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टॉयलेट सीट, समोसा, राहुल गांधी से जुड़े ऑडियो की जांच से लेकर जंगली मुर्गा प्रकरण, सुख की सरकार को विवादों ने नहीं लेने दी चैन की सांस - SUKHU GOVT CONTROVERSIAL ISSUES

हिमाचल की सुक्खू सरकार के लिए साल 2024 विवादों से भरा रहा. सुक्खू सरकार के हिस्से इस साल कई अजब-गजब विवाद आए.

SUKHU GOVT CONTROVERSIAL ISSUES
सीएम सुक्खू से जुड़े अजब-गजब विवाद (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 17 hours ago

शिमला: सरकार कोई भी हो, विवाद किसी न किसी रूप में उससे जुड़ते ही रहते हैं. हिमाचल में सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार के लिए साल 2024 भी कुछ ऐसे विवादों का साल रहा, जिनके कारण सरकार को सोशल मीडिया पर बहुत ट्रोलिंग झेलनी पड़ी. जलशक्ति विभाग की एक नोटिफिकेशन आती है. उसमें प्रति सीट सीवरेज शुल्क का जिक्र होता है तो विपक्ष को एक मुद्दा मिल जाता है. हालांकि बाद में वो नोटिफिकेशन नए रूप में सामने आती है, लेकिन एक विवाद तो पैदा हो ही गया, जिसके कारण विपक्ष ने सरकार को कटघरे में खड़ा किया.

इसके बाद सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार एक और हास्यास्पद विवाद में फंस जाती है. सीएम सुक्खू सीआईडी मुख्यालय में आयोजित एक समारोह में शामिल हुए. वहां उनके लिए नाश्ते का प्रबंध था. पुलिस अफसरों ने एक महंगे होटल के रेस्तरां से केक व समोसे मंगवाए थे. ये समोसे सीएम सुक्खू तक नहीं पहुंचे. इन समोसों को पुलिस के कुछ लोग खा गए. हालांकि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू सादा भोजन करते हैं और तले हुए भोजन से परहेज करते हैं, लेकिन विवाद के अंकुर तो फूट ही गए. इस अंकुर को पौधा बनाया सीआईडी की जांच ने. जांच रिपोर्ट में दर्ज किया गया कि समोसे गायब होना सरकार विरोधी कार्य है.

खैर, इस विवाद से पीछा छूटा तो एचआरटीसी की बस में एक ऑडियो क्लिप सुनने पर जांच हो गई. क्लिप में राहुल गांधी, तेजस्वी यादव व ममता बनर्जी का नाम आ रहा था. बाद में एचआरटीसी ने खुद माना कि जांच वाले पत्र की शब्दावली और बेहतर हो सकती थी. दरअसल, जांच में ऑडियो क्लिप चलने का दोषी चालक व परिचालक को ठहराया गया था. खैर, ये विवाद शांत हुआ तो सीएम के ऊपरी शिमला के एक गांव के रात्रि प्रवास में जंगली मुर्गा परोसने से जुड़ा किस्सा सियासी फिजाओं में तैर गया. विधानसभा के विंटर सेशन में विपक्षी दल भाजपा ने जंगली मुर्गे के कटआउट लेकर विरोध प्रदर्शन किया. इस तरह सुख की सरकार को इन विवादों ने चैन की सांस नहीं लेने दी. ईटीवी भारत की ईयर एंडर सीरिज में सिलसिलेवार इन विवादों पर बात करना दिलचस्प रहेगा.

क्या था टॉयलेट सीट पर शुल्क वाला विवाद ?

