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एवरेस्ट फतह करने वाले हिमाचली लाल विवेक ठाकुर का ग्रामीणों ने किया भव्य स्वागत, बोले- पहाड़ी को न करें प्रदूषित - himachal

हिमाचली बेटे एनएसजी कमांडो विवेक ठाकुर ने माउंट एवरेस्ट पर फतह कर देश व सिरमौर का नाम रौशन किया. एनएसजी में ब्लैक कैट कमांडो के पद पर रहकर एवरेस्ट चढ़ने का सपना सजाया था.

welcome of son of soil vivek thakur
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Published : Jul 15, 2019, 3:29 PM IST

नाहन: सिरमौर जिला के उपमंडल संगड़ाह के साथ लगते गांव अंधेरी में हिमाचली बेटे एनएसजी कमांडो विवेक ठाकुर का ग्रामीणों ने पारंपरिक वाद्य यंत्रों व ढोल नगाड़ों के साथ अभिनंदन किया. विवेक ठाकुर का स्वागत करने के लिए उनके सहपाठी भी दूर-दराज गांव से आए थे. हिमाचली बेटे ने दुनिया की सबसे उंची चोटी एवरेस्ट पर तिरंगा लहराकर देश व सिरमौर सहित हिमाचल का नाम रौशन किया है.

माटी के पुत्र विवेक ठाकुर का भव्य स्वागत

बता दें कि विवेक ठाकुर साल 2012 में पैरा मिलिट्री फोर्स में सब इंस्पेक्टर के पद पर भर्ती हुए थे. 2015 में उन्हें एनएसजी में ब्लैक कैट कमांडो के पद की प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया था. यहीं से उन्होंने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का अपना लक्ष्य निर्धारित किया था, जिसे उन्होंने साकार भी किया है.

इस मौके पर एनएसजी कमांडो विवेक ठाकुर ने अपने एवरेस्ट पर चढ़ने के अनुभवों का साझा किया. उन्होंने कहा कि इस बार एवरेस्ट पर पर्वतारोहियों की संख्या ज्यादा होने के कारण सामान्य से ज्यादा कैजुअल्टी हुई है.

यें भी पढ़े: सोलन हादसा: मलबे के नीचे दबी हैं अभी भी 14 जानें, सकुशल बाहर निकलने की हो रही दुआ

विवेक19 मई को एनएसजी के12 सदस्यों के साथ एवरेस्ट के बेस कैंप से निकले ओर 22 मई को 8848 मीटर का सफर तय कर एवरेस्ट की चोटी पर पहुचें थे. इससे पहले 2017 में विवेक माउंटेनियरिंग ट्रेनिंग के दौरान दार्जलिंग, माउंट नान व मनाली की पहाड़ियों का शिखर तय करने के बाद 2018 में देव टिब्बा व जोगिन की चोटियों का सफर भी कर चुके हैं. उन्होंने पर्वतारोहियों, ट्रैकर्स व सैलानियों से अपील करते हुए कहा कि कुदरत की खूबसूरत नेमत बर्फीली पहाड़ियों पर कचरा फैला कर पर्यावरण को प्रदूषित न करें.

नाहन: सिरमौर जिला के उपमंडल संगड़ाह के साथ लगते गांव अंधेरी में हिमाचली बेटे एनएसजी कमांडो विवेक ठाकुर का ग्रामीणों ने पारंपरिक वाद्य यंत्रों व ढोल नगाड़ों के साथ अभिनंदन किया. विवेक ठाकुर का स्वागत करने के लिए उनके सहपाठी भी दूर-दराज गांव से आए थे. हिमाचली बेटे ने दुनिया की सबसे उंची चोटी एवरेस्ट पर तिरंगा लहराकर देश व सिरमौर सहित हिमाचल का नाम रौशन किया है.

माटी के पुत्र विवेक ठाकुर का भव्य स्वागत

बता दें कि विवेक ठाकुर साल 2012 में पैरा मिलिट्री फोर्स में सब इंस्पेक्टर के पद पर भर्ती हुए थे. 2015 में उन्हें एनएसजी में ब्लैक कैट कमांडो के पद की प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया था. यहीं से उन्होंने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का अपना लक्ष्य निर्धारित किया था, जिसे उन्होंने साकार भी किया है.

