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उज्ज्वला योजना से हो रहा गैस कंपनियों को भारी नुकसान, मात्र 2 फीसदी लोगों ने कराई गैस रीफिलिंग

सरकारी आंकड़ों में उज्ज्वला योजना घाटे का सौदा साबित हुई है. जबलपुर में भी लगभग 1 लाख 50 हजार लोगों को उज्ज्वला योजना के कनेक्शन दिए गए हैं, लेकिन महज 2% लोग ही उज्ज्वला योजना के जरिए मिले सिलेंडरों की रीफिलिंग करवा रहे हैं.

उज्ज्वला योजना
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Published : Apr 17, 2019, 2:47 PM IST

जबलपुर। मोदी सरकार उज्ज्वला योजना के नाम पर वाहवाही तो लूट रही है, लेकिन सरकारी आंकड़ों में यह योजना घाटे का सौदा साबित हुई है. जबलपुर में भी लगभग 1 लाख 50 हजार लोगों को उज्ज्वला योजना के कनेक्शन दिए गए हैं, लेकिन सरकारी आंकड़ों के अनुसार महज 2% लोग ही उज्ज्वला योजना के जरिए मिले सिलेंडरों की रीफिलिंग करवा रहे हैं.

उज्ज्वला योजना


योजना के तहत गरीब और अति गरीब परिवारों को गैस सिलेंडर और रेगुलेटर मुफ्त दिया जा रहा था. सरकार का कहना था कि जिन परिवारों को यह सिलेंडर दिया जा रहा है उनको गैस की सब्सिडी नहीं दी जाएगी. सब्सिडी का पैसा गैस कंपनियों को दिया जाएगा, जिससे और गैस सिलेंडर का दाम निकालेंगे. इस तरीके से गैस कंपनियां घाटे में भी नहीं रहेंगी. लेकिन सरकार की ये तरकीब उल्टी साबित होती नजर आ रही है, क्योंकि महज 2 प्रतिशत परिवार ही दोबारा सिलेंडर रीफिलिंग के लिए जा रहे हैं.


जबलपुर रसोई गैस एजेंसी संघ की अध्यक्ष तरविंदर कौर गुजराल का कहना है कि उज्ज्वला योजना का पैसा गैस कंपनियों ने दिया है. उज्ज्वला योजना के तहत हर गांव में एक जागरूकता शिविर लगाया जा रहा है, जिसमें लगभग 11,000 का खर्च होता है. यह काम एक एनजीओ के जरिए करवाया जाता है. इस पैसे का खर्च भी गैस कंपनियों को उठाना पड़ रहा है. रायपुर में लगभग 70 लाख का एक कार्यक्रम हुआ था, इसका पूरा खर्च भारत गैस ने उठाया था. इसके अलावा भी उज्ज्वला गैस के जितने भी कार्यक्रम भारतीय जनता पार्टी ने करवाए हैं, उनका खर्च भी गैस कंपनियों को उठाना पड़ा.

जबलपुर। मोदी सरकार उज्ज्वला योजना के नाम पर वाहवाही तो लूट रही है, लेकिन सरकारी आंकड़ों में यह योजना घाटे का सौदा साबित हुई है. जबलपुर में भी लगभग 1 लाख 50 हजार लोगों को उज्ज्वला योजना के कनेक्शन दिए गए हैं, लेकिन सरकारी आंकड़ों के अनुसार महज 2% लोग ही उज्ज्वला योजना के जरिए मिले सिलेंडरों की रीफिलिंग करवा रहे हैं.

उज्ज्वला योजना


योजना के तहत गरीब और अति गरीब परिवारों को गैस सिलेंडर और रेगुलेटर मुफ्त दिया जा रहा था. सरकार का कहना था कि जिन परिवारों को यह सिलेंडर दिया जा रहा है उनको गैस की सब्सिडी नहीं दी जाएगी. सब्सिडी का पैसा गैस कंपनियों को दिया जाएगा, जिससे और गैस सिलेंडर का दाम निकालेंगे. इस तरीके से गैस कंपनियां घाटे में भी नहीं रहेंगी. लेकिन सरकार की ये तरकीब उल्टी साबित होती नजर आ रही है, क्योंकि महज 2 प्रतिशत परिवार ही दोबारा सिलेंडर रीफिलिंग के लिए जा रहे हैं.


जबलपुर रसोई गैस एजेंसी संघ की अध्यक्ष तरविंदर कौर गुजराल का कहना है कि उज्ज्वला योजना का पैसा गैस कंपनियों ने दिया है. उज्ज्वला योजना के तहत हर गांव में एक जागरूकता शिविर लगाया जा रहा है, जिसमें लगभग 11,000 का खर्च होता है. यह काम एक एनजीओ के जरिए करवाया जाता है. इस पैसे का खर्च भी गैस कंपनियों को उठाना पड़ रहा है. रायपुर में लगभग 70 लाख का एक कार्यक्रम हुआ था, इसका पूरा खर्च भारत गैस ने उठाया था. इसके अलावा भी उज्ज्वला गैस के जितने भी कार्यक्रम भारतीय जनता पार्टी ने करवाए हैं, उनका खर्च भी गैस कंपनियों को उठाना पड़ा.