जलशक्ति विभाग की एक नोटिफिकेशन अचानक से सोशल मीडिया पर वायरल होती है. नोटिफिकेशन की शब्दावली ऐसी थी, जिसके अनुसार हिमाचल में जो निजी प्रतिष्ठान पानी तो अपना प्रयोग कर रहे थे, लेकिन सीवरेज सरकारी यूज कर रहे थे, उनके लिए प्रति टॉयलेट सीट 25 रुपए शुल्क का प्रावधान किया गया. जलशक्ति विभाग की ये नोटिफिकेशन 21 सितंबर 2024 की थी. मामला तब देश भर की मीडिया की सुर्खियों में आया जब केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक्स पर पोस्ट डाली. उनकी पोस्ट में लिखा गया था कि जब पीएम मोदी स्वच्छता को एक अभियान का रूप दे रहे हैं, कांग्रेस वाले टॉयलेट शुल्क लगा रहे हैं. निर्मला ताई की एक्स पोस्ट के बाद तो तरह-तरह की तंज वाली पोस्टों की झड़ी लग गई. बाद में हिमाचल सरकार के सीनियर आईएएस व एसीएस (जलशक्ति विभाग) ओंकार शर्मा ने कहा कि 21 सितंबर को अधिसूचना जारी करने के बाद उसे डिप्टी सीएम को भेजा गया. उन्होंने टॉयलेट शुल्क वाली शब्दावली पर आपत्ति जाहिर की तो उसे वापिस ले लिया गया. उधर, हरियाणा में विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू से जब मीडिया ने सवाल किया तो उन्होंने कहा कि जनता का ध्यान भटकाने के लिए भाजपा ऐसे शिगूफे छोड़ती है. टॉयलेट सीट शुल्क जैसी कोई बात नहीं है.

अरे, कौन खा गया सीएम के लिए मंगवाए समोसे?

सितंबर के बाद आया अक्टूबर महीना. एक और विवाद कतार में खड़ा था. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू अक्टूबर महीने के आखिर में सीआईडी मुख्यालय में एक आयोजन में शामिल हुए थे. पुलिस अफसरों ने लक्कड़ बाजार के एक नामी होटल के रेस्तरां से समोसे व केक मंगवाए थे. समोसे व केक लाने के लिए पुलिस कर्मियों को ड्यूटी बांटी गई, लेकिन सीएम तक ये समोसे नहीं पहुंचे. सीएम से जुड़ा मामला था तो सीआईडी ने समोसों पर जांच बिठा दी कि ये समोसे आखिर गए कहां? अब किस्मत खराब हो तो कुछ भी संभव है. लो जी, जांच रिपोर्ट मीडिया में लीक हो गई. हंगामा मच गया और फिर से सुखविंदर सिंह सरकार सोशल मीडिया पर ट्रोल होने लगी. जब टॉयलेट सीट वाला विवाद पैदा हुआ तो हरियाणा में चुनाव चल रहे थे. समोसे वाला किस्सा शुरू हुआ तो महाराष्ट्र में चुनाव थे. सीएम सुक्खू जहां भी जाते, मीडिया यही सवाल करता. सीएम जवाब देते, भई मैं समोसे खाता ही नहीं. बात भी सच है, सीएम सुक्खू हैल्थ प्रॉब्लम के कारण तले हुए भोजन से परहेज करते हैं. बोले, न जाने भाजपा कहां से ऐसे शब्द तलाशती है.

