संबलपुर/भुवनेश्वर: ओडिशा में किसानों की कथित आत्महत्या ने एक बार फिर राज्य को हिलाकर रख दिया है. राज्य में 11 दिनों में 10 किसानों की मौत हुई है. संबलपुर जिले में बैरागीपाली गांव के 58 वर्षीय किसान रत्नाकर भोई ने बीते शनिवार को कथित तौर पर कीटनाशक खाकर आत्महत्या कर ली थी, जो किसनों की मौत का 10वां मामला है. बताया गया है कि बेमौसम बारिश के कारण फसलों के नुकसान से किसान दबाव में आ गए हैं.
रत्नाकर भोई के बेटे परेश कुमार ने बताया कि धान की फसल नष्ट होने से उनके पति सदमे में थे. भोई के परिवार के अनुसार, उन्होंने पिछले तीन वर्षों में कर्ज लिया था और उसे चुकाने के लिए संघर्ष कर रहे थे. इस साल स्थिति और खराब हो गई जब बेमौसम बारिश से उनके दो एकड़ खेत में धान की फसल बर्बाद हो गई. फसल की बर्बादी और कर्ज के बोझ से दबे भोई ने शनिवार दोपहर कथित तौर पर कीटनाशक पी लिया.
भोई कुछ समय बाद ही बीमार पड़ गए और जब परिवार के लोग उनके पास गए तो उन्हें कीटनाशक की तेज गंध महसूस हुई. परेश ने बताया, "उन्होंने हमें बताया कि उन्होंने कीटनाशक पी लिया है. हम उन्हें तुरंत संबलपुर जिला अस्पताल ले गए, लेकिन शाम करीब 5 बजे इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई."
परिवार ने सदर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें फसल खराब होने और कर्ज के दबाव को भोई की मौत का मुख्य कारण बताया गया है.
जिला कलेक्टर सिद्धेश्वर बलिराम बोंदर ने कहा कि प्रशासन को घटना की जानकारी है और एक टीम मामले की जांच कर रही है. उन्होंने कहा, "जहां तक मुआवजे का सवाल है, हम जांच पूरी होने और रिपोर्ट हमारे पास आने के बाद ही ऐसा कर सकते हैं."
इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए ओडिशा के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री सुरेश पुजारी ने कहा कि जिला कलेक्टर मौत के कारण, फसल के नुकसान की स्थिति और भोई की वित्तीय स्थिति की गहन जांच करेंगे. पुजारी ने कहा, "राज्य सरकार हमेशा आपदा के समय में किसानों के साथ खड़ी रही है. 33 प्रतिशत से अधिक फसल नुकसान के लिए इनपुट सब्सिडी प्रदान की जाती है, और एसडीआरएफ फंड से बीमा रहित किसानों के लिए सहायता सुनिश्चित की जाती है. कलेक्टर की रिपोर्ट के आधार पर इस मामले में सहायता दी जाएगी."
कटक में किसान की मौत
31 दिसंबर 2024 को, कटक जिले के नियाली ब्लॉक के अंतर्गत महंगापाड़ा गांव के कैलाश प्रधान (75) बेमौसम बारिश से बर्बाद हुई फसल देखने के बाद सदमे से खेत में गिर पड़े थे और उनकी मौत हो गई थी. आरोप लगाया जा रहा है कि प्रधान की मौत सदमे के कारण हुई, हालांकि डॉक्टरों ने इसे दिल का दौरा बताया.
उसी दिन, जगतसिंहपुर जिले के बालीकुडा तहसील के अंतर्गत तांडीकुल पंचायत के सरेना गांव के कृतिबास ने कथित तौर पर फांसी लगाकर जान दे दी, क्योंकि बारिश के कारण उनकी तीन एकड़ धान की फसल नष्ट हो गई थी. जाजपुर में भी एक किसान मणिभद्र मोहंती ने 28 दिसंबर को कथित तौर पर आत्महत्या कर ली, जब उनकी तीन एकड़ फसल बारिश में नष्ट हो गई.
बेमौसम बारिश प्राकृतिक आपदा घोषित
ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने हाल ही में राज्य में हुई बेमौसम बारिश को प्राकृतिक आपदा घोषित किया है और 6.5 लाख से ज्यादा प्रभावित किसानों को इनपुट सब्सिडी के लिए 292 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. उन्होंने कहा, "सरकार संकट में फंसे किसानों की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है. किसानों को मुआवजा प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के जरिये मिलेगा और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत रजिस्टर्ड किसानों को 15 दिनों के भीतर अतिरिक्त राहत मिलेगी."
भाजपा पर किसानों की अनदेखी करने का आरोप
किसानों की मौत को लेकर विपक्षी दल बीजेडी ने सत्तारूढ़ भाजपा पर निशाना साधा है. संबलपुर के बीजेडी जिला अध्यक्ष और पूर्व विधायक रोहित पुजारी ने भाजपा की सरकार पर किसानों के मुद्दों की अनदेखी करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, "किसानों पर संकट के बीच भाजपा नेता त्योहारों और बैठकों में भाग लेने में व्यस्त हैं. यह उपेक्षा अस्वीकार्य है."
इसके अलावा, बीजेडी नेताओं ने अपर्याप्त राहत उपायों के लिए राज्य सरकार को दोषी ठहराया. एक वरिष्ठ बीजेडी नेता ने कहा, "सरकार किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने और समय पर मुआवजा देने में विफल रही है. ऐसे संकट में किसानों की मदद करने के उनके दावे खोखले साबित हुए हैं."
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