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सड़क किनारे घूम रहे पशु भी दे सकते हैं 5 से 10 लीटर दूध, पढ़ें पूरी खबर

बेसहारा पशुओं से निजात दिलाने के लिए वेटरनरी डॉक्टर सत्येंद्र ठाकुर और उपनिदेशक पशुपालन विभाग डॉ. जे सेन ने एक नई पहल शुरू की है. इनकी पहल से बेसहारा पशुओं को असरा मिल रहा है. वहीं, धन की कमी के कारण पशु खरीदने में असमर्थ गरीब पशु पालकों को निशुल्क ही दुधारू पशु मिल रहे हैं.

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Published : Jun 11, 2020, 12:43 AM IST

cow shed
गोवंश का घर बसाने की विशेष मुहिम

ऊना: बेसहारा जानवर इस समय प्रदेश के लिए बड़ी समस्या हैं. जानवरों की समस्या के चलते कई लोग खेती करना छोड़ चुके हैं. वहीं, ये सड़क किनारे घूम रहे बेसहारा जानवर कई बार हादसों का भी कारण बनते हैं. सरकार ने इन जानवरों की समस्या से निपटने के लिए गौ सदन भी बनाए हैं, लेकिन समस्या का कोई हल नहीं निकला है.

जिला ऊना के बंगाणा उपमंडल में वेटरनरी डॉक्टर सत्येंद्र ठाकुर और उपनिदेशक पशुपालन विभाग डॉ. जे सेन ने एक अनूठी पहल की है. पशु पालन विभाग के उपनिदेशक के निर्देशानुसार बंगाणा में बेसहारा पशुओं को अति निर्धन पशुपालकों के घर बसाने की मुहिम शुरू की है.

इस मुहिम के तहत बेसहारा पशुओं की सड़क किनारे जांच की जाती है. पशु के गर्भधारण होने पर उसे गरीब पशुपालक को पालने के लिए सौंप दिया जाता है. पशु के गर्भावस्था में ना होने पर उसे 'आर्टिफिशियल इंडक्शन ऑफ मिल्क' तकनीक का सहारा लेकर दूध देने के लिए तैयार किया जा रहा है.

पशु के आकार के हिसाब से एक और डेढ़ महीने के बीच गोवंश लगभग 5 से 10 लीटर दूध देने योग्य हो जाता है. लगभग 100 गोवंश को गरीब व अन्य पशुपालकों के घर में बसाने का लक्ष्य तय किया गया है. अब तक सड़क किनारे जांच कर गर्भधारण किए पशुओं को गरीब पशु पालकों के घर बसाया जा चुका है.

बंगाणा उपमंडल में अति निर्धन पशुपालक कल्याण समिति के सदस्य, उपमंडल के पशु चिकित्सक और वेटरनरी फार्मासिस्ट लगभग डेढ़ साल से गोवंश को गरीब किसान के घर बसाने में जुटे हुए हैं.

सड़क किनारे पशुओं को क्रीमि मुक्त करने के लिए टीकाकरण करना, सड़क हादसों को कम करने के लिए बेसहारा पशुओं के गले में रेडियम बेल्ट लगाना, समय-समय पर उनके स्वास्थ्य का निरीक्षण करना समिति के कार्य का एक अभिन्न अंग हैं.

समिति के कार्य प्रणाली को देखते हुए खुद हिमाचल प्रदेश सरकार में पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर 51000 की राशि प्रोत्साहन स्वरूप दे चुके हैं. यह समिति उपमंडल में निर्धन पशुपालकों के 1-1 दुधारू पशु को गोद ले कर कृमि नाशक दवाइयों से लेकर खनिज लवण, लिक्विड कैल्शियम और घर द्वार पर फ्री सेवाएं दे रही है. अभी तक 80 परिवारों को गोद लिया जा चुका है और 108 परिवारों गोद लेने का लक्ष्य है.

पढ़ें: KNH अस्पताल में गर्भवती महिलाओं की विशेष निगरानी, स्क्रीनिंग के बाद ही मिलेगा प्रवेश

ऊना: बेसहारा जानवर इस समय प्रदेश के लिए बड़ी समस्या हैं. जानवरों की समस्या के चलते कई लोग खेती करना छोड़ चुके हैं. वहीं, ये सड़क किनारे घूम रहे बेसहारा जानवर कई बार हादसों का भी कारण बनते हैं. सरकार ने इन जानवरों की समस्या से निपटने के लिए गौ सदन भी बनाए हैं, लेकिन समस्या का कोई हल नहीं निकला है.

जिला ऊना के बंगाणा उपमंडल में वेटरनरी डॉक्टर सत्येंद्र ठाकुर और उपनिदेशक पशुपालन विभाग डॉ. जे सेन ने एक अनूठी पहल की है. पशु पालन विभाग के उपनिदेशक के निर्देशानुसार बंगाणा में बेसहारा पशुओं को अति निर्धन पशुपालकों के घर बसाने की मुहिम शुरू की है.

इस मुहिम के तहत बेसहारा पशुओं की सड़क किनारे जांच की जाती है. पशु के गर्भधारण होने पर उसे गरीब पशुपालक को पालने के लिए सौंप दिया जाता है. पशु के गर्भावस्था में ना होने पर उसे 'आर्टिफिशियल इंडक्शन ऑफ मिल्क' तकनीक का सहारा लेकर दूध देने के लिए तैयार किया जा रहा है.

पशु के आकार के हिसाब से एक और डेढ़ महीने के बीच गोवंश लगभग 5 से 10 लीटर दूध देने योग्य हो जाता है. लगभग 100 गोवंश को गरीब व अन्य पशुपालकों के घर में बसाने का लक्ष्य तय किया गया है. अब तक सड़क किनारे जांच कर गर्भधारण किए पशुओं को गरीब पशु पालकों के घर बसाया जा चुका है.

बंगाणा उपमंडल में अति निर्धन पशुपालक कल्याण समिति के सदस्य, उपमंडल के पशु चिकित्सक और वेटरनरी फार्मासिस्ट लगभग डेढ़ साल से गोवंश को गरीब किसान के घर बसाने में जुटे हुए हैं.

सड़क किनारे पशुओं को क्रीमि मुक्त करने के लिए टीकाकरण करना, सड़क हादसों को कम करने के लिए बेसहारा पशुओं के गले में रेडियम बेल्ट लगाना, समय-समय पर उनके स्वास्थ्य का निरीक्षण करना समिति के कार्य का एक अभिन्न अंग हैं.

समिति के कार्य प्रणाली को देखते हुए खुद हिमाचल प्रदेश सरकार में पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर 51000 की राशि प्रोत्साहन स्वरूप दे चुके हैं. यह समिति उपमंडल में निर्धन पशुपालकों के 1-1 दुधारू पशु को गोद ले कर कृमि नाशक दवाइयों से लेकर खनिज लवण, लिक्विड कैल्शियम और घर द्वार पर फ्री सेवाएं दे रही है. अभी तक 80 परिवारों को गोद लिया जा चुका है और 108 परिवारों गोद लेने का लक्ष्य है.

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