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हिमाचल विधानसभा में एकसाथ निरस्त किए गए 20 गैरजरूरी कानून, विपक्ष ने किया विरोध

विधानसभा में 20 गैर जरूरी कानून निरस्त कर दिए गए. नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री आरोप लगाया कि सरकार ने जल्दबाजी में 20 गैर जरूरी कानूनों को एक साथ हटा दिया. ये सही नहीं है.

Himachal Assembly repeal 20 non-essential laws simultaneously
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Published : Aug 28, 2019, 8:38 PM IST

शिमला: विपक्षी दल कांग्रेस व माकपा विधायक राकेश सिंघा के विरोध के बीच विधानसभा में 20 गैर जरूरी कानून निरस्त कर दिए गए. इस संदर्भ में सदन में पिछले दिनों विधेयक लाया गया था. बुधवार को सदन में हिमाचल प्रदेश निरसन विधेयक-2019 को पारित कर दिया गया.

सरकार का कहना था कि समय के साथ कुछ कानून अप्रासंगिक हो गए थे. ऐसे में उन्हें निरस्त करने की आवश्यकता थी. विधेयक पर अपनी बात रखते हुए नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री आरोप लगाया कि सरकार ने जल्दबाजी में 20 गैर जरूरी कानूनों को एक साथ हटा दिया. ये सही नहीं है. उनका कहना था कि इस मामले को पहले सदन की सिलेक्ट कमेटी को भेजना चाहिए था. सिलेक्ट कमेटी इस पर विचार करती और साथ ही विपक्ष की शंकाएं भी दूर होती.

नेता विपक्ष का मानना था कि यह बिल ठीक वैसा ही है, जैसा पर्यटन निगम के होटलों की संपत्ति बेचने से संबंधित दस्तावेज सरकारी वेबसाइट पर चढ़ गया था.सदन में नेता प्रतिपक्ष की उक्त टिप्पणी पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच कुछ क्षणों के लिए हल्की-फुल्की नोंक-झोंक भी हुई.

ठियोग विधानसभा क्षेत्र से माकपा विधायक राकेश सिंघा ने भी कानूनों को निरस्त करने के लिए सरकार की आलोचना की.उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा कि एक तरह से सरकार ने उल्टी गंगा बहा दी.सदन में कानून बनते हैं, लेकिन यहां निरस्त किए जा रहे हैं. कांग्रेस विधायक सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने भी इस विधेयक पर आपत्ति जताई.कांग्रेस की वरिष्ठ नेता आशा कुमारी ने आरोप लगाया कि सरकार कानूनों को खत्म करने में जल्दबाजी दिखा रही है.

बाद में सीएम जयराम ठाकुर ने विपक्ष की तरफ से लगाए गए आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि इन मामलों में विधि विशेषज्ञों की राय ली गई है.समय के साथ कुछ कानूनों की उपयोगिता खत्म हो चुकी है. कुछ मामले ऐसे हैं, जिनमें केंद्रीय कानून बन चुके हैं.उन्होंने कहा कि विपक्षी सदस्यों को इस पर अपनी आपत्तियां पहले लिखित तौर पर रखनी चाहिए थीं.

विधि मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि विपक्ष बेवजह सुर्खियां बटोरने की कोशिश कर रहा है.उन्होंने कहा कि उन अधिनियमितियों को निरसित किया जाना प्रस्तावित है, जिनका महत्व अब नहीं रह गया है.

विधानसभा में निरस्त हुए ये कानून
सरकार की तरफ से हिमाचल प्रदेश निरसन विधेयक-2019 के तहत एक साथ जिन 20 कानूनों को निरस्त किया गया है, उनमें दि पंजाब स्मॉल टाउनज (टैक्स वैलिडेटिंग)एक्ट-1934, दी पंजाब न्यू टाउनशिप (स्ट्रीट लाइटिंग एंड वाटर सप्लाई) फीस एक्ट-1950, हिमाचल प्रदेश निरसन अधिनियम-1954, हिमाचल प्रदेश निरिसन अधिनियम-1964, दी पंजाब टाउन इंप्रूवमेंट (एमेंडमेंट एंड मिसलेनियस प्रोविजनज) एक्ट-1965, हिमाचल प्रदेश पधुशन और पक्षी रोग अधिनियम-1968.