बस में चला राहुल गांधी से जुड़ा ऑडियो, शामत चालक-परिचालक की

अक्टूबर के बाद आया महीना नवंबर. इस महीने राजधानी शिमला में लोकल रूट पर चलने वाली एक बस में कोई सवारी ऑडियो क्लिप सुन रही थी. इस क्लिप में कांग्रेस के पूर्व नेता आचार्य प्रमोद कृष्ण व अन्यों की आवाज थी. एक सवारी ने इस क्लिप को आपत्तिजनक पाया, क्योंकि इसमें राहुल गांधी सहित तेजस्वी यादव, ममता बनर्जी आदि नेताओं का नाम आ रहा था. सवारी ने आरोप लगाया कि क्लिप में कांग्रेस नेता के खिलाफ गलत बातें बोली जा रही थीं. ये शिकायत सीएम कार्यालय में अवर सचिव को की गई थी. वहां से एचआरटीसी को शिकायत भेजी गई तो परिवहन निगम ने चालक व परिचालक को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया. हैरानी की बात है कि भला कोई सवारी मोबाइल पर कोई ऑडियो या वीडियो सुने व देखे, उसमें चालक व परिचालक का क्या रोल है? उस नोटिस की भाषा अजीब थी. नोटिस के अनुसार ऐसे ऑडियो क्लिप को प्रसारित नहीं होने देना चाहिए था. मामले ने तूल पकड़ा तो एचआरटीसी के एमडी रोहन चंद ने स्वीकार किया कि नोटिस की भाषा सही नहीं थी.

जंगली मुर्गे ने दी विवाद की बांग

साल का अंत समीप था. दिसंबर महीना आया तो जंगली मुर्गे ने विवाद की बांग दी. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू चौपाल उपमंडल के टिक्कर गांव में रात्रि ठहराव कर रहे थे. उस दौरान उनके स्वागत में तरह-तरह के व्यंजन परोसे गए. दावा किया गया कि सीएम के रात्रि भोजन के मेन्यू में जंगली मुर्गे का मांस भी था. हालांकि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू सादा भोजन ही करते हैं, लेकिन मेन्यू वायरल हुआ और वीडियो भी. उसमें साफ सुना जा रहा है कि जंगली मुर्गे को परोसने की चर्चा हो रही है. सितंबर, अक्टूबर, नवंबर और फिर दिसंबर. चार महीने और चार विवाद. दिसंबर के पहले पखवाड़े के आखिर में जंगली मुर्गे वाला विवाद. विवाद इसलिए पैदा हुआ कि जंगली मुर्गा संरक्षित वन्य प्राणी है और उसका शिकार वर्जित है. इस विवाद में एफआईआर भी की गई. खैर, साल का अंत होने को है, लेकिन ये नहीं कहा जा सकता कि इसके साथ ही आने वाले समय में विवादों का अंत भी होगा. कोई न कोई विवाद तो सियासत में चलता ही है.

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शिमला: सरकार कोई भी हो, विवाद किसी न किसी रूप में उससे जुड़ते ही रहते हैं. हिमाचल में सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार के लिए साल 2024 भी कुछ ऐसे विवादों का साल रहा, जिनके कारण सरकार को सोशल मीडिया पर बहुत ट्रोलिंग झेलनी पड़ी. जलशक्ति विभाग की एक नोटिफिकेशन आती है. उसमें प्रति सीट सीवरेज शुल्क का जिक्र होता है तो विपक्ष को एक मुद्दा मिल जाता है. हालांकि बाद में वो नोटिफिकेशन नए रूप में सामने आती है, लेकिन एक विवाद तो पैदा हो ही गया, जिसके कारण विपक्ष ने सरकार को कटघरे में खड़ा किया.

इसके बाद सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार एक और हास्यास्पद विवाद में फंस जाती है. सीएम सुक्खू सीआईडी मुख्यालय में आयोजित एक समारोह में शामिल हुए. वहां उनके लिए नाश्ते का प्रबंध था. पुलिस अफसरों ने एक महंगे होटल के रेस्तरां से केक व समोसे मंगवाए थे. ये समोसे सीएम सुक्खू तक नहीं पहुंचे. इन समोसों को पुलिस के कुछ लोग खा गए. हालांकि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू सादा भोजन करते हैं और तले हुए भोजन से परहेज करते हैं, लेकिन विवाद के अंकुर तो फूट ही गए. इस अंकुर को पौधा बनाया सीआईडी की जांच ने. जांच रिपोर्ट में दर्ज किया गया कि समोसे गायब होना सरकार विरोधी कार्य है.

