शिमलाः हिमाचल प्रदेश वन निगम ने वित्त वर्ष 2018-19 में 250 करोड़ रुपये के लाभांश का लक्ष्य रखा है. वहीं, निगम ने नारकंडा और जलोड़ी जोत में ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए आधारभूत सुविधाएं और इन पर्यटन स्थलों को विकसित करने का निर्णय लिया है.
इस संबंध में रविवार को नोगली वन विभाग के विश्रामगृह में वन निगम के विभिन्न मंडलों से आए अधिकारियों और कर्मचारियों की समीक्षा बैठक हुई. बैठक में प्रदेश वन निगम के उपाध्यक्ष सूरत नेगी ने मौजूद अधिकारियों और कर्मचारियों को निगम को और मजबूती देने के दिशा निर्देश दिए और कर्मचारियों की समस्याओं को भी सुना.
बैठक के बाद उपाध्यक्ष सूरत नेगी ने कहा कि उत्तराखंड की तर्ज पर प्रदेश में खनन के क्षेत्र में वन निगम पायलट प्रोजेक्ट के रूप कार्य करने जा रहा है, इसके लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में हुई बीओडी की बैठक में निर्णय लिया गया है. प्रदेश में विभिन्न स्थानों का चयन कर माइनिंग का कार्य भी वन निगम करेगा.
प्रदेश के बद्दी और नालागढ़ में खनन के पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की जाएगी. इससे प्राप्त होने वाले लाभ से प्रदेश सरकार को अच्छा खासा राजस्व प्राप्त होगा. उन्होंने कहा कि प्रदेश भर में समीक्षा बैठकें कर अधिकारियों कर्मचारियों को वन निगम को और मजबूत करने के निर्देश दिए जा रहे हैं. वन निगम के तहत भेजी जाने वाली लकड़ी को समय रहते डिपो पहुंचाने के भी निर्देश दिए गए. वहीं बैठक में निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों ने वन निगम से टिंबर का ठेका लेने वाले ठेकेदारों की मनमानी पर भी लगाम लगाने की मांग उपाध्यक्ष से रखी.
इसके अलावा कर्मचारियों ने उनके हितों को देखते हुए सरकार से विशेष नीति बनाने की मांग की है. बैठक में बताया गया कि प्रोफेशनल स्टाफ और मूलभूत सुविधाओं के चलते इको टूरिज्म के तहत चल रहे नेचर कैंप नारकंडा और आऊटर सिराज के जलोड़ी जोत में पर्यटकों की आवाजाही नहीं बढ़ पा रही है.
जलोड़ी जोत में पेयजल और बिजली जैसी सुविधाएं तक ही मुहैया नहीं हो पा रही हैं, जिसे उपाध्यक्ष ने जल्द दूर करने के आश्वासन दिए. उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2018-19 में वन निगम ने 250 करोड़ रुपये के लाभांश का लक्ष्य रखा है. निगम ने रॉयल्टी के तहत प्रदेश सरकार को 25 करोड़ रुपये की राशि दी है. वहीं बतौर जीएसटी निगम करीब 50 करोड़ रुपये की राशि दी जानी है.