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तेजी से पिघल रहे ग्लेशियर... हिमाचल सहित पड़ोसी राज्यों में मच सकती है तबाही

ग्लेशियरों के पिघलने से तिब्बत क्षेत्र में बनी झीलें प्रदेश में बहने वाली नदियों में उफान ला सकती हैं, जिससे हिमाचल सहित पड़ोसी में भारी नुकसान हो सकता है.

lakes causing destruction
संकट में ग्लेशियर और तबाही का कारण बनती झीलें
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Published : Jan 3, 2020, 6:35 PM IST

Updated : Jan 5, 2020, 11:58 AM IST

शिमला: विज्ञान, पर्यावरण एवं प्रौद्योगिकी परिषद के क्लाइमेट चेंज सेंटर की ओर से किए गए सर्वेक्षण के अनुसार ग्लेशियर पिघलने से सतलुज बेसिन पर बनी झीलों के साथ चिनाब पर बनी झीलों में 15 फीसदी और रावी बेसिन पर बनी झीलों में 12 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.

lakes causing destruction
ग्लेशियर.

ग्लेशियरों के पिघलने से तिब्बत (चीन नियंत्रण) क्षेत्र में बनी झीलें प्रदेश में बहने वाली नदियों में उफान ला सकती हैं जिससे हिमाचल सहित पड़ोसी राज्यों में भारी नुकसान हो सकता है. इन झीलों के टूटने से सतलुज, चिनाब और रावी नदियों में भारी बाढ़ आ सकती है.

हिमालय रीजन में सतलुज, चिनाब व रावी बेसिन पर बनी झील के आकार में वृद्धि होने से उत्तर भारत के अधिकतर राज्यों में संकट मंडराने लगा है. सैटेलाइट तस्वीरों से किए गए सर्वेक्षण के अनुसार इन तीनों प्रमुख नदियों के बेसिन पर ग्लेशियरों के पिघलने से झीलों की संख्या व इनके आकार में तेजी से वृद्धि हो रही है.

वीडियो रिपोर्ट.

रिपोर्ट के बारे में प्रदेश सरकार को भी सूचित कर दिया गया है, ताकि इन नदियों के प्रभाव क्षेत्र में सरकार उचित प्रबंध कर सके. साथ ही जुलाई से सितंबर महीने के बीच जरूरी एहतियात बरतने की अपील भी की गई है.

lakes causing destruction
ग्लेशियर.

साल 2005 में तिब्बत के साथ बनी पारछू झील भी प्रदेश में भारी तबाही मचा चुकी है. उस दौरान जानी नुकसान के अलावा 800 करोड़ से अधिक की क्षति आंकी गई थी. ऐसे में नई बन रही झीलें निकट भविष्य में भारी तबाही मचा सकती हैं.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में इस दिन से बारिश और बर्फबारी के आसार, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट

शिमला: विज्ञान, पर्यावरण एवं प्रौद्योगिकी परिषद के क्लाइमेट चेंज सेंटर की ओर से किए गए सर्वेक्षण के अनुसार ग्लेशियर पिघलने से सतलुज बेसिन पर बनी झीलों के साथ चिनाब पर बनी झीलों में 15 फीसदी और रावी बेसिन पर बनी झीलों में 12 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.

lakes causing destruction
ग्लेशियर.

ग्लेशियरों के पिघलने से तिब्बत (चीन नियंत्रण) क्षेत्र में बनी झीलें प्रदेश में बहने वाली नदियों में उफान ला सकती हैं जिससे हिमाचल सहित पड़ोसी राज्यों में भारी नुकसान हो सकता है. इन झीलों के टूटने से सतलुज, चिनाब और रावी नदियों में भारी बाढ़ आ सकती है.

हिमालय रीजन में सतलुज, चिनाब व रावी बेसिन पर बनी झील के आकार में वृद्धि होने से उत्तर भारत के अधिकतर राज्यों में संकट मंडराने लगा है. सैटेलाइट तस्वीरों से किए गए सर्वेक्षण के अनुसार इन तीनों प्रमुख नदियों के बेसिन पर ग्लेशियरों के पिघलने से झीलों की संख्या व इनके आकार में तेजी से वृद्धि हो रही है.

