शिमला: हिमाचल में प्रतिबंध हुए प्रजातियों के पेड़ों की लकड़ियां अब नहीं बिक सकेंगी. हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने प्रदेश में प्रतिबंधित प्रजातियों के पेड़ों की लकड़ी की बिक्री पर रोक लगा दी है. हाईकोर्ट कोर्ट ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने के आदेश दिए है कि संबंधित कानून, नियमों और अधिसूचना के दृष्टिगत बिना परमिट के पेड़ों का परिवहन न किया जाए. इसके साथ ही प्रदेश उच्च न्यायालय ने निजी तौर पर प्रतिवादी बनाए गए बाहरी रिन्यूएबल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड की निदेशक धर्मपुर निवासी कविता व अमृतलाल को भी बिना किसी वैध परमिट के प्रतिबंधित प्रजातियों के पेड़ो की कटाई के बाद परिवहन पर रोक लगा दी है.
न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर व न्यायाधीश राकेश कैंथला की खंडपीठ ने सुरेंद्र पाल सिंह की ओर से दायर जनहित याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान ये उपरोक्त आदेश पारित किए हैं. याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि निजी तौर पर बनाए गए प्रतिवादी वन भूमि व निजी भूमि में कटान करने के बाद लकड़ी का परिवहन कर रहे हैं, जिससे कि पर्यावरण को सुरक्षित रखने व वनों के संरक्षण के लिए बनाए गए नियमों की सरेआम अवहेलना हो रही है.
आरोप लगाया गया है कि निजी तौर पर बनाई गई प्रतिवादी वर्तमान विधायक की पत्नी है. प्रदेश में जिन पेड़ों को काटने के लिए प्रतिबंधित कर रखा है. ऐसे पेड़ों को भी काटा जा रहा है. जिसके बाद उनका परिवहन किया जा रहा है. इस मामले को लेकर वन विभाग के अधिकारी भी कोई हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं. प्रदेश उच्च न्यायालय ने प्रथम दृष्टया में मामले को पर्यावरण व वन संरक्षण अधिनियमों उल्लंघन पाया है. जिस पर ये उपरोक्त आदेश पारित किए गए हैं.
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