वन विभाग के लोग केस बना देते हैं. रोजगार के लिए लोगों को महानगरों की तरफ पलायन करना पड़ता है. ग्रामवासियों को ये तक पता नहीं है कि लोकसभा का चुनाव कब होना है और किस पार्टी से कौन-कौन प्रत्याशी हैं.

पन्ना। टाइगर रिजर्व के कोर एरिया अंतर्गत आने वाले गांव रमपुरा में लोग आज भी बिजली, राशन और पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. ग्रामीण सरकार से मिलने वाली किसी भी लाभकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं.

बुनियादी सुविधाओं का अभाव


रमपुरा ग्राम पंचायत इटवाकला में आती है, जो गांव से 15 किलोमीटर दूर है. रमपुरा गांव में लगभग 80 आदिवासी परिवार रहते हैं, जिन्हें पन्ना टाइगर रिजर्व के गेट से निकलकर इटवाकला जाना पड़ता है. यहां न ही कोई वाहन की सुविधा है ना ही बिजली की. ग्रामीणों के राशन कार्ड तो बना दिए गए हैं, लेकिन उन्हें कई-कई महीनों तक राशन ही नहीं मिलता. ग्रामवासी 15 किलोमीटर पैदल चलकर राशन लेने जाते हैं और खाली हाथ वापस आ जाते हैं.


ग्रामीणों की मानें तो न उन्हें वृद्धा पेंशन मिलती है, ना ही किसी अन्य योजना का लाभ. लोगों ने बताया कि रोजगार के साधन नहीं होने के कारण वह लकड़ी बीनते हैं, लेकिन उसमें भी वन विभाग के लोग केस बना देते हैं. रोजगार के लिए लोगों को महानगरों की तरफ पलायन करना पड़ता है. ग्रामवासियों को ये तक पता नहीं है कि लोकसभा का चुनाव कब होना है और किस पार्टी से कौन-कौन प्रत्याशी हैं.

Intro:पन्ना के टाइगर रिसर्व के कोर एरिया अंतर्गत एक गांव रमपुरा ऐसा भी है जहाँ के रहवासी दहसत भारी जिंदगी जीने को मजबूर है गांव को चारों तरफ से लोहे की जालियो से बंद कर दिया है ताकि जंगली जानवर ग्रामीणों पर हमला न कर सके लेकिन गांव के लोग आजादी के पहले वाली ज़िंदगी जी रहे है।


Body:एंकर :- सरकार यू तो विकास की बात कर रही है लेकिन गांव के हाल बेहाल है रमपुरा गांव ग्राम पंचायत इटवाकला में आती है जो गांव से 15 किलोमीटर दूर है। रमपुरा गांव में सभी लगभग 80 आदिवासी परिवार रहते है जिन्हें पन्ना टाइगर रिसर्व के गेट से निकल कर इटवाकला जाना पड़ता है जहाँ न ही कोई वाहन की सुविधा है ना ही लाइट की ग्रामीणों के राशन कार्ड तो बना दिये है लेकिन उन्हें कई कई महीनों तक राशन ही नही मिलता ग्रामवासी 15 किलोमीटर पैदल चल कर राशन लेने जाते है और खाली हाँथ वापस आ जाते है गांव में 80 परिवारों में सिर्फ 3 लोगो को आवास मिला है।


Conclusion:बीओ :- 1 ग्रामीणों की माने तो न तो उन्हें वृद्धा पेंसन मिलती है ना ही किसी अन्य योजना का लाभ। रोजगार के साधन है नही लकड़ी बीनते है तो वन विभाग के लोग केस बना देते है रोजगार के लिए लोगो को महानगरों की तरफ पलायन करना पड़ता है। ग्रामवासियो को ये तक पता नही है कि लोकसभा का चुनाव कब होना है और किस पार्टी से को प्रत्याशी है। क्योंकि कोर एरिया में होने की वजह से यहां कोई जाता है नही है ना कोई अधिकारी न ही प्रत्याशी। और स्वीप गतिविधियों और मतदाताओं को जाग्रत करने लाखो रुपये कागजो में खर्च हो रहे है।
बाइट :- 1 मोती लाल (ग्रामवासी)
बाइट :- 2 हीरा बाई (ग्रामवासी)
बाइट :- 3 हलकन्द (ग्रामवासी)

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