Intro:उज्जवला योजना का कड़वा सच
उज्जवला गैस योजना की वजह से महंगे हो रहे हैं रसोई गैस सिलेंडर
उज्जवला के हितग्राही मात्र 2% लोग ही दोबारा भरवा रहे हैं रसोई गैस का सिलेंडर रसोई गैस कंपनियां बड़े घाटे में


Body:जबलपुर मोदी सरकार उज्जवला योजना के नाम पर वाहवाही लूट रही है पिछले वित्त वर्ष तक देशभर में लगभग डेढ़ करोड़ लोगों को उज्जवला योजना के कनेक्शन देने की बात केंद्र सरकार द्वारा की गई थी जबलपुर में भी लगभग 1 लाख 50हजार लोगों को उज्जवला योजना के कनेक्शन दिए गए हैं लेकिन दर असल में यही योजना एक बड़े घाटे का सौदा साबित हुई है

केवल 2% रिफिलिंग

आपको जानकर हैरानी होगी की सरकारी आंकड़ों के अनुसार महज 2% लोग ही उज्जवला योजना के जरिए मिले सिलेंडरों की रिफलिंग करवा रहे हैं योजना के तहत गरीब और अति गरीब परिवारों को गैस सिलेंडर और रेगुलेटर मुफ्त दिया जा रहा था सरकार का तर्क यह था कि जिन परिवारों को यह सिलेंडर दिया जा रहा है उनको गैस की सब्सिडी नहीं दी जाएगी सब्सिडी का पैसा गैस कंपनियों को दिया जाएगा जिससे और गैस सिलेंडर का दाम निकालेंगे इस तरीके से गैस कंपनियां घाटे में भी नहीं रहेंगे लेकिन हुआ कुछ उल्टा जो लोग एक बार सिलेंडर लेकर गए वे दोबारा भरवाने ही नहीं आए

राजनीतिक कार्यक्रमों का पैसा भी ऑयल कंपनियों से लिया गया

जबलपुर रसोई गैस एजेंसी संघ की अध्यक्ष तरविंदर कौर गुजराल का कहना है उज्जवला योजना के नाम पर जो पंचायतें हुई हैं उनका पैसा गैस कंपनियों ने दिया है उज्जवला योजना के तहत हर गांव में एक जागरूकता शिविर लगाया जा रहा है इसमें लगभग ₹11000 का खर्चा होता है यह काम एक एनजीओ के जरिए करवाया जाता है इस पैसे का खर्च भी गैस कंपनियों को उठाना पड़ रहा है रायपुर में लगभग ₹7000000 का एक कार्यक्रम हुआ था इसका पूरा खर्च भारत गैस ने उठाया था इसके अलावा भी उज्जवला गैस के जितने भी कार्यक्रम भारतीय जनता पार्टी ने करवाए हैं उनका खर्च भी गैस कंपनियों को बहन करना पड़ा

घरेलू गैस सिलेंडर महंगा
जाहिर सी बात है की कंपनियां इस घाटे को जेब से नहीं भरेंगे कंपनियों के पास कमाई का एकमात्र जरिया घरेलू गैस है इसलिए जब से उज्जवला योजना चालू हुई है तब से रसोई गैस के दाम लगातार बढ़ रहे हैं वजह बहुत स्पष्ट है जुड़ करो सिलेंडरों के दाम वापस लेने हैं इसके साथ ही उज्जवला योजना के विज्ञापन मोदी जी के बड़े-बड़े कट आउट इन सब का पैसा भी वापस लेना है इसलिए रसोई गैस के दाम बढ़ा दिए गए


Conclusion:सरकार की जो मनसा थी कि आम महिला को धुंए वाली रसोई से मुक्ति मिल जाएगी ऐसा तो कुछ हुआ नहीं बल्कि इस चक्कर में आम आदमी को महंगी रसोई गैस लेनी पड़ रही है और रसोई गैस पहुंचाने वाली कंपनियों को वित्तीय घाटा सहन करना पड़ रहा है हालांकि भाषाओं में जरूर यह बात सामने आ रही है की उज्जवला योजना की वजह से ज्यादा गरीब तबके की रसोई साफ-सुथरी हो गई है दरअसल में ऐसा हुआ नहीं
बाइट तरविंदर कुमार गुजराल अध्यक्ष जबलपुर घरेलू रसोई गैस एजेंसी संगठन
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