इस मौके पर एनएसजी कमांडो विवेक ठाकुर ने अपने एवरेस्ट पर चढ़ने के अनुभवों का साझा किया. उन्होंने कहा कि इस बार एवरेस्ट पर पर्वतारोहियों की संख्या ज्यादा होने के कारण सामान्य से ज्यादा कैजुअल्टी हुई है.

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विवेक19 मई को एनएसजी के12 सदस्यों के साथ एवरेस्ट के बेस कैंप से निकले ओर 22 मई को 8848 मीटर का सफर तय कर एवरेस्ट की चोटी पर पहुचें थे. इससे पहले 2017 में विवेक माउंटेनियरिंग ट्रेनिंग के दौरान दार्जलिंग, माउंट नान व मनाली की पहाड़ियों का शिखर तय करने के बाद 2018 में देव टिब्बा व जोगिन की चोटियों का सफर भी कर चुके हैं. उन्होंने पर्वतारोहियों, ट्रैकर्स व सैलानियों से अपील करते हुए कहा कि कुदरत की खूबसूरत नेमत बर्फीली पहाड़ियों पर कचरा फैला कर पर्यावरण को प्रदूषित न करें.

Intro:नाहन। एवरेस्ट विजेता हिमाचल लाल एनएसजी कमांडो विवेक ठाकुर का ग्रामीणों ने गर्मजोशी से स्वागत किया। सिरमौर जिला के उपमंडल संगड़ाह के साथ लगते हिमाचली बेटे विवेक ठाकुर के पैतृक गांव अंधेरी में ग्रामीणों ने दुनिया भर में क्षेत्र का नाम रोशन करने वाले एनएसजी कमांडों का पारंपरिक वाद्य यंत्रों व ढोल नगाड़ों के साथ नागरिक अभिनंदन किया। इस दौरान विवेक ठाकुर के सहपाठियों द्वारा भी उनका स्वागत किया गया।
Body:बता दें कि विवेक ठाकुर ने साल 2012 में पैरा मिलिट्री फोर्स में सब इंस्पेक्टर पद पर सेना में सेवाओं की शुरुआत की थी। वर्ष 2015 में उन्हें एनएसजी में ब्लैक कैट कमांडों के पद पर प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया। उन्होंने यहां से माउंट एवरेस्ट पर चढने का लक्ष्य निर्धारित किया था, जिसे उन्होंने साकार भी किया।
इस मौके पर बातचीत में एनएसजी कमांडो विवेक ठाकुर ने अपने एवरेस्ट फतह के अनुभवों का सांझा किया। उन्होंने कहा कि इस बार एवरेस्ट पर ट्रैफिक अथवा पर्वतारोहियों की संख्या ज्यादा होने के चलते सामान्य से ज्यादा कैजुअल्टी भी हुई। एवरेस्ट के बेस कैंप से 19 मई को एनएसजी के दल के 12 सदस्यों के साथ निकले विवेक 22 मई को 8848 मीटर ऊंचे शिखर पर पहुंचे। इससे पहले विवेक 2017 में माउंटेनियरिंग ट्रेनिंग के दौरान दार्जलिंग, माउंट नान व मनाली की पहाड़ियां लांघने के बाद 2018 में देव टिब्बा व जोगिन की चोटियां भी फतह कर चुके हैं। उन्होंने पर्वतारोहियों, ट्रेकर्स व सैलानियों से अपील करते हुए कहा कि कुदरत की खूबसूरत नेमत बर्फीली पहाड़ियों पर कचरा छोड़ पर्यावरण को प्रदूषित न करें।
बाइट: विवेक ठाकुर, एवरेस्ट विजेता एवं एनएसजी कमांडोConclusion:कुल मिलाकर हिमाचली बेटे ने जहां एवरेस्ट फतेह कर दुनिया की सबसे उंची चोटी पर तिरंगा लहराने में कायमाबी हासिल की है, वहीं सिरमौर सहित हिमाचल का नाम भी रोशन किया है।
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