शिमला: हिमाचल में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jairam Thakur) की पीठ पर जेपी नड्डा के हाथ से भला कौन इनकार कर सकता है. देश भर में बीजेपी बेशक पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के नाम के सहारे अपनी चुनावी नैया पार लगाने में भरोसा रखती हो लेकिन, हिमाचल में तीन उपचुनाव को लेकर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (BJP National President JP Nadda)) अधिक चिंतित हैं. यहां तक कि सीएम जयराम ठाकुर से अधिक उनकी प्रतिष्ठा दांव पर है. कारण यह है कि हिमाचल जेपी नड्डा का गृह प्रदेश है और सीएम जयराम ठाकुर उनके करीबियों में शुमार हैं. ऐसे में मंडी लोकसभा चुनाव, फतेहपुर और जुब्बल विधानसभा उपचुनाव में नड्डा की प्रतिष्ठा भी दांव पर है.
मंडी में जीत के लिए रणनीति
जेपी नड्डा अभी कुल्लू में थे. वहां मंडी लोकसभा सीट पर जीत के लिए रणनीति बनाई गई. संगठन तो सक्रिय है ही, कार्यकर्ताओं की नाराजगी जैसे मसले हमेशा बने रहते हैं. इसी मसले को जेपी नड्डा ने प्रदेश के नेताओं, सरकार और संगठन से साझा किया है. मंडी लोकसभा सीट पर तो सीएम जयराम ठाकुर की भी चिंता अधिक है क्योंकि उनके क्षेत्र की नाक का सवाल है. फिर सत्ता में रहते हुए पार्टी कोई उपचुनाव हार जाए तो मनोवैज्ञानिक रूप से असर पड़ता है. हिमाचल में तीन उपचुनाव सिर पर हैं. उसके बाद मिशन रिपीट का टास्क है. इस राजनीतिक युद्ध के लिए बीजेपी ने चिंतन और मंथन के दो दौर पूरे कर लिए हैं. शिमला और धर्मशाला में संगठन व सरकार ने सारी स्थितियों का जायजा लिया है.
जनता से संवाद बढ़ाने की नसीहत
ऐसा नहीं है कि बीजेपी के लिए हिमाचल में रास्ता बिल्कुल खुला है. चुनौतियों की कमी नहीं है. पार्टी, सीएम जयराम ठाकुर और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के समक्ष क्या चुनौतियां हैं और कैसे उपचुनाव सहित 2022 में चुनावी बेड़ा पार होगा. इस पर आगे की पंक्तियों में पड़ताल करेंगे. यह बात नड्डा के संबोधन में भी साफ झलकती है. जगत प्रकाश नड्डा ने बैठक में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए हिमाचल के नेताओं को कार्यालय का मोह त्यागकर जनता से संवाद बढ़ाने की नसीहत दे डाली. उन्होंने केंद्र की मोदी और प्रदेश की जयराम ठाकुर सरकार की उपलब्धियों के सहारे मंडी संसदीय क्षेत्र, फतेहपुर और जुब्बल कोटखाई हलके के उपचुनाव में उतरने का एलान किया.
'हमेशा चुनाव मोड में रहती है बीजेपी'
जेपी नड्डा ने कहा कि बीजेपी हमेशा चुनाव मोड में रहती है. हालांकि उपचुनाव में पार्टी की तरफ से कौन मैदान में उतरेगा, इस बात को लेकर चुप्पी साधे रखी. बीजेपी पदाधिकारियों की बैठक में उपचुनाव को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई. बैठक में सरकार और संगठन की उपलब्धियों का उल्लेख हुआ. नड्डा ने पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को संगठन की मजबूती का पाठ पढ़ाया और भविष्य के लिए रणनीति बनाने को कहा. मंडल अध्यक्षों को हर बूथ पर योजना बनाकर और पदाधिकारियों को ग्राम केंद्र स्तर पर जाकर काम करने के निर्देश दिए.
पदाधिकारियों के मन की बात जानी
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सवाल जवाब कर पदाधिकारियों के मन की बात जानी. कार्यकर्ता निर्माण को लेकर चर्चा की. कार्यकर्ता और पदाधिकारियों को कहा कि दूसरों पर उंगली उठाने से पहले खुद कितने पानी में हैं. इस बात का आकलन करना चाहिए. केंद्र और प्रदेश की योजनाओं की जानकारी कार्यकर्ताओं के टिप्स पर होनी चाहिए. जेपी नड्डा ने कई कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को नाम से पुकार कर सबको आश्चर्यचकित किया. अनुसूचित जाति वर्ग के लिए कार्य करने का कहा ताकि वह खुद को असहाय न समझें.
धूमल गुट के साथ तालमेल बिठाने के निर्देश
माना जा रहा है कि जेपी नड्डा ने प्रदेश में बैठकों के दौरान धूमल गुट के साथ तालमेल बिठाने के भी निर्देश दिए ताकि आने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टी, संगठन और धूमल गुट सभी तालमेल के साथ काम कर सकें. हालांकि इस दौरे के दौरान नड्डा से धूमल गुट के किसी भी बड़े नेता की मुलाकात नहीं हुई लेकिन, माना जा रहा है कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पार्टी के सभी आला नेताओं और सरकार के पदाधिकारियों को तालमेल के साथ काम करने के निर्देश दिए हैं.
हालांकि इनका असर आने वाले उप चुनावों में कितना देखने को मिलता है यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन, जेपी नड्डा ने प्रदेश और जिले में पार्टी के अंदर चल रही असंतोष की भावना को भी गंभीरता से लिया और इस बारे में कुछ दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं. बताया जा रहा है कि बिलासपुर के परिधि गृह में नड्डा ने उपचुनावों की तैयारियों और संभावित प्रत्याशियों की फीडबैक भी ली. चर्चा के बाद उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देशों के साथ ही उपचुनावों में जीत के लिए कुछ टिप्स भी दिए.
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