POSITIVE BHARAT PODCAST: कथाकार जानकी वल्लभ शास्त्री के जीवन की अनकही कहानी
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5 फरवरी 1916 में बिहार के गया के मैगरा ग्राम में जन्मे छायावाद काल के सुविख्यात कवि आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री उन कवियों में से हैं जिन्हें कविता प्रेमियों ने काफी सराहा. हिंदी साहित्य के छायावाद युग में छंदबद्ध कविता लिखने में अगर कोई निराला की बराबरी कर पाया, तो वह थे आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री. भारत भारती पुरस्कार से सम्मानित (PODCAST ON Janki Ballabh Shastri) जानकी वल्लभ ने शुरुआत संस्कृत में कवितायें लिखने से की थी. उनकी संस्कृत कविताओं का संकलन ‘काकली’ के नाम से साल 1930 में प्रकाशित हुआ. उनका ‘काकली’ संकलन पढ़कर हिंदी-कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ काफी प्रभावित हुए. ये निराला ही थे जिन्होंने उन्हें हिंदी में भी लिखने के लिए प्रेरित किया. जानकी वल्लभ को जितना प्यार अपनी लेखनी से था, उतना ही उनको पशु-पालन का शौक था. वहीं, साल 2011 में 7 अप्रैल को मुज़फ्फ़रपुर (Janki Ballabh Shastri death anniversary) में उनके निवास-स्थान ‘निराला निकेतन’ में उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली. जानकी वल्लभ के साथ ही छंदोबद्ध हिंदी कविता के युग का अंत हो गया और अब बस बाकी रह गयी है तो उनकी विरासत, जिसका कोई सानी नहीं है. संस्कृत और हिन्दी साहित्य को एक नई कहानी में गढ़ने वाले महान कवि आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है. उन्होने जीवन पर्यंत साहित्य को एक नया रूप देने के लिए काम किया.
Last Updated : Apr 8, 2022, 7:50 AM IST