Hand grip strength as a predictor of diabetes:दुनियाभर में करोड़ों लोग डायबिटीज जैसे घातक बीमारी से जूझ रहे हैं. डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो जीवनभर साथ रहती है. इसे लाइलाज रोग भी कहा जा सकता हैं. लेकिन यदि आप अपने खानपान और जीवनशैली में कुछ बदलाव कर लिए तो इस बीमारी को कुछ हत तक कंट्रोल किया जा सकता है. डायबिटीज होने पर कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
कमजोर हाथ की पकड़ डायबिटीज का संकेत?
आमतौर पर डायबिटीज है या नहीं? डॉक्टर ब्लड टेस्ट के जरिए इसका पता लगाते हैं. वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि बार-बार पेशाब आना, घाव न भरना और थकान होना डायबिटीज के लक्षण हैं. यदि किसी व्यक्ति को शुगर हो जाए तो उसे इस तरह के स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इस बीच, शोधकर्ताओं को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है. शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में इस बात का पता लगाया है कि हमारी मुट्ठियों की ताकत बता सकती है कि हमें डायबिटीज या प्री-डायबिटीज है या नहीं? आइए अब इस अध्ययन के बारे में इस खबर में विस्तार से जानते हैं...
अध्ययन में हुआ बड़ा खुलासा
दरअसल, एक नए अध्ययन से पता चला है कि हाथ की पकड़ की ताकत मेनोपॉज के बाद की महिलाओं में डायबिटीज के रिस्क का पूर्वानुमान लगा सकती है. पोस्टमेनोपॉजल संक्रमण के दौरान एस्ट्रोजन के स्तर में गिरावट कई तरह की प्रतिकूल स्वास्थ्य समस्याओं में योगदान करती है, जिसमें इंसुलिन प्रतिरोध और दुबले द्रव्यमान में कमी शामिल है.
डॉक्टर का क्या है कहना
मेनोपॉज सोसाइटी की चिकित्सा निदेशक डॉ. स्टेफनी फौबियन का कहना है कि 45 से 65 वर्ष की आयु की 4,000 से अधिक मेनोपॉज महिलाओं से एकत्रित जानकारी के आधार पर इस नए अध्ययन से पता चलता है कि कमजोर हाथ की पकड़ डायबिटीज होने की अधिक संभावना से जुड़ी है.( रिपोर्ट के लिए यहां क्लिक करें ) हाथ की पकड़ की ताकत और मधुमेह के प्रसार के बीच विपरीत संबंध उन महिलाओं में अधिक स्पष्ट था जो 10 साल से अधिक समय से रजोनिवृत्त थीं.
डायबिटीज और प्रीडायबिटीज की भविष्यवाणी में मददगार
चूंकि हाथ की पकड़ की ताकत मांसपेशियों की ताकत का एक मान्यता प्राप्त माप है और सार्कोपेनिया का एक संकेतक है, इसलिए कई शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया है कि हाथ की पकड़ की ताकत का उपयोग डायबिटीज और प्रीडायबिटीज की भविष्यवाणी करने में मदद के लिए किया जा सकता है. लिंक की पहचान करने का प्रयास करने वाले पिछले अध्ययनों के परिणाम मिश्रित रहे हैं, लेकिन रजोनिवृत्ति के बाद की महिलाओं के लिए विशेष शोध सीमित रहा है.
हाथ की पकड़ कमजोर होना कई बीमारियों का संकेत
कमजोर हाथ की पकड़ सिर्फ कमजोरी या उम्र बढ़ने से जुड़ी समस्याओं का संकेत नहीं है, बल्कि टाइप 2 डायबिटीज , हृदय संबंधी समस्याएं, स्ट्रोक, किडनी और लीवर की बीमारियों जैसी कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकती है. अपोलो और फोर्टिस में दिल्ली के डॉक्टरों द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन में यह बात सामने आई है. अचानक हाथ की कमजोरी को हल्के में नहीं लेना चाहिए क्योंकि यह स्ट्रोक या दिल की परेशानी का संकेत हो सकता है. कमजोर हाथ की पकड़ से जुड़ी अन्य स्वास्थ्य समस्याएं कार्पल टनल सिंड्रोम, हर्नियेटेड सर्वाइकल डिस्क, ऑस्टियोआर्थराइटिस या डायबिटिक न्यूरोपैथी हो सकती हैं.
पोषक तत्वों की कमी के कारण भी हाथ की पकड़ हो सकती है कमजोर
हाथ की पकड़ की कमजोरी इंसुलिन प्रतिरोध के कारण शरीर में होने वाले परिवर्तनों के बारे में भी बता सकती है. इसका मतलब टाइप 2 मधुमेह और संबंधित चयापचय संबंधी विकार विकसित होने की अधिक संभावना हो सकती है. अगर आपका हाथ कमजोर महसूस होता है, तो इसका मतलब यह भी हो सकता है कि आप संतुलित आहार नहीं ले रहे हैं और पोषक तत्वों की कमी हो गई है. हाथ की कमजोरी हमेशा परेशानी का कारण नहीं होती है और कई बार तनाव और परिश्रम के कारण भी ऐसा हो सकता है. हालांकि, लगातार हाथ की कमजोरी या बिना किसी स्पष्ट कारण के होने वाली कमजोरी दोनों ही आपके समग्र स्वास्थ्य में परेशानी का संकेत हो सकते हैं.
(डिस्क्लेमर: यहां आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सुझाव केवल आपके समझने के लिए हैं. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान कर रहे हैं. इनका पालन करने से पहले अपने निजी डॉक्टर की सलाह लेना सबसे अच्छा है.)