शिमला: प्रदेश के सरकारी स्कूलों में हजारों की संख्या में तैनात किए गए मिड-डे मील वर्कर को हाईकोर्ट ने दस माह के बजाए 12 महीने का वेतन दिए जाने के आदेश दिए हैं. न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने शिक्षा विभाग को आदेश दिए कि वे मिड डे मील वर्कर को पूरे साल का वेतन दें. इससे पहले शिक्षा विभाग मिड-डे मील वर्कर को दस महीनों का वेतन देता था.
मिड-डे मील वर्कर यूनियन की ओर से दायर याचिका को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने ये आदेश पारित किए हैं. प्रार्थी यूनियन ने अदालत से गुहार लगाईं थी कि मिड-डे मील वर्कर को बारह महीनों का वेतन दिया जाए. याचिका में आरोप लगाया गया था कि शिक्षा विभाग मीड-डे मील वर्कर के साथ भेदभाव कर रहा है. शिक्षा विभाग में कार्यरत गैर शिक्षक कर्मचारियो को भी पूरे साल का वेतन दिया जाता है, लेकिन उन्हें दस ही महीनों का वेतन दिया जा रहा है.
हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि शिक्षा विभाग मिड-डे मील वर्कर के साथ भेदभाव नहीं कर सकता इसलिए यह सविंधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है. हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से सुनाए गए निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि मिड डे मील वर्कर दस महीनों के बजाए बारह महीनों के वेतन के हकदार हैं.