शिमला: प्रदेश के मुख्यमंत्री साधन संपन्न लोगों से बिजली सब्सिडी छोड़ने की अपील कर रहे हैं, लेकिन आज से ठीक दो साल पहले चुनाव के समय कांग्रेस ने लोगों को 300 यूनिट बिजली देने का वादा किया था. वो वादा तो अब चुनावी लॉलीपॉप ही साबित होता नजर आ रहा है, लेकिन अब सरकार लोगों से बिजली सब्सिडी छोड़ने की अपील भी कर रही है. अब विपक्ष पूछ रहा है कि क्या कांग्रेस की गारंटी झूठी है. किसी गायक ने शिमला में कहा था 'जै सुक्खू राजी हो जावे फेर रौला नहीं पाईदा' पर बीजेपी ने तो रौला फुल जोर का 440 वोल्ट के साथ डाला है.
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने निशाना साधते हुए कहा था, 'कांग्रेस ने चुनाव के दौरान गारंटियां दी थी और गारंटियों के दम पर सत्ता हासिल की थी, अब इसके विपरीत काम कर रहे है. कांग्रेस ने 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने का वादा किया था. जबकि पूर्व की भाजपा सरकार 125 यूनिट पहले से ही मुफ्त बिजली की सुविधा दी थी. वहीं, अब मुख्यमंत्री बिजली सब्सिडी छोड़ने की अपील कर रहे हैं, जो जनता के साथ धोखा है. ऐसे में मुख्यमंत्री को पद से इस्तीफा देना चाहिए और नए सिरे जनमत हासिल करने के लिए चुनाव में जाना चाहिए और जनमत हासिल करना चाहिए'.
अराजपत्रित अधिकारियों को नहीं मिलेगी सब्सिडी
खैर एक जनवरी से अराजपत्रित अधिकारियों को बिजली के बिल का फटका तो लग ही गया है, क्योंकि इन कर्मचारियों की सब्सिडी पर अब ताला लग गया है. 1 जनवरी से बिजली की खपत करने पर इनके खाते में सब्सिडी नहीं बिल आएगा. सीएम साहब अब बिजली बोर्ड की डूबती नाव को पार लगाने के लिए मीडिया के सामने दुहाई देने खुद आए कि मैंने और मेरे मंत्रियों ने बिजली की सब्सिडी छोड़ दी है. आप भी सब्सिडी को छोड़ दें. अब विपक्ष भी सरकार से पूछ रहा है कि क्या हुआ तेरा वादा वो कसम वो इरादा.
बिंदल ने ली चुटकी
वहीं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिंदल ने कहा कि, '2022 में कांग्रेस ने सभी नेताओं ने 300 यूनिट बिजली फ्री देने का वादा किया था. मुफ्त बिजली का वादा कांग्रेस के सभी नेताओं ने चिल्ला चिल्ला करके, गली गली में जाकर, मोहल्ले मोहल्ले में कहा, मुख्यमंत्री एवं उपमुख्यमंत्री, बाकी प्रदेशों से आए कांग्रेस के नेताओं ने भी कहा कि भाजपा ने 125 यूनिट फ्री बिजली देकर जनता के साथ मजाक किया है, कांग्रेस तो 300 यूनिट बिजली फ्री देगी. आप सब्सिडी छोड़ कर प्रदेश के 22 लाख उपभोक्ताओं को 300 यूनिट बिजली फ्री देने के आपने वायदे से पीछे हट रहे है, आज दो साल से लोग आपके वादों के पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं.'
मंत्री खराब आर्थिक हालत का दे रहे हवाला
सीएम सुक्खू और उनके मंत्रियों ने बिजली सब्सिडी छोड़कर ऐसा त्याग पहली बार नहीं किया है. ऐसा ही त्याग कांग्रेस के माननीयों ने कुछ माह पहले अपना वेतन होल्ड कर किया था. त्याग पर त्याग करने के बाद हिमाचल की अर्थव्यव्था में हुआ सुराख ठीक नही हो रहा. वजीरे आला सुखिविंदर सिंह सुक्खू के वजीर भी आर्थिक संकट का दुखड़ा रो रहे हैं. हर्षवर्धन चौहान ने मीडिया के सामने हिमाचल की आर्थिक स्थिति पर बात की थी.
'बिजली सब्सिडी छोड़ने की अपील मुख्यमंत्री की मजबूरी'
हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि, 'प्रदेश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. ऐसे में साधन संपन्न लोगों से बिजली सब्सिडी छोड़ने की अपील मुख्यमंत्री की मजबूरी है. प्रदेश आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रहा है. प्रदेश की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि मुफ्त में रेवड़ियां बांटी जा सकें. इसलिए समर्थ लोगों से बिजली सब्सिडी छोड़ने की अपील की गई है. वहीं मंत्रिमंडल, विधायक समेत अधिकारी भी बिजली सब्सिडी छोड़ रहे हैं. इस विषय पर राजनीतिक दलों को विचार करना चाहिए.'