वीडियो रिपोर्ट.

रिपोर्ट के बारे में प्रदेश सरकार को भी सूचित कर दिया गया है, ताकि इन नदियों के प्रभाव क्षेत्र में सरकार उचित प्रबंध कर सके. साथ ही जुलाई से सितंबर महीने के बीच जरूरी एहतियात बरतने की अपील भी की गई है.

lakes causing destruction
ग्लेशियर.

साल 2005 में तिब्बत के साथ बनी पारछू झील भी प्रदेश में भारी तबाही मचा चुकी है. उस दौरान जानी नुकसान के अलावा 800 करोड़ से अधिक की क्षति आंकी गई थी. ऐसे में नई बन रही झीलें निकट भविष्य में भारी तबाही मचा सकती हैं.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में इस दिन से बारिश और बर्फबारी के आसार, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट

Intro:शिमला. ग्लेशियरों के पिघलने से तिब्बत (चीन नियंत्रण) क्षेत्र में बनी झीलें प्रदेश में बहने वाली नदियों में उफान ला सकती हैं जिससे हिमाचल सहित पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में भारी नुकसान हो सकता है. इन झीलों के टूटने से सतलुज, चिनाब और रावी नदियों में भारी बाढ़ आ सकती है. विज्ञान, पर्यावरण एवं प्रोद्योगिकी परिषद के क्लाइमेंट चेंज सेंटर द्वारा किए गए सर्वेक्षण के अनुसार सतलुज बेसिन पर बनी झीलों में 16 फीसदी, चिनाब पर 15 फीसदी और रावी बेसिन पर 12 फीसदी की बढ़ौतरी हुई है.

Body:हिमालय रीजन में सतलुज, चिनाब व रावी बेसिन पर बनी झीलें के आकार में वृद्धि होने से उत्तर भारत के अधिकतर राज्यों में संकट मंडराने लगा है. सैटेलाइट तस्वीरों से किए गए सर्वेक्षण के अनुसार इन तीनों प्रमुख नदियों के बेसिन पर गलेशियरों के पिघलने से झीलों की संख्या व इनके आकार में तेजी से वृद्धि हो रही है. रिपोर्ट के बारे में प्रदेश सरकार को भी सूचित कर दिया गया है ताकि इन नदियों के प्रभाव क्षेत्र में सरकार उचित प्रबंध कर सके. साथ ही जुलाई से सितम्बर महीने के बीच जरूरी एहतियात बरतने की अपील भी की गई है. साल 2005 में तिब्बत के साथ बनी पारछू झील भी प्रदेश में भारी तबाही मचा चुकी है. उस दौरान जानी नुकसान के अलावा 800 करोड़ से अधिक की क्षति आंकी गई थी. ऐसे में नई बन रही झीले निकट भविष्य में भारी तबाही मचा सकती है.

Conclusion:हिमाचल की चार प्रमुख नदियों के बेसिन पर 2017 और 2018 में झीलों की संख्यानदी बेसिन वर्ष 2017 वर्ष 2018सतलुज 642 झीलें 769 झीलें चिनाब 220 झीलें 254 झीलें रावी 54 झीलें 66 झीलें बयास 49 झीलें 65 झीलें सतलुज बेसिन का सूरत-ए-हालसतलुज बेसिन पर 769 में से 49 झीलों का आकार 10 हैक्टेयर से अधिक हो गया है. कुछेक झीलों का क्षेत्रफर तकरीबन 100 हैक्टेयर भी बताया जा रहा है. ऐसी झीले ही ज्यादा तबाही का कारण बन सकती है. 57 झीले 5 से 10 हैक्टेयर तथा 663 झीले 5 हैक्टेयर से कम क्षेत्र में है.
Last Updated : Jan 5, 2020, 11:58 AM IST
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