हिमाचल प्रदेश निरसन अधिनियम-1968, हिमाचल प्रदेश निरसन अधिनियम-1972, हिमाचल प्रदेश भूमि विकास अधिनियम-1973, हिमाचल प्रदेश ट्रैक्टर खेती (प्रभारों की वसूली) अधिनियम-1972, हिमाचल प्रदेश निरसन अधिनियम-197&, हिमाचल प्रदेश भाण्डागार अधिनियम-1976, हिमाचल प्रदेश निरसन अधिनियम-1976, हिमाचल प्रदेश निरसन अधिनियम-1978,
आवश्यक वस्तु (हिमाचल प्रदेश संशोधन) अधिनियम-1986, विद्युत (प्रदाय) हिमाचल प्रदेश संशोधन अधिनियम-1999, विद्युत (प्रदाय) हिमाचल प्रदेश संशोधन अधिनियम-1999, हिमाचल प्रदेश धुम्रपान प्रतिषेध और अधूम्रसेवी स्वास्थ्य संरक्षण (निरसन) अधिनियम-2009, हिमचल प्रदेश प्राइवेट क्लिनिक स्थापन (रजिस्ट्रीकरण और विनियमन)निरसन अधिनियम-2013 और हिमाचल प्रदेश निरसन अधिनियम-2017 शामिल है.

अधिवक्ताओं के कल्याण संबंधी विधेयक भी पारित
हिमाचल प्रदेश अधिवक्ता कल्याण निधि (संशोधन) विधेयक-2019 को भी पारित कर दिया गया.संशोधन में फंड के लिए धनराशि जुटाने को वकालतनामे में स्टांप राशि बढ़ाने का प्रावधान किया गया है.साथ ही वकालतनामे में 10 के बदले 25 रुपए, प्रदेश में काम कर रहे वकीलों की मृत्यु पर वित्तीय राशि 1.50 लाख से बढ़ाकर 2.25 लाख करने तथा गंभीर बीमारियों से पीडि़त वकील को 25 हजार की जगह 1 से 2 लाख रुपए देने जैसे प्रावधान किया गया है.

सरकार ने पेश किया लोक सेवा गारंटी, रोपवे व ट्रिब्यूनल संबंधी विधेयक
हिमाचल प्रदेश विधानसभा में सीएम जयराम ठाकुर ने बुधवार को 3 संशोधन विधेयक प्रस्तुत किए. इनमें पहला संशोधन विधेयक हिमाचल प्रदेश लोक सेवा गारंटी (संशोधन और विधिमान्यकरण) विधेयक, 2019 को लेकर लाया गया. दूसरा संशोधन विधेयक हिमाचल प्रदेश आकाशी रज्जूमार्ग संशोधन) विधेयक, 2019 को लेकर लाया गया.इसमें रोपवे निर्माण को लेकर कुछ नियम बनाए गए हैं.इसी तरह हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल (विनिश्चित मामलों और लंबित आवेदनों का अंतरण) विधेयक, 2019 को भी प्रस्तुत किया गया.

शिमला: विपक्षी दल कांग्रेस व माकपा विधायक राकेश सिंघा के विरोध के बीच विधानसभा में 20 गैर जरूरी कानून निरस्त कर दिए गए. इस संदर्भ में सदन में पिछले दिनों विधेयक लाया गया था. बुधवार को सदन में हिमाचल प्रदेश निरसन विधेयक-2019 को पारित कर दिया गया.

सरकार का कहना था कि समय के साथ कुछ कानून अप्रासंगिक हो गए थे. ऐसे में उन्हें निरस्त करने की आवश्यकता थी. विधेयक पर अपनी बात रखते हुए नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री आरोप लगाया कि सरकार ने जल्दबाजी में 20 गैर जरूरी कानूनों को एक साथ हटा दिया. ये सही नहीं है. उनका कहना था कि इस मामले को पहले सदन की सिलेक्ट कमेटी को भेजना चाहिए था. सिलेक्ट कमेटी इस पर विचार करती और साथ ही विपक्ष की शंकाएं भी दूर होती.

नेता विपक्ष का मानना था कि यह बिल ठीक वैसा ही है, जैसा पर्यटन निगम के होटलों की संपत्ति बेचने से संबंधित दस्तावेज सरकारी वेबसाइट पर चढ़ गया था.सदन में नेता प्रतिपक्ष की उक्त टिप्पणी पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच कुछ क्षणों के लिए हल्की-फुल्की नोंक-झोंक भी हुई.

ठियोग विधानसभा क्षेत्र से माकपा विधायक राकेश सिंघा ने भी कानूनों को निरस्त करने के लिए सरकार की आलोचना की.उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा कि एक तरह से सरकार ने उल्टी गंगा बहा दी.सदन में कानून बनते हैं, लेकिन यहां निरस्त किए जा रहे हैं. कांग्रेस विधायक सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने भी इस विधेयक पर आपत्ति जताई.कांग्रेस की वरिष्ठ नेता आशा कुमारी ने आरोप लगाया कि सरकार कानूनों को खत्म करने में जल्दबाजी दिखा रही है.

