कसौली: सोलन जिले के कसौली में कालका-शिमला नेशनल हाईवे पांच पर परवाणू से सोलन तक बने फोरलेन से लगातार मुश्किल बढ़ती जा रही है. कुमारहट्टी में निजी स्कूल में संकट के काले बादल मंडराने के बाद अब सरकारी स्कूल और एक निजी भवन खतरे की जद्द में आ गया है. मंगलवार रात करीब 8:25 बजे जाबली स्कूल की पहाड़ी पर लगाए गए डंगे में से पत्थर निकलकर हाईवे पर जा गिरा. जिससे जाबली में पहाड़ी वाली लेन को बंद करना पड़ा. गनीमत रही कि इस दौरान कोई वाहन वहां से नहीं गुजर रहा था. जिससे बड़ा नुकसान होने से बच गया.
बारिश में डंगे से पत्थर निकलने से खतरा: बता दें कि कुमारहट्टी में निजी भवन के ठीक ऊपर फोरलेन निर्माण कंपनी ने कल्वर्ट बना दी. इससे तेज बहाव से बारिश का पानी भवन के पास आकर गिर रहा है. इससे कभी भी कोई बड़ा नुकसान भी हो सकता है. वहीं घर के आगे लगाया हुआ पत्थर का डंगा भी पानी के बहाव से निकलता जा रहा है. मकान मालिक की ओर से भवन को बचाने के लिए तिरपाल का इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन मालिक को हर समय घर की चिंता सताती रहती है.
कल्वर्ट से आता बारिश का पानी: बड़ोग बाइपास में इसी प्रकार का हाल कई जगहों पर बना हुआ है. भवनों में पहने वालों को कहना है कि फोरलेन के डंगे के साथ बनाई गई कल्वर्ट से बारिश के दौरान अधिक पानी घर की ओर आता है. इस कारण घर पर खतरा मंडराया हुआ है. प्रशासन को इस बारे कई बार बताया गया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है.
निजी स्कूल को खाली रखने के निर्देश: कुमारहट्टी के समीप एक निजी स्कूल के साथ भी हाईवे की इसी तरह कल्वर्ट है. बारिश के दिनों में कल्वर्ट से सीधा पानी स्कूल में चला जाता है. जिसके बाद खतरे को देखते हुए इस भवन को एहतियातन खाली करवाने के निर्देश दिए गए हैं.
कुछ दिन पहले जमींदोज हुआ था भवन: हाल ही में मूसलाधार बारिश के बाद हाईवे पर एक भवन जमींदोज हो गया था. इस भवन को मालिक ने काफी समय पहले खाली करवा दिया था. बताया जा रहा है कि पांच मंजिला भवन में पानी का रिसाव होने से संकट मंडरा रहा था, लेकिन बीते दिनों बारिश के बाद भवन जमींदोज हो गया.
जाबली स्कूल को किया अनसेफ घोषित: फोरलेन निर्माण के दौरान जाबली में स्कूल की पहाड़ी पर जेसीबी का पीला पंजा चला था, जिसके बाद स्कूल भवन और मैदान में खतरा पैदा हो गया था. जिसे देखते हुए इस स्कूल भवन को अनसेफ घोषित कर दिया था और कक्षाएं दूसरी जगह चलाई जा रही थी. फोरलेन कंपनी ने इस पहाड़ी पर भूस्खलन न हो इसे लेकर डंगे के पहाड़ी कवर की थी. इसके बाद सेफ्टी को देखकर फिर कक्षाएं इस भवन में लगनी शुरू हुई थी, लेकिन लगाए डंगे से पत्थर निकलना शुरू हो गए है.
ये भी पढ़ें: हिमाचल प्रदेश में बारिश से अब तक 275 करोड़ से ज्यादा का नुकसान, 35 की जा चुकी है जान, 33 सड़कें अभी भी बंद