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बाबरी मस्जिद विध्वंस मामला: सुरेश भारद्वाज व सुरेश कश्यप ने किया फैसले का स्वागत - बाबरी मस्जिद विध्वंस मामला फैसला

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा ढहाए जाने के मामले में बीजेपी नेता और शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने विवादित ढांचे के विध्वंस मामले में सीबीआई कोर्ट के फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि सबूत के आधार पर फैसला आया है. सच का रास्ता लंबा होता है.

शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज
शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज
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Published : Sep 30, 2020, 2:23 PM IST

शिमला: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा ढहाए जाने के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने आज अपना फैसला सुना दिया. इस मामले में बीजेपी नेता और शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने विवादित ढांचे के विध्वंस मामले में सीबीआई कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि सबूत के आधार पर फैसला आया है. सच का रास्ता लंबा होता है.

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद सुरेश कश्यप ने बाबरी मस्जिद केस का सीबीआई कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले का स्वागत किया है. आज 28 साल बाद बाबरी मस्जिद केस में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी सहित 32 आरोपियों को बरी कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि कोर्ट के माध्यम से आज यह ऐतिहासिक फैसला सामने आया है जिसमें कोर्ट ने माना है कि बाबरी में हुई घटना अचानक हुई थी और तस्वीरों के आधार पर किसी को दोषी करार नहीं दिया जा सकता.

वीडियो रिपोर्ट.

सुरेश कश्यप ने कहा कि ढांचा दहन की घटना अचानक शुरू हुई थी और उसके पीछे कारसेवकों की कोई मंशा नहीं थी, अशोक सिंघल जैसे वरिष्ठ नेता भी ढांचे को सुरक्षित रखना चाहते थे. उन्होंने कहा कि लंबे समय के इंतजार के बाद आज कोर्ट के माध्यम से भी सच्चाई सामने आई है इसका हम सभी इस फैसले का स्वागत करते हैं.

आपको बता दें कि 28 साल बाद सुनाए गए इस फैसले में कोर्ट ने सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया. इस फैसले पर प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं. विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश एसके यादव ने 16 सितंबर को इस मामले के सभी 32 आरोपियों को फैसले के दिन अदालत में मौजूद रहने को कहा था.

हालांकि वरिष्ठ बीजेपी नेता एवं पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, राम जन्मभूमि न्यास अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास और सतीश प्रधान अलग-अलग कारणों से न्यायालय में हाजिर नहीं हो सके.

कल्याण सिंह बाबरी मस्जिद ढहाये जाने के वक्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय भी इस मामले के आरोपियों में शामिल थे. मामले के कुल 49 अभियुक्त थे, जिनमें से 17 की मृत्यु हो चुकी है.

फैसला सुनाये जाने से ऐन पहले सभी अभियुक्तों के वकीलों ने अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 437-ए के तहत जमानत के कागजात पेश किये. यह एक प्रक्रियात्मक कार्रवाई थी और इसका दोषसिद्धि या दोषमुक्त होने से कोई लेना-देना नहीं है.

उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई अदालत को बाबरी विध्वंस मामले का निपटारा 31 अगस्त तक करने के निर्देश दिए थे लेकिन गत 22 अगस्त को यह अवधि एक महीने के लिए और बढ़ा कर 30 सितंबर कर दी गई थी. सीबीआई की विशेष अदालत ने इस मामले की रोजाना सुनवाई की थी. केंद्रीय एजेंसी सीबीआई ने इस मामले में 351 गवाह और करीब 600 दस्तावेजी सबूत अदालत में पेश किए.

पढ़ें: हाथरस गैंगरेप पर शिमला में दलित समुदाय ने किया मौन प्रदर्शन

शिमला: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा ढहाए जाने के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने आज अपना फैसला सुना दिया. इस मामले में बीजेपी नेता और शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने विवादित ढांचे के विध्वंस मामले में सीबीआई कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि सबूत के आधार पर फैसला आया है. सच का रास्ता लंबा होता है.

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद सुरेश कश्यप ने बाबरी मस्जिद केस का सीबीआई कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले का स्वागत किया है. आज 28 साल बाद बाबरी मस्जिद केस में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी सहित 32 आरोपियों को बरी कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि कोर्ट के माध्यम से आज यह ऐतिहासिक फैसला सामने आया है जिसमें कोर्ट ने माना है कि बाबरी में हुई घटना अचानक हुई थी और तस्वीरों के आधार पर किसी को दोषी करार नहीं दिया जा सकता.

वीडियो रिपोर्ट.

सुरेश कश्यप ने कहा कि ढांचा दहन की घटना अचानक शुरू हुई थी और उसके पीछे कारसेवकों की कोई मंशा नहीं थी, अशोक सिंघल जैसे वरिष्ठ नेता भी ढांचे को सुरक्षित रखना चाहते थे. उन्होंने कहा कि लंबे समय के इंतजार के बाद आज कोर्ट के माध्यम से भी सच्चाई सामने आई है इसका हम सभी इस फैसले का स्वागत करते हैं.

आपको बता दें कि 28 साल बाद सुनाए गए इस फैसले में कोर्ट ने सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया. इस फैसले पर प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं. विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश एसके यादव ने 16 सितंबर को इस मामले के सभी 32 आरोपियों को फैसले के दिन अदालत में मौजूद रहने को कहा था.

हालांकि वरिष्ठ बीजेपी नेता एवं पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, राम जन्मभूमि न्यास अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास और सतीश प्रधान अलग-अलग कारणों से न्यायालय में हाजिर नहीं हो सके.

कल्याण सिंह बाबरी मस्जिद ढहाये जाने के वक्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय भी इस मामले के आरोपियों में शामिल थे. मामले के कुल 49 अभियुक्त थे, जिनमें से 17 की मृत्यु हो चुकी है.

फैसला सुनाये जाने से ऐन पहले सभी अभियुक्तों के वकीलों ने अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 437-ए के तहत जमानत के कागजात पेश किये. यह एक प्रक्रियात्मक कार्रवाई थी और इसका दोषसिद्धि या दोषमुक्त होने से कोई लेना-देना नहीं है.

उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई अदालत को बाबरी विध्वंस मामले का निपटारा 31 अगस्त तक करने के निर्देश दिए थे लेकिन गत 22 अगस्त को यह अवधि एक महीने के लिए और बढ़ा कर 30 सितंबर कर दी गई थी. सीबीआई की विशेष अदालत ने इस मामले की रोजाना सुनवाई की थी. केंद्रीय एजेंसी सीबीआई ने इस मामले में 351 गवाह और करीब 600 दस्तावेजी सबूत अदालत में पेश किए.

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