बाद में सीएम जयराम ठाकुर ने विपक्ष की तरफ से लगाए गए आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि इन मामलों में विधि विशेषज्ञों की राय ली गई है.समय के साथ कुछ कानूनों की उपयोगिता खत्म हो चुकी है. कुछ मामले ऐसे हैं, जिनमें केंद्रीय कानून बन चुके हैं.उन्होंने कहा कि विपक्षी सदस्यों को इस पर अपनी आपत्तियां पहले लिखित तौर पर रखनी चाहिए थीं.

विधि मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि विपक्ष बेवजह सुर्खियां बटोरने की कोशिश कर रहा है.उन्होंने कहा कि उन अधिनियमितियों को निरसित किया जाना प्रस्तावित है, जिनका महत्व अब नहीं रह गया है.

विधानसभा में निरस्त हुए ये कानून
सरकार की तरफ से हिमाचल प्रदेश निरसन विधेयक-2019 के तहत एक साथ जिन 20 कानूनों को निरस्त किया गया है, उनमें दि पंजाब स्मॉल टाउनज (टैक्स वैलिडेटिंग)एक्ट-1934, दी पंजाब न्यू टाउनशिप (स्ट्रीट लाइटिंग एंड वाटर सप्लाई) फीस एक्ट-1950, हिमाचल प्रदेश निरसन अधिनियम-1954, हिमाचल प्रदेश निरिसन अधिनियम-1964, दी पंजाब टाउन इंप्रूवमेंट (एमेंडमेंट एंड मिसलेनियस प्रोविजनज) एक्ट-1965, हिमाचल प्रदेश पधुशन और पक्षी रोग अधिनियम-1968.

हिमाचल प्रदेश निरसन अधिनियम-1968, हिमाचल प्रदेश निरसन अधिनियम-1972, हिमाचल प्रदेश भूमि विकास अधिनियम-1973, हिमाचल प्रदेश ट्रैक्टर खेती (प्रभारों की वसूली) अधिनियम-1972, हिमाचल प्रदेश निरसन अधिनियम-197&, हिमाचल प्रदेश भाण्डागार अधिनियम-1976, हिमाचल प्रदेश निरसन अधिनियम-1976, हिमाचल प्रदेश निरसन अधिनियम-1978,
आवश्यक वस्तु (हिमाचल प्रदेश संशोधन) अधिनियम-1986, विद्युत (प्रदाय) हिमाचल प्रदेश संशोधन अधिनियम-1999, विद्युत (प्रदाय) हिमाचल प्रदेश संशोधन अधिनियम-1999, हिमाचल प्रदेश धुम्रपान प्रतिषेध और अधूम्रसेवी स्वास्थ्य संरक्षण (निरसन) अधिनियम-2009, हिमचल प्रदेश प्राइवेट क्लिनिक स्थापन (रजिस्ट्रीकरण और विनियमन)निरसन अधिनियम-2013 और हिमाचल प्रदेश निरसन अधिनियम-2017 शामिल है.

अधिवक्ताओं के कल्याण संबंधी विधेयक भी पारित
हिमाचल प्रदेश अधिवक्ता कल्याण निधि (संशोधन) विधेयक-2019 को भी पारित कर दिया गया.संशोधन में फंड के लिए धनराशि जुटाने को वकालतनामे में स्टांप राशि बढ़ाने का प्रावधान किया गया है.साथ ही वकालतनामे में 10 के बदले 25 रुपए, प्रदेश में काम कर रहे वकीलों की मृत्यु पर वित्तीय राशि 1.50 लाख से बढ़ाकर 2.25 लाख करने तथा गंभीर बीमारियों से पीडि़त वकील को 25 हजार की जगह 1 से 2 लाख रुपए देने जैसे प्रावधान किया गया है.

सरकार ने पेश किया लोक सेवा गारंटी, रोपवे व ट्रिब्यूनल संबंधी विधेयक
हिमाचल प्रदेश विधानसभा में सीएम जयराम ठाकुर ने बुधवार को 3 संशोधन विधेयक प्रस्तुत किए. इनमें पहला संशोधन विधेयक हिमाचल प्रदेश लोक सेवा गारंटी (संशोधन और विधिमान्यकरण) विधेयक, 2019 को लेकर लाया गया. दूसरा संशोधन विधेयक हिमाचल प्रदेश आकाशी रज्जूमार्ग संशोधन) विधेयक, 2019 को लेकर लाया गया.इसमें रोपवे निर्माण को लेकर कुछ नियम बनाए गए हैं.इसी तरह हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल (विनिश्चित मामलों और लंबित आवेदनों का अंतरण) विधेयक, 2019 को भी प्रस्तुत किया गया.

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