खैर, इस विवाद से पीछा छूटा तो एचआरटीसी की बस में एक ऑडियो क्लिप सुनने पर जांच हो गई. क्लिप में राहुल गांधी, तेजस्वी यादव व ममता बनर्जी का नाम आ रहा था. बाद में एचआरटीसी ने खुद माना कि जांच वाले पत्र की शब्दावली और बेहतर हो सकती थी. दरअसल, जांच में ऑडियो क्लिप चलने का दोषी चालक व परिचालक को ठहराया गया था. खैर, ये विवाद शांत हुआ तो सीएम के ऊपरी शिमला के एक गांव के रात्रि प्रवास में जंगली मुर्गा परोसने से जुड़ा किस्सा सियासी फिजाओं में तैर गया. विधानसभा के विंटर सेशन में विपक्षी दल भाजपा ने जंगली मुर्गे के कटआउट लेकर विरोध प्रदर्शन किया. इस तरह सुख की सरकार को इन विवादों ने चैन की सांस नहीं लेने दी. ईटीवी भारत की ईयर एंडर सीरिज में सिलसिलेवार इन विवादों पर बात करना दिलचस्प रहेगा.

क्या था टॉयलेट सीट पर शुल्क वाला विवाद ?

जलशक्ति विभाग की एक नोटिफिकेशन अचानक से सोशल मीडिया पर वायरल होती है. नोटिफिकेशन की शब्दावली ऐसी थी, जिसके अनुसार हिमाचल में जो निजी प्रतिष्ठान पानी तो अपना प्रयोग कर रहे थे, लेकिन सीवरेज सरकारी यूज कर रहे थे, उनके लिए प्रति टॉयलेट सीट 25 रुपए शुल्क का प्रावधान किया गया. जलशक्ति विभाग की ये नोटिफिकेशन 21 सितंबर 2024 की थी. मामला तब देश भर की मीडिया की सुर्खियों में आया जब केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक्स पर पोस्ट डाली. उनकी पोस्ट में लिखा गया था कि जब पीएम मोदी स्वच्छता को एक अभियान का रूप दे रहे हैं, कांग्रेस वाले टॉयलेट शुल्क लगा रहे हैं. निर्मला ताई की एक्स पोस्ट के बाद तो तरह-तरह की तंज वाली पोस्टों की झड़ी लग गई. बाद में हिमाचल सरकार के सीनियर आईएएस व एसीएस (जलशक्ति विभाग) ओंकार शर्मा ने कहा कि 21 सितंबर को अधिसूचना जारी करने के बाद उसे डिप्टी सीएम को भेजा गया. उन्होंने टॉयलेट शुल्क वाली शब्दावली पर आपत्ति जाहिर की तो उसे वापिस ले लिया गया. उधर, हरियाणा में विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू से जब मीडिया ने सवाल किया तो उन्होंने कहा कि जनता का ध्यान भटकाने के लिए भाजपा ऐसे शिगूफे छोड़ती है. टॉयलेट सीट शुल्क जैसी कोई बात नहीं है.

अरे, कौन खा गया सीएम के लिए मंगवाए समोसे?

सितंबर के बाद आया अक्टूबर महीना. एक और विवाद कतार में खड़ा था. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू अक्टूबर महीने के आखिर में सीआईडी मुख्यालय में एक आयोजन में शामिल हुए थे. पुलिस अफसरों ने लक्कड़ बाजार के एक नामी होटल के रेस्तरां से समोसे व केक मंगवाए थे. समोसे व केक लाने के लिए पुलिस कर्मियों को ड्यूटी बांटी गई, लेकिन सीएम तक ये समोसे नहीं पहुंचे. सीएम से जुड़ा मामला था तो सीआईडी ने समोसों पर जांच बिठा दी कि ये समोसे आखिर गए कहां? अब किस्मत खराब हो तो कुछ भी संभव है. लो जी, जांच रिपोर्ट मीडिया में लीक हो गई. हंगामा मच गया और फिर से सुखविंदर सिंह सरकार सोशल मीडिया पर ट्रोल होने लगी. जब टॉयलेट सीट वाला विवाद पैदा हुआ तो हरियाणा में चुनाव चल रहे थे. समोसे वाला किस्सा शुरू हुआ तो महाराष्ट्र में चुनाव थे. सीएम सुक्खू जहां भी जाते, मीडिया यही सवाल करता. सीएम जवाब देते, भई मैं समोसे खाता ही नहीं. बात भी सच है, सीएम सुक्खू हैल्थ प्रॉब्लम के कारण तले हुए भोजन से परहेज करते हैं. बोले, न जाने भाजपा कहां से ऐसे शब्द तलाशती है.

