शिमला: हिमाचल के विभिन्न जिलों में स्थित क्षेत्रीय अस्पतालों में भी अब लेप्रोस्कोपी सर्जरी शुरू होगी. इसके लिए आईजीएमसी प्रशासन की ओर से लगभग 200 डॉक्टरों को ट्रेनिंग दी गई है. ऐसे में अब उन मरीजों को इसका फायदा होगा, जो चीरफाड़ के बजाए लेप्रोस्कोपी यानी दूरबीन से ऑपरेशन करवाना चाहते हैं. सरकारी अस्पतालों की बात करें तो हिमाचल में कुछ क्षेत्रीय अस्पतालों को छोड़कर अन्य अस्पतालों में लेप्रोस्कोपी सर्जरी नहीं होती है. जिस कारण वहां से मरीजाें को आइजीएमसी रेफर किया जाता है. (Laparoscopy surgery in Himachal) (regional hospitals of Himachal)
मरीजों का ऑपरेशन दो प्रकार से होता है. जिसमें एक प्रक्रिया में चीरफाड़ की जाती है, वहीं दूसरी प्रक्रिया में दूरबीन से ऑपरेशन होता है. लेप्रोस्कोप एक लंबा, पतला और लचीला ट्यूब है. जिसके एक हिस्से पर लाइट और कैमरा लगा होता है. इस उपकरण की मदद से डॉक्टर कंप्यूटर स्क्रीन पर पेट के आंतरिक हिस्सों को आसानी से साफ-साफ देख पाते हैं. लेप्रोस्कोपी के दौरान शरीर के अनेको अंगों का मूल्यांकन किया जाता है. जिसमें मुख्य रूप से पेल्विक या प्रजनन अंग, बड़ी और छोटी आंत, स्प्लीन, पित्ताशय, किडनी, अपेंडिक्स, लिवर और पैंक्रियाज शामिल हैं.
आईजीएमसी सर्जरी डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. आरएएस जोबटा का कहना है कि हम प्रदेश के हर अस्पताल में लेप्रोस्कोपी सर्जरी शुरू करने जा रहे हैं. इसके लिए हमने डॉक्टरों को ट्रेनिंग दी है. ऑपरेशन कैसे करना है, इसके गुर सिखाए गए. जल्द ही क्षेत्रीय अस्पतालों में ये सुविधाएं मिलनी शुरू हो जाएंगी. उनका कहना है कि मरीजों को किसी तरह की दिक्कत न हो, इसलिए ये फैसला लिया गया है.
हिमाचल में वर्तमान में अभी रोबोटिक सर्जरी नहीं हो पा रही है, रोबोटिक सर्जरी से जहां मरीजों को जल्दी लाभ मिलता है वहीं, सर्जरी करने में भी आसानी होती है. आईजीएमसी में सर्जरी विभाग द्वारा चलाए जा रहे 3 दिन के सेमिनार में यह सामने आया है कि हिमाचल में रोबोटिक सर्जरी होनी चाहिए. विभाग अब जल्द सरकार को प्रस्ताव भेजेगा जिससे कि आईजीएमसी में भी रोबोटिक सर्जरी शुरू हो सके और मरीजों को जल्दी लाभ मिल सके.
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