शिमला: हिमाचल में प्रदेश सरकार की बीपीएल मुक्त पंचायत मुहिम पर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं. एक लाख लोगों को बीपीएल से बाहर करने का मुद्दा विधानसभा के मानसून सत्र के पांचवें दिन सदन में गूंजा. नेता प्रतिपक्ष की तरफ से सदन में नियम 62 के तहत ध्यानाकर्षण प्रस्ताव सदन में लाया और सरकार द्वारा बीपीएल परिवारों की कटौती पर सरकार की नीयत पर सवाल उठाए.
नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार जबरन गरीबों को बीपीएल से बाहर कर पंचायतों को बीपीएल मुक्त बना रही है. सरकार पंचायती राज संस्था के कानूनों को दरकिनार कर रही है. सरकार एक लाख लोगों को बाहर करना चाहती है और नियमों को दरकिनार कर ये दिखाना चाहती है कि हिमाचल में गरीबी खत्म कर दी है. इसके लिए बाकायदा कमेटी गठित की गई है जो निर्णय लेगी कि किसे बीपीएल में रखना है और किसे नहीं.
मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि बीपीएल में कौन रहेगा इसका निर्णय ग्राम पंचायत लेती है. उन्होंने कहा सरकार गरीबी की श्रेणी में आने वाले जरूरतमंद लोगों की मदद करने के बजाय उन्हें जबरदस्ती बाहर निकालने में लगी हुई है.
सरकार ने अपनी अधिसूचना में कहा कि उन सभी परिवारों की जिनकी प्रतिमाह आय 2500 या इससे अधिक है उन्हें बीपीएल श्रेणी से बाहर रखा जाएगा. उन्होंने कहा कि सरकार के इस फरमान से जो लोग गरीबी रेखा से नीचे है, उनको आर्थिक मार झेलनी पड़ेगी. सरकार केवल दिखाने के लिए पंचायतों को बीपीएल मुक्त पंचायत का ठप्पा लगाना चाहती है जोकि गरीबों के साथ अन्याय है. सरकार को इसके लिए नियम नहीं बदलने चाहिए.