सिरमौर: हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर में एफडीआर (फुल डेफ्थ रिक्लेमेशन) तकनीक से बनने वाली जमटा-बिरला सड़क का कार्य शुरू हो गया है. ये नाहन विधानसभा क्षेत्र और डिवीजन की पहली सड़क होगी, जिसका निर्माण इस तकनीक से होगा. 21.330 किलोमीटर लंबी इस सड़क पर 19.15 करोड़ रुपए खर्च होंगे.
बड़ी बात ये है कि इस तकनीक से सड़क की लाइफ शैल 15-20 वर्ष तक बनी रहेगी. इससे न तो पहाड़ दरकने का खतरा होगा और न ही पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा. ये पूरी तरह से ईको फ्रैंडली सड़क होगी. इस तकनीक में सड़क से निकलने वाले मटीरियल को यहीं रिसाइकल कर इस्तेमाल में लाया जाएगा. दरअसल जिला सिरमौर में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई)- 3 के तहत एफडीआर तकनीक से इस सड़क के अपग्रेडेशन का कार्य किया जा रहा है. लोक निर्माण विभाग के एसई अरविंद कुमार शर्मा, एक्सईएन आलोक जनवेजा, एसडीओ दलीप सिंह समेत अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में इस सड़क के 100 मीटर पैच का ट्रायल किया गया. इसके बाद इसकी रिपोर्ट्स आएंगी. इसी आधार पर पूरी सड़क का निर्माण किया जाएगा.
बढ़ जाएगी सड़क की चौड़ाई
बता दें कि जमटा-बिरला सड़क की चौड़ाई मौजूदा समय में 3.05 मीटर है, जिसे बढ़ाकर 3.75 मीटर किया जाएगा. यानी तारकोलयुक्त इस सड़क की चौड़ाई पहले से 70 सेंटीमीटर अधिक बढ़ जाएगी. इसके बनने से इस सड़क पर सफर बेहद मजेदार हो जाएगा. सड़क पर वाहनों को पास देने में चालकों को दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा. ये सड़क न केवल मजबूत होगी, बल्कि टिकाऊ भी होगी.
लोक निर्माण विभाग के एसई ई. अरविंद शर्मा ने बताया कि, 'जिला सिरमौर में एफडीआर तकनीक से बनने वाली तीन सड़कों को मंजूरी मिली है. इस तकनीक से सड़कों का अपग्रेडेशन होगा. पांवटा साहिब में इसका ट्रायल किया जा चुका है. जमटा-बिरला सड़क पर इस एफडीआर का दूसरा ट्रायल है. ये एक जर्मन टेक्नोलॉजी है. इस प्रक्रिया में पहले सीमेंट का इस्तेमाल होता है. बड़ी बात ये है कि सड़क से निकलने वाले मटीरियल को यहीं पर रिसाइकल कर इस्तेमाल किया जाता है.'
नाहन डिवीजन की पहली सड़क
उधर लोक निर्माण विभाग नाहन डिविजन के एक्सईएन आलोक जनवेजा ने बताया कि, 'इस तकनीक में सड़क के ही मटीरियल की स्ट्रेंथ को इंप्रूव किया जाता है. ये ईको फ्रैंडली टेक्नोलॉजी है. लिहाजा इससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा. इस तकनीक से निर्मित सड़कें काफी टिकाऊ और मजबूत होती हैं. इसका ट्रायल पैच लिया गया है. इसकी रिपोर्ट के बाद उसी आधार पर निर्माण होगा. अंतिम चरण में तारकोलयुक्त सड़क बनाई जाएगी. एक से डेढ़ माह के भीतर इस सड़क का निर्माण किया जाएगा. इस तकनीक में पहाड़ों को नुकसान नहीं पहुंचता. ये सड़क नाहन डिवीजन की पहली सड़क है, जिसका निर्माण एफडीआर तकनीक के किया जाएगा. इसकी लाइफ शैल 15-20 वर्ष की होगी.'
यूपी के बाद हिमाचल में भी अपनाई जा रही तकनीक
दूसरी तरफ सड़क निर्माण कार्य में जुटी कंस्ट्रक्शन कंपनी के सीएमडी मुकेश शर्मा ने बताया कि, 'उत्तर प्रदेश में सबसे पहले एफडीआर तकनीक के तहत सड़कें बनाई गई हैं. अब हिमाचल में भी इस तकनीक को अपनाया जा रहा है. इस तकनीक में सबसे पहले पूरी सड़क को मशीनों से डिस्मैंटल किया जाता है. इसके बाद सड़क से ही निकाले गए मटीरियल को ग्रेडर मशीन से मिलाकर पैडफुट रोलर से समतल किया जाएगा. फिर सीमेंट और कैमिकल मिलाकर सॉयल कंपेक्टर से सड़क की गहराई को मजबूत आधार में बदला जाएगा. सड़क के अंतिम चरण में फाइनल टच पीटीआर मशीन से दिया जाएगा. ये सड़क 22 टन से अधिक दाब क्षमता सहने में सक्षम होगी. जमटा-बिरला सड़क के ट्रायल पैच के साथ साथ रामपुरघाट में भी इसका ट्रायल हो चुका है. शिलाई में भी इसी तकनीक से सड़कें बनाई जाएंगी.'
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