बस में चला राहुल गांधी से जुड़ा ऑडियो, शामत चालक-परिचालक की

अक्टूबर के बाद आया महीना नवंबर. इस महीने राजधानी शिमला में लोकल रूट पर चलने वाली एक बस में कोई सवारी ऑडियो क्लिप सुन रही थी. इस क्लिप में कांग्रेस के पूर्व नेता आचार्य प्रमोद कृष्ण व अन्यों की आवाज थी. एक सवारी ने इस क्लिप को आपत्तिजनक पाया, क्योंकि इसमें राहुल गांधी सहित तेजस्वी यादव, ममता बनर्जी आदि नेताओं का नाम आ रहा था. सवारी ने आरोप लगाया कि क्लिप में कांग्रेस नेता के खिलाफ गलत बातें बोली जा रही थीं. ये शिकायत सीएम कार्यालय में अवर सचिव को की गई थी. वहां से एचआरटीसी को शिकायत भेजी गई तो परिवहन निगम ने चालक व परिचालक को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया. हैरानी की बात है कि भला कोई सवारी मोबाइल पर कोई ऑडियो या वीडियो सुने व देखे, उसमें चालक व परिचालक का क्या रोल है? उस नोटिस की भाषा अजीब थी. नोटिस के अनुसार ऐसे ऑडियो क्लिप को प्रसारित नहीं होने देना चाहिए था. मामले ने तूल पकड़ा तो एचआरटीसी के एमडी रोहन चंद ने स्वीकार किया कि नोटिस की भाषा सही नहीं थी.

जंगली मुर्गे ने दी विवाद की बांग

साल का अंत समीप था. दिसंबर महीना आया तो जंगली मुर्गे ने विवाद की बांग दी. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू चौपाल उपमंडल के टिक्कर गांव में रात्रि ठहराव कर रहे थे. उस दौरान उनके स्वागत में तरह-तरह के व्यंजन परोसे गए. दावा किया गया कि सीएम के रात्रि भोजन के मेन्यू में जंगली मुर्गे का मांस भी था. हालांकि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू सादा भोजन ही करते हैं, लेकिन मेन्यू वायरल हुआ और वीडियो भी. उसमें साफ सुना जा रहा है कि जंगली मुर्गे को परोसने की चर्चा हो रही है. सितंबर, अक्टूबर, नवंबर और फिर दिसंबर. चार महीने और चार विवाद. दिसंबर के पहले पखवाड़े के आखिर में जंगली मुर्गे वाला विवाद. विवाद इसलिए पैदा हुआ कि जंगली मुर्गा संरक्षित वन्य प्राणी है और उसका शिकार वर्जित है. इस विवाद में एफआईआर भी की गई. खैर, साल का अंत होने को है, लेकिन ये नहीं कहा जा सकता कि इसके साथ ही आने वाले समय में विवादों का अंत भी होगा. कोई न कोई विवाद तो सियासत में चलता ही है.

ये भी पढ़ें: देवभूमि हिमाचल की शांत वादियों में क्यों गूंजा मस्जिद विवाद, सुखविंदर सरकार में कैबिनेट मंत्री के बयान से मच गई थी देश भर